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Albert Ekka’s Martyrdom Day: विकास को तड़प रहा शहीद का जारी ब्लाॅक, आज भी डुमरी से चलते हैं कई विभाग

परमवीर चक्र विजेता शहीद अलबर्ट एक्का के नाम से बना गुमला का जारी प्रखंड आज भी विकास की बाट जोह रहा है. सरकारी योजनाएं सरकारी बाबुओं के दफ्तरों के कागजों में दम तोड़ रही है. इसके बावजूद सुध लेने वाला कोई नहीं है. आज भी कई विभाग डुमरी से संचालित हो रहे हैं.

Albert Ekka’s Martyrdom Day : परमवीर चक्र विजेता शहीद अलबर्ट एक्का के नाम से बने गुमला के जारी प्रखंड के 12 साल हो गये, लेकिन इस प्रखंड के 60 गांव आज भी विकास के लिए तड़प रहा है. जिस उम्मीद से जारी को प्रखंड बनाया गया. वह उम्मीद आज भी सरकारी बाबुओं के दफ्तरों के कागजों में दम तोड़ रही है. विकास के नाम पर यहां सिर्फ वादे हुए हैं. प्रखंड की जो स्थिति है यह किसी गांव से भी बदतर है. अगर आज जारी प्रखंड अपने विकास के लिए तड़प रहा है, तो इसके पीछे राजनीति दांवपेंच और नेताओं की बेरुखी है. जारी प्रखंड तो बना, लेकिन कई एक ऐसे विभाग हैं जो आज भी डुमरी प्रखंड से संचालित हो रही है. जारी प्रखंड में महज प्रखंड, अंचल, थाना तथा बीआरसी संचालित है. बाकी विभाग जैसे अस्पताल, आंगनबाड़ी महत्वपूर्ण विभाग अभी भी डुमरी से ही संचालित हो रही है.

राजनीति के कारण ठप है विकास

70 वर्षीय एतवा बड़ाइक ने कहा कि स्वास्थ्य एवं चिकित्सा जैसे विभाग डुमरी से संचालित हो रही है. जिससे यहां ग्रामीणों को भारी परेशानी झेलनी पड़ती है और इलाज के लिए हमलोग 70 किमी दूर गुमला या छत्तीसगढ़ के जशपुर में जाकर इलाज कराना पड़ता है. जारी के लिए एक अस्पताल भी बन रहा था, लेकिन वह अस्पताल भी अधूरा पड़ा हुआ है. 68 वर्षीय सुलेमान तिर्की ने कहा कि शहीद के नाम से सिर्फ राजनीतिक होता है. कहीं भी विकास का कार्य नहीं हुआ है. जारी गांव में आज तक सैनिक स्कूल तक नहीं खुला. अगर सैनिक स्कूल खुलता, तो यहां के नौजवानों को सैनिक में जाने की प्रेरणा मिलती. प्रशासन की उदासीनता के कारण यहां के ग्रामीणों को सुविधा नहीं मिल पा रहा है.

जारी में सैनिक स्कूल खुले

30 वर्षीय संतोष बड़ाइक ने कहा कि जारी से चैनपुर जाने वाली मार्ग की स्थिति दयनीय है. जारी प्रखंड के लोगों का मुख्य बाजार एवं अन्य आवश्यकता वाली चीजों की खरीद बिक्री करने के लिए प्रत्येक दिन हजारों की संख्या में चैनपुर आना-जाना करते हैं. लेकिन रोड खराब होने से यहां के ग्रामीणों को आवागमन में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. 28 वर्षीय अमोद सिंह ने कहा कि प्रशासन यहां की युवा को सैनिक बहाली में प्राथमिकता दें. प्रत्येक साल कम से कम 10 युवाओं को फौज में बहाली के लिए प्राथमिकता देते हुए बहाली करें. अगर प्रशासन सहयोग करता तो यहां से अनेकों युवा सैनिक में होते.

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विकास को तड़तपता जारी

विकास ठप होने का मुख्य कारण राजनीति दांवपेंच है. जारी प्रखंड छत्तीसगढ़ राज्य से सटा हुआ है. 19 मार्च 2010 को प्रखंड बने जारी में पांच पंचायत है. इसमें 60 गांव आता है. आबादी 30 हजार 926 है. यह पहला प्रखंड है. जहां सोलर से बिजली जलती है. लेकिन कुछ ही इलाकों तक बिजली है. ग्रामीण विद्युतिकरण के तहत कई गांवों में बिजली नहीं पहुंची है. टेन प्लस टू स्कूल शुरू हुई. लेकिन महत्वपूर्ण विषयों के शिक्षक नहीं. शौचालय बना नहीं. कई गांव के लोग खुले में शौच करने जाते हैं.

जारी प्रखंड की पांच प्रमुख समस्याएं

– अस्पताल विगत कई सालों से अधूरा पड़ा हुआ है
– प्रखंड बनने से आज तक कोई डॉक्टर नहीं बैठा है
– जारी प्रखंड मुख्यालय में बने पानी टंकी अधूरा है
– सीडीपीओ कार्यालय नहीं है. काम में परेशानी हो रही
– जारी-चैनपुर जाने वाली सड़क की स्थिति खराब है.

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