दुनियाभर में सालाना 23 लाख से ज्यादा महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर की चपेट में आती हैं. चिंताजनक बात यह है कि जहां यूरोपीय देशों में 80 प्रतिशत ब्रेस्ट कैंसर के मामले पहले और दूसरे स्टेज में डिटेक्ट किये जाते हैं, वहीं भारत में 60 प्रतिशत से ज्यादा मामले तीसरे और चौथे स्टेज में पहचान में आते हैं. ब्रेस्ट कैंसर से बचाव के लिए जरूरी है सेल्फ एग्जामिन. यानी खुद से नियमित अपने स्तनों की जांच.
विशेषज्ञ बताते हैं कि महीने में कम से कम एक बार आईने के सामने खड़े होकर अपने ब्रेस्ट की जांच जरूर करनी चाहिए. 18 के बाद की युवतियों को भी इसकी जांच करनी चाहिए और कोई भी सूजन या गांठ होने पर तुरंत स्त्री रोग विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए.
स्तन में गांठ व सूजन के अलावा स्राव, लालिमा, रैशेज और स्तन के आकार में बदलाव हो, निप्पल का रंग या आकार बदल रहा हो, तो स्त्री रोग विशेषज्ञ से जांच कराएं.
हाथ को सिर से ऊपर ले जाएं और स्तन के आकार, स्राव व अन्य बदलावों पर ध्यान दें.
हल्के हाथ से निप्पल को दबाएं और देंखे की स्राव नहीं हो रहा हो. स्राव का रंग में पानी जैसा, दूधिया, पीला व खून भी हो सकता है.
खड़े या बैठे होने पर भी अपने स्तन को महसूस करें. ये जांच आप नहाने के दौरान भी कर सकती हैं, क्योंकि उस दौरान स्तन भीगे होते हैं और परीक्षण करना आसान होता है.
ये परीक्षण पीरियड्स के बाद जरूर करें.
ब्रेस्ट कैंसर के प्रमुख कारणों में देर से शादी, देर से मां बनना, सही तरह से ब्रेस्ट फीडिंग नहीं कराना, कुछ आनुवंशिक कारण जैसे परिवार में किसी को सर्वाइकल कैंसर या ब्रेस्ट कैंसर हो, तो महिला को कैंसर हो सकता है. वैसे तो ब्रेस्ट कैंसर के 100 में से 10 मामलों में ही आनुवंशिक होते हैं, लेकिन कैंसर होने में जीन के बदलाव का शत प्रतिशत हाथ होता है. हॉर्मोनिक डिसऑर्डर व खराब जीवनशैली भी इसका एक कारण है. बुढ़ापा, व्यायाम नहीं करना, खराब खान-पान की आदत व अत्यधिक फूड सप्लिमेंट भी इसके प्रमुख कारण हैं. बचाव के लिए स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं.
कैंसर को अपने पूर्ण रूप में आने के लिए करीब एक वर्ष का समय लगता है. यदि अपने शरीर के प्रति जागरूक रहें, तो शुरुआती स्टेज में इसे डिटेक्ट कर इलाज किया जा सकता है.
प्रोसेस्ड मीट का सेवन न करें. खाने में संतुलित और पौष्टिक आहार लें. कॉस्मेटिक के केमिकल्स के कारण हॉर्मोनल चेंज होते हैं. इससे ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ता है.
मां बनने पर नवजात को कम-से-कम एक साल तक ब्रेस्ट फीड जरूर कराएं. एस्ट्रोजन हॉर्मोन का संतुलन बना रहता है.
वेट कंट्रोल करना भी जरूरी है.
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.