Eyes Care: मोतियाबिंद आज के समय में गंभीर समस्या बन गई है. डब्ल्यूएचओ और नेशनल प्रोग्राम फॉर कंट्रोल ऑफ ब्लाइंडनेस (एनपीसीबी) ने एक सर्वे किया है जिसके अनुसार देश में करीब 22 मिलियन से ज्यादा लोग दृष्टिहीन हैं. इनमें से 80.1% मामलों की वजह सिर्फ और सिर्फ मोतियाबिंद है. हर एक साल में करीब 3.8 मिलियन लोग मोतियाबिंद के कारण ही अंधे होते हैं. हालांकि मोतियाबिन की रोकथाम के लिए आयुर्वेद में कई सारे उपाय बताएं गए हैं. चलिए जानते हैं विस्तार से…
त्रिफला
मोतियाबिन से बचना है तो त्रिफला का सेवन करें. आयुर्वेद के अनुसार त्रिफला, तीन फलों (आंवला, हरीतकी और बिभीतकी) से बना एक पारंपरिक आयुर्वेदिक फॉर्मूलेशन है, जो सेहत के लिए काफी लाभकारी होता है. अगर आप त्रिफला के पानी से आंखों को धोते हैं तो इससे आंख स्वास्थ्य रहेगा. त्रिफला आंखों का इन्फेक्शन का खतरा कम होता है.
बीज और नट्स
आंखों को दुरुस्त रखना है तो बीज और नट्स का सेवन करना शुरू कर दें. क्योंकि बीज और नट्स में विटामिन ई की मात्रा पायी जाती है जो आंखों के लिए सबसे जरूरी है. ये आंखों की झिल्लियों की कोशिकाओं को फ्री रेडिकल के डैमेज से बचाते हैं. इसलिए सभी को बादाम, अखरोट, मूंगफली और सूरजमुखी के बीज आदि को खाना चाहिए.
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लहसुन
आयुर्वेद में लहसुन का उपयोग कई सारी औषधीय गुणों के रूप में जाना जाता है. अगर आप सही मात्रा में लहसुन का सेवन करते हैं तो मोतियाबिंद आदि को घर पर ही कम किया जा सकता है. लहसुन की कुछ कलियां लें और उन्हें चबा लें. ऐसा करने से लहसुन में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण आपकी आंखों में तनाव को कम करता है साथ ही मोतियाबिंद के प्रभाव को रोकने में मदद कर सकता है.
ध्रूमपान न करें
मोतियाबिंद की समस्या को ध्रूमपान और भी गंभीर बना सकता है. क्योंकि इसके धुएं में शामिल जहरीले केमिकल्स आंखों के लेंस में मौजूद प्रोटीन को हानि पहुंचा सकता है. इसलिए ध्रूमपान करने से बचें.
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Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.