Health news, coronavirus prevention tips, utensils weak immunity : कोरोना महामारी से बचाव के लिए स्वास्थ्य विशेषज्ञ लोगों को अपनी इम्यूनिटी को मजबूत बनाने की सलाह दे रहे हैं. इस सलाह को मानते हुए लोग प्रतिरोधन क्षमता को बढ़ावा देने के लिए काढ़ा, मुरब्बा व अन्य आयुर्वेदिक उपायों को अपना रहे हैं. ऐसे में शायद ही किसी का ध्यान इस बात पर गया होगा कि रसोई में प्रयोग किये जानेवाले बर्तनों का गलत इस्तेमाल भी उनकी प्रतिरोधन क्षमता को कमजोर कर सकता है.
घर में पानी की बोतल से लेकर बच्चों के टिफिन तक न जाने आप कितने तरह के प्लास्टिक के बर्तनों का इस्तेमाल करते हैं. माइक्रोवेव में खाना गरम करने के लिए भी प्लास्टिक कंटेनर का प्रयोग किया जाता है. ऐसे में आपके लिए यह जानना अत्यंत आवश्यक है कि प्लास्टिक के बर्तनों में केमिकल की परत होती है. जब आप माइक्रोवेव में प्लास्टिक के बर्तन में खाना गर्म करते हैं, तो बहुत ही सूक्ष्म तरीके से प्लास्टिक की थोड़ी मात्रा घुलकर आपके खाने में आ जाती है. शोधकर्ताओं की मानें, तो प्लास्टिक में मौजूद हानिकारक केमिकल पाचनतंत्र के लिए बेहद हानिकारक हैं. इन बर्तनों के अधिक इस्तेमाल से हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर, ब्रेस्ट कैंसर, मोटापा, टाइप-2 मधुमेह आदि समस्याओं के होने का खतरा भी बढ़ जाता है.
नॉन-स्टिक बर्तनों के इस्तेमाल को लेकर लोगों की यह धारणा है कि इनमें कम तेल का प्रयोग कर स्वास्थ्य वर्धक खाना तैयार किया जा सकता है. यह सच है कि इन बर्तनों में खाना पकाने के लिए कम तेल की जरूरत पड़ती है, लेकिन बहुत देर तक इनमें खाना पकाने से पॉलिटेट्राफ्लूरो इथेलिन नाम का केमिकल निकलता है, जो सेहत के लिए नुकसानदेह है. इससे निकलने वाली गैस भी स्वास्थ्य के लिए घातक हो सकती है. अत्यधिक तेज आंच पर इन बर्तनों पर खाना पकाना प्रतिरोधन क्षमना पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है.
हममें से कई लोगों के घरों में एल्युमिनियम की कड़ाही व पतीलों का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन सेहत के लिहाज से ये बर्तन भी ठीक नहीं. एल्युमिनियम नमक और एसिड के साथ मिलने पर पिघलने लगता है, जिससे खाने में इसका अंश भी शामिल होता जाता है. खाने में शामिल आयरन और कैल्शियम की मात्रा को एल्युमिनियम आसानी से सोर लेता है. लंबे समय तक इन बर्तनों का इस्तेमाल हड्डियों की बीमारियों का कारण भी बन सकता है. विशेषज्ञों के अनुसार खाना बनाने के लिए एल्युमिनियम के बर्तन का कम से कम इस्तेमाल करना चाहिए.
वर्तमान में स्टेनलेस स्टील का प्रयोग काफी चलन में है. यह एक मिश्रित धातु है, जो लोहे में कार्बन, क्रोमियम और निकल मिलाकर बनायी जाती है. स्टेनलेस स्टील के बर्तनों को बार-बार उपयोग करने और मांजने से उनकी सतह पर बहुत ही सूक्ष्म दरारें आ जाती है, जिसमें बैक्टीरिया घर बना लेते हैं. इन दरारों में फंसे भोजन और सालमोनेला, लिस्टिरिया और ईकोली सूक्ष्म जीवाणुओं से कई तरह के इंफेक्शन का खतरा होता है.
Posted By: Sumit Kumar Verma
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.