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कोरेंटिन सेंटर में दलित के हाथों बना खाना खाने से किया इनकार, जिला प्रशासन सकते में आया

ब्राह्मणों ने अनुसूचित जाति के हाथों पका भोजन खाने से इनकार कर दिया गया. उनका कहना था कि रसोइया अनुसूचित जाति का है, इसलिए वे खाना नहीं खायेंगे.

हजारीबाग : कोरोना ने भले ही देश की सीमाओं को तोड़ विश्व में महामारी का रूप ले लिया हो, लेकिन हमारे समाज के कुछ लोग अब भी रूढ़ीवादी सोच से बाहर नहीं आ पा रहे हैं. 21वीं सदी के भारत में भी ऐसे लोग पुरातन सोच छोड़ नहीं पा रहे. ऐसा ही एक मामला हजारीबाग जिले के विष्णुगढ़ प्रखंड के बनासो कोरेंटिन सेंटर में देखने को मिला है. यहां रखे गये ब्राह्मणों ने अनुसूचित जाति के हाथों पका भोजन खाने से इनकार कर दिया गया. उनका कहना था कि रसोइया अनुसूचित जाति का है, इसलिए वे खाना नहीं खायेंगे.

इधर, कोरेंटिन सेंटर में रहनेवाले ब्राह्मणों के निर्णय से जिला प्रशासन सकते में आ गया. अब ब्राह्मणों को पका हुआ भोजन के बजाय सूखा राशन दिया जा रहा है. जानकारी के अनुसार बनासो कोरेंटिन सेंटर में करीब 100 प्रवासी मजदूर रह रहे हैं. इनमें चार ब्राह्मण व कुछ मुस्लिम व अन्य समाज के हैं.

ब्राह्मणों व मुस्लिम समाज के लोगों ने पका हुआ भोजन के बदले सूखा राशन की मांग की. मुखिया लक्ष्मी देवी ने इनलोगों के लिए अलग से सूखा राशन उपलब्ध कराया.

क्या कहते हैं डीसी: मामले को लेकर डीसी डॉ भुवनेश प्रताप सिंह ने कहा कि विष्णुगढ़ बीडीओ से बातचीत हुई है. उनलोगों के लिए अलग से सूखा राशन की व्यवस्था की गयी है.

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