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मणिपुर हिंसा के खिलाफ झारखंड में मौन विरोध, चार किलोमीटर लंबी मानव श्रृंखला बनाकर मांगा न्याय

हजारीबाग में लगभग चार किमी तक सड़क के किनारे आदिवासी समाज, सरना समाज, ईसाई समाज के लोग सुबह 11 बजे से दो बजे तक मानव श्रृंखला बनाकर खड़े थे. वे मणिपुर को न्याय देने की मांग कर रहे थे.

हजारीबाग: मणिपुर में आगजनी, हत्या, बलात्कार (हिंसा एवं अशांति) के विरोध में आदिवासी छात्र संघ की ओर से रविवार को मौन विरोध किया गया. इसके तहत मानव श्रृंखला बनायी गयी. राष्ट्रीय राजमार्ग-33 कोनार पुल के पास से शुरू होकर संत कोलंबा कॉलेज, कार्मल चौक, बस स्टैंड, पुराना समाहरणालय से डीसी कार्यालय तक करीब 4 किलोमीटर लंबी मानव श्रृंखला बनायी गयी. बड़ी संख्या में महिला, पुरुष, युवा, मणिपुर में महिलाओं के साथ बलात्कार और हिंसा रोकने से संबंधित लिखे स्लोगन की तख्ती हाथ में लिए हुए थे.

मणिपुर को न्याय दो की कर रहे थे मांग

मानव श्रृंखला में शामिल धर्म गुरु, शिक्षाविद, शिक्षक भी हाथों में तख्ती लेकर मानव श्रृंखला में शामिल हुए. इसमें सत्य, प्रेम, अहिंसा, एकता, शांति, भाईचारा को बढ़ाने की मांग की गयी. चर्चों पर हमला करना बंद करो. मणिपुर को न्याय दो. नारियों को सम्मान दो का नारा लगा रहे थे.

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उपायुक्त नैंसी सहाय को सौंपा गया राष्ट्रपति के नाम मांग पत्र

लगभग चार किमी तक सड़क के किनारे आदिवासी समाज, सरना समाज, ईसाई समाज के लोग सुबह 11 बजे से दो बजे तक मानव श्रृंखला बनाकर खड़े थे. मणिपुर के पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना सहानुभूति सहयोग सदभावना के लिए जन-जन का संदेश राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भेजा गया. सभी समाज की ओर से दस सूत्री मांगों से संबंधित आवेदन उपायुक्त नैंसी सहाय को सौंपा गया. इस आवेदन में मणिपुर में शांति व्यवस्था बहाल किया जाए. अनुसूचित जनजातियों की सूची में असंवैधानिक और अनुचित बदलाव नहीं किया जाए.

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मानव श्रृंखला में ये हुए शामिल

मानव शृंखला में शामिल होनेवालों में आदिवासी छात्र संघ के केंद्रीय उपाध्यक्ष सुशील ओडैया, महेंद्र बैक, पीटर पॉल टोप्पो, सुशील लकड़ा, शिशिर तिग्गा, अनुज किंडो, कुलवंती तिग्गा, दिलीप कुजूर, रेवेन आरएम नाग, रेवेन अरूण बरवा, इखलखो, अजय राय, विमल तेरोम, मनोज टुडू, जगन कच्छप, एमानुएल बाखला, जीतवाहन भगत, जयपाल औडैया, फिलिप तिग्गा, रमेश हेंब्रम, सरोज लकड़ा समेत काफी संख्या में धर्म बहने शामिल हुईं.

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मानवता को शर्मसार करनेवाली है घटना

झारखंड राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य रूचि कुजूर ने कहा कि महिला अत्याचार सभ्य समाज की परिकल्पना नहीं है. मणिपुर की घटना हमें सीख देती है कि गलत सोच को पनपने नहीं देना है. यंग ब्लड आदिवासी समाज सह ऑल संथाल स्टूडेंटस यूनियन के केंद्रीय अध्यक्ष मनोज टुडू ने कहा कि मणिपुर में हिंसा की घटना दुर्भाग्यपूर्ण और मानवता को शर्मसार करनेवाली है. अनुसूचित जनजाति कुकी और नागा समुदाय में काफी डर का माहौल है. दोनों समुदाय के हक और अधिकार नहीं छीना जाना चाहिए.

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केंद्र और मणिपुर सरकार हिंसा रोकने की करें पहल

सुशील ओडैया ने कहा कि आदिवासियों को मणिपुर में जल, जंगल, जमीन से बेदखल करने का प्रयास किया जा रहा है, जो उचित नहीं है. निलेश जेम्स ने कहा कि केंद्र और मणिपुर सरकार मिलकर अहिंसा रोकने के लिए पहल करें. मैतेयी समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने से ही हिंसा फैली है. इस पर सरकार विचार करे.

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मणिपुर की राज्यपाल से मिला विपक्षी गठबंधन

इधर, मणिपुर हिंसा के बीच शांति की अपील लेकर पहुंचे विपक्षी गठबंधन ‘भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन’ (I-N-D-I-A) के 21 सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल आज रविवार को प्रदेश की राज्यपाल अनुसुइया उइके से मिला. मणिपुर की राज्यपाल अनुसुइया उइके से मुलाकात के बाद I-N-D-I-A गठबंधन के प्रतिनिधिमंडल ने मीडिया से भी बात की. कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि राज्यपाल ने सुझाव दिया है कि मणिपुर की स्थिति का समाधान निकालने के लिए सभी को मिलकर काम करना चाहिए. कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि राज्यपाल अनसुइया उइके ने कहा कि समुदायों के बीच अविश्वास खत्म करने के लिए एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को लोगों से बातचीत करने के वास्ते मणिपुर का दौरा करना चाहिए. सांसद ने कहा कि जैसे ही हमें मौका मिलेगा, हम संसद में केंद्र सरकार पर दबाव बनाएंगे और रिपोर्ट पेश करेंगे. उन्होंने कहा कि लोगों के उठाए गए मुद्दे और केंद्र सरकार और राज्य सरकार की कमियां जो हमने यहां देखी है. हम भारत सरकार से अपील करते हैं कि वह देरी न करे, हमारे अविश्वास प्रस्ताव को स्वीकार करे और मणिपुर मुद्दे पर चर्चा करे.

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