Jharkhand News, Gumla News, International womens day 2021 गुमला : महिलाएं पुरुषों से कदम से कदम मिला कर हर क्षेत्र में अपनी मुकाम बना रही हैं, चाहे वह खेल, खेती-बारी, शिक्षा या फिर रोजगार का क्षेत्र हो. वहीं कई महिलाएं समाज के लिए समर्पित हैं. कई मुखिया बन गांव का विकास कर रही हैं. गुमला में ऐसे कई उदाहरण हैं. जिले में कई महिलाएं हैं, जिन्होंने अपने बूते कुछ कर अपनी एक अलग पहचान बनायी. आज इन महिलाओं को पूरा गुमला जानता है. महिलाएं गुमला बल्कि राज्य से लेकर राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी छाप छोड़ चुकी हैं. महिला दिवस पर ऐसी ही महिलाओं की कहानी की विशेष प्रस्तुति हैं.
गुमला शहर की मधुबाला गली निवासी शकुंतला उरांव 15 वर्षों से समाज के लिए समर्पित होकर काम कर रही हैं. समाजहित के साथ शकुंतला राजनीति के क्षेत्र में उभरती महिला है. किसी की मदद करनी हो या फिर समाज के किसी भी प्रकार की गतिविधि हो. उसमें शकुंतला सक्रिय रहती है. जनहित के मुद्दों को मुखर होकर उठाती है. शकुंतला ने बताया कि वह वर्ष1993 में बीए की है. इसके बाद 2005 से वह राजनीति में आयी.
बिशुनपुर प्रखंड के सातो गांव की सुमित्रा देवी मैट्रिक तक पढ़ाई की है. आज वह कृषि से जुड़ कर आत्मनिर्भर हो रही है. उन्होंने बताया कि 2017 में महिला समूह से जुड़ कर एक एकड़ में लेमन ग्रास की खेती की थी, जिसमें 60 हजार मुनाफा हुआ. इसके बाद चार एकड़ में खेती की हूं. लेमन ग्रास खेती से जुड़ने वाली महिलाएं बेहतर आमदनी प्राप्त कर सकती हैं. मेरे इस कृषि के कार्य में मेरे पति मनोज लोहरा मदद करते हैं.
भरनो प्रखंड की सुषमा नाग किसी परिचय की मोहताज नहीं है. उन्होंने अपनी भाषा, कला व कार्यशैली से समाज में अलग पहचान बनायी है. वर्तमान में सुषमा नाग शिक्षिका व राष्ट्रीय लोक गायिका है. साथ ही कला संस्कृति मंच के संस्थापक है. शिक्षिका रहते हुए 1996 से एक हजार युवक-युवतियों को जनजातीय व क्षेत्रीय संगीत व नृत्य सीखा रही है. उनकी कला व सामाजिक कार्यों के लिए सरकार ने उन्हें सम्मानित किया है.
सिसई प्रखंड के टंगराटोली निवासी पुष्पा देवी अपने पति की मौत के बाद संकट में थी, परंतु खुद को मजबूत करते हुए संकट से निकली और अपने दो बच्चों को अच्छे मुकाम पर पहुंचने के लिए संघर्ष के रही है. किराये के मकान में रह कर मजदूरी की. अभी सिसई थाना के स्टाफ का खाना बनाती है. चार हजार व बाजार के दिन चना, फुचका बेच कर 250 रुपये कमाती है. मेहनत की कमाई से बेटी व बेटा को पढ़ा रही है.
बसिया की ममरला पंचायत की मुखिया सरिता उरांव कोरोना काल में गर्भवती होने के बावजूद अपने कर्तव्य से पीछे नहीं हटी. जब पूरा देश महामारी से खुद के बचाने में लगा था. ऐसे समय में अपनी व पेट में पल रहे नवजात की परवाह किये बिना लोगों के बीच पहुंच कर खाने-पीने की सामग्री बांटी. सरकारी काम में मदद की. सरिता ने 21 जून 2020 को एक स्वस्थ बच्चा बेटे को जन्म दिया.
घाघरा प्रखंड के हालमाटी गांव की कुंती देवी समाज की परवाह किये बिना दिल्ली में गरीबों की मदद कर रही है. दिल्ली के स्कोन मंदिर के समीप हर दिन दर्जनों गरीब पहुंचते हैं. कुंती उनलोगों के लिए कुटिया बनायी है. जहां गरीबों को रखती है. भूख से तड़पते लोगों को खाने-पीने की सामग्री देती है. इतना ही नहीं डायन बिसाही जैसी कुप्रथा को समाप्त खत्म करने के लिए अपने गांव पहुंच कर लोगों को जागरूक भी करती है.
Posted By : Sameer Oraon