जमशेदपुर : कोरोना वायरस का कहर पूरी दुनिया पर साफ देखने को मिल रही है. भारत सहित दुनिया के कई हिस्से पूरी तरह से लॉकडॉउन हैं. सभी लोग घर में रहकर टीवी से चिपके हुए या फिर मोबाइल से. कुछ लोग पढ़ रहें तो कुछ लोग अभी भी ऑफिस के काम को लैपटॉप पर निबटा रहे हैं. इस संकट के घड़ी में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अपने फिटनेस का पूरा ख्याल रख रहें है. इस आधुनिक युग में हर चीज ऑनलाइन उपलब्ध है.
ऐसे में फिटनेस के क्लास भी ऑनलाइन हो रहे हैं. ओल्ड पुरुलिया मानगो की रहने वाली रुबिना शेख जो पेशे से एक अंतरराष्ट्रीय जुंबा इंस्ट्रक्टर है. वह जूम एप के जरिये रोजाना सुबह शाम जुंबा का क्लास ऑनलाइन ले रही हैं.
उनके क्लास में भारत के अलावा, इंडोनेशिया, जापान, दुबई के अलावा अन्य देशों के लोग जुड़कर अपने आप को फिट रखने की कोशिश कर रहें. रुबिना ने बताया कि लोग घरों में रहकर औसादग्रस्त हो रहे हैं. उनके लिए एक दो घंटे का ऑनलाइन व्यायाम काफी उपयोगी है. तनाव से बचना है तो करें व्यायाम : सोनारी की रहने वाली जुंबा इंस्ट्रक्टर उषा गोप भी ऑनलाइन क्लास के जरिये लोगों को फिट कर रहीं है.
उन्होंने बताया कि पहले क्लास में मात्र पांच लोगों ने ही हिस्सा लिया, लेकिन अब संख्या बढ़कर 70 हो गयी है. दूसरी ओर प्रख्यात योग गुरु अंशु सरकार भी ऑनलाइन योगा क्लास चला रहें हैं. उनके भी देसी-विदेशी शिष्य रोज दो घंटा योग का अभ्यास कर रहें हैं. अंशु सरकार ने बताया कि इस कठिन समय में योग व अन्य शारीरिक एक्सरसाइज की बहुत जरूरी है.योगा, व्यायाम व सकारात्मक सोच आपको तनाव से बचा सकती है.
कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने से रोकने के लिए जमशेदपुर समेत पूरे देश में लॉकडाउन किया गया है. लोगों के घर से निकलने पर पाबंदी लगा दी गयी है. इससे सभी आयु एवं वर्ग के लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इसमें खासकर वैसे सीनियर सिटीजन शामिल हैं, जिनके बच्चे शहर से बाहर हैं. उन लोगों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. बावजूद इसके वे कोरोना को पटकनी देने के लिए कमर कसे हुए हैं. शहर के कुछ ऐसे लोगों से बातचीत पर आधारित लाइफ@जमशेदपुर के लिए राजमणि सिंह की रिपोर्ट.
मैं एक समाजसेवी रही हूं. घर के सभी काम हम खुद करते थे. कुछ दिनों से मेरे पति बेड पर हैं. इस वजह से थोड़ी परेशानी हो रही है. यह कहना है सोनाली आदर्श नगर कॉलोनी निवासी सुमित्रा पाड़िया का.
श्रीमती पाड़िया कहती हैं कि कोरोना संक्रमण फैलने से रोकने के लिए लॉकडाउन का असर हम जैसे सीनियर सिटीजन पर जरूर पड़ा है. लेकिन कोरोना को हराने के लिए यह जरूरी है. इससे कठिनाई भी हो रही है, लेकिन मैं इसे कठिनाई नहीं मानती. उन्होंने कहा कि मैं खुद जरूरत का कुछ सामान ले अाती हूं. ग्रोसरी आइटम पहले से घर में था, इसलिए बहुत ज्यादा परेशानी नहीं है. हां, दवाओं के लिए घर से बाहर निकलना पड़ता है. सर्कल में कुछ लोग हैं, जिन्हें फोन कर देने पर मदद मिल जाती है. जब लॉकडाउन नहीं था तो मैं खुद अपनी जरूरत का हर सामान ले आती थी.
लाइफ की डिमांड कम कर दी है. बहुत ज्यादा सामान की जरूरत नहीं होती. हां, दवाओं की जरूरत पड़ती है. उक्त बातें कहना है सोनारी निवासी दीपक रॉय घटक का. वह कहते हैं कि दवा तो अक्सर ऑनलाइन ही मंगवा लेते थे, लेकिन लॉकडाउन के कारण ऑनलाइन सामान नहीं आ रहा है. इसलिए कल मैंने लोकल स्तर पर ही दवा ले ली थी. वह भी एक महीने के लिए. ऐसे में बाहर जाने की जरूरत ही नहीं है. उनकी पत्नी तंद्रा रॉय घटक ने बताया की हम पति-पत्नी दोनों गाड़ी चलाना जानते हैं.
इसलिए घर के सामान के लिए खुद ही निकल पड़ती हैं. ग्रोसरी की जरूरत पड़ती है तो बगल में दुकान है, फोन करने पर होम डिलीवरी कर देते हैं. अभी बहुत ज्यादा दिक्कत नहीं है. लेकिन लॉकडाउन होने के बाद से थोड़ी बहुत तो परेशानी हो ही रही है. बेटी यूएसए में रहती है तो लड़का कोलकाता में. बेटी से वहां के हालात जान कर चिंतित हूं. उन्होंने बताया कि इस लॉकडाउन का सबसे ज्यादा असर सीनियर सिटीजन की सेविंग पर पड़ेगा. लॉकडाउन के बाद और अधिक परेशानी होने वाली है. ऐसे में सरकार को भी सीनियर सिटीजन के बारे में कुछ ठोस कदम उठाना चाहिए.
मा नगो निवासी पवन कुमार झा कहते हैं कि लॉकडाउन होने से खासकर वैसे परिवार को अधिक परेशानी हो रही है जिनके बच्चे बाहर हैं. एक-एक चीज के लिए मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है.
हर जगह दुकान पर, बिग बाजार, रिलायंस फ्रेस आदि जगहों पर खरीदारी के लिए भीड़ लगी रहती है. बुजुर्ग वहां कितना भाग दौड़ करेंगे. ऊपर से कोरोना से खुद को बचाना भी है. इससे सबसे अधिक खतरा बच्चों और बुजुर्गों को ही होता है. श्री झा ने बताया कि यहां काफी दिनों से यहां रह रहे हैं. ऐसे में अपना एक सर्किल बना हुआ है. जान पहचान के सभी लोग हैं, तो ज्यादा परेशानी नहीं हो रही है. लेकिन बेटा हैदाराबाद में रहता है. लॉकडाउन के कारण वह भी वहां पर फंसा हुआ है. उसको लेकर चिंता बनी रहती है. शहर के लोग लॉकडाउन मानने को तैयार नहीं है. ऐसे में कोरोना संक्रमण फैलने का खतरा बना हुआ है.
सोनारी आशियाना गार्डन निवासी रंजना चरण बताती हैं की लॉकडाउन से सबसे ज्यादा परेशानी सीनियर सिटीजन को हो रही है. एक-एक सामान लाने के लिए सीनियर सिटीजन को सोचना पड़ता है. वह खुद भी ब्लाइंड हैं. दोनों आंखों से दिखायी नहीं देता. इस कारण उनके पति डॉ एए चरण पर लोड बढ़ जाता है.
सोसाइटी में प्रिवेंशन के कारण मेड के आने पर रोक है. इससे परेशानी और बढ़ गयी है. दूसरी परेशानी बाहर से सब्जी, फल और दूध लाने में होती है. उन्होंने कहा कि इस विषम परिस्थिति में जिला के आला अधिकारियों एवं सरकार को सीनियर सिटीजन की मदद के लिए अलग से कुछ योजना बनानी चाहिए. बिग बाजार या ग्रोसरी आइटम शॉप पर सीनियर सिटीजन के लिए अलग काउंटर बनाया जाये. ताकि सीनियर सिटीजन जरूरत पूरी हो सकें और उन्हें परेशानी नहीं हो. सीनियर सिटीजन के लिए सब्सिडी दर पर सामान उपलब्ध होना चाहिए. उन्होंने बताया कि सीनियर सिटीजन के लिए बेसिक चीजें जैसे राशन, फल, सब्जी, दूध और दवा आसानी से उपलब्ध हो, इसका ख्याल रखा जाये.
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.