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Smoking : नॉन स्मोकर्स में बढ़ता लंग कैंसर का खतरा? बीड़ी-सिगरेट के अलावा यह कारक हैं जिम्मेदार

Smoking : लंबे समय से धूम्रपान करने वाले व्यक्ति को फेफड़े का कैंसर(lung cancer) या क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पलमोनरी डिजीज (COPD)जैसी बीमारी होती है.

Smoking : लंबे समय से धूम्रपान करने वाले व्यक्ति को फेफड़े का कैंसर(lung cancer) या क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पलमोनरी डिजीज (COPD)जैसी बीमारी होती है. यह बात तो बहुत आम हो चुकी है, लेकिन कुछ शोध में यह पता चला है कि धूम्रपान न करने वालों में भी लंग कैंसर का खतरा होता है और पिछले कुछ समय में इन मामलों में वृद्धि भी हुई है, जो की एक बड़ी चिंता का विषय है. फेफड़ों के कैंसर के सभी केसेस में लगभग 12% से 15% हिस्से में धूम्रपान न करने वाले लोग शामिल हैं.

Smoking : किन लोगों को है लंग कैंसर का खतरा?

अगर किसी व्यक्ति के आसपास के लोग धूम्रपान करते हैं और वह व्यक्ति नियमित रूप से उस व्यक्ति के संपर्क में आता है तो यह उसके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है. सतहों पर जमा हो जाने वाले थर्ड हैंड स्मोक के अवशिष्ट विषाक्त कण व्यक्तियों, बच्चों और पालतू जानवरों विश्वास को प्रभावित करते हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO ने यह बताया है कि दुनिया के 99% आबादी प्रदूषित हवा में सांस ले रही है और जलवायु में होने वाले परिवर्तन का एक मुख्य कारण है वायु प्रदूषण. यह फेफड़ों के स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है, खास करके बच्चे, बुज़ुर्ग और श्वसन संबंधि बीमारियों से ग्रसित लोगों के लिए हवा असुरक्षित है.

Smoking : धूम्रपान न करने बालों को क्यों होता है यह खतरा?

हर साल 25 सितंबर को विश्व फेफड़ा दिवस को फेफड़ों के स्वास्थ्य के लिए जागरूकता बढ़ाने और फेफड़ों की देखभाल को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है. लंग कैंसर जैसी फेफड़ों की समस्याओं का प्राथमिक कारण है धूम्रपान, अगर आप धूम्रपान करते हैं तो या आपके फेफड़ों के स्वास्थ्य के लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं है. धूम्रपान छोड़ने से फेफड़ों के स्वास्थ्य में सुधार होता है और लंग कैंसर, क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पलमोनरी डिजीज COPD जैसी बीमारियां होने का खतरा कम होता है.

हालांकि, धूम्रपान न करने वालों में भी श्वसन संबंधी स्थितियों में वृद्धि हुई है. धूम्रपान न करने वालों को लंग कैंसर का खतरा दो कारण से होता है, पहले किसी ऐसे व्यक्ति के संपर्क में नियमित रूप से आना जो कि धूम्रपान करता है, इसे सेकंड हैंड स्मोकिंग कहते हैं. और दूसरा वायु प्रदूषण या फिर किसी भी तरह की जहरीली हवा में लंबे समय तक सांस लेना. नॉनस्मोकर्स में लंग कैंसर यह दो मुख्य कारण है.

वायु प्रदूषण में मौजूद सूक्ष्म प्रदूषक फेफड़ों में जाकर कोशिकाओं को क्षति पहुंचाते हैं और सूजन के कारक होते हैं, जो समय के साथ कैंसर के उत्परिवर्तन का कारण बनते हैं. यह केवल फेफड़े कोई नहीं बल्कि धीरे-धीरे प्रतिरक्षा प्रणाली को भी कमजोर कर देते हैं.

Smoking : क्या है हैंड स्मोकिंग?

नॉन स्मोकर्स में देन कैंसर का खतरा बढ़ने का एक और कारण है जो है हैंड स्मोकिंग. और स्मोकिंग दो प्रकार की होती है सेकंड हैंड और थर्ड हैंड स्मोकिंग सेकंड हैंड स्मोकिंग होती है जब कोई व्यक्ति धूम्रपान करने वाले व्यक्ति के साथ नियमित रूप से संपर्क में आता है और जब जहरीले धुएं के अवशिष्ट विषाक्त पदार्थ के कण सांस के द्वारा फेफड़ों में जाते हैं और उन्हें क्षति पहुंचाते हैं अभिषेक थर्ड हैंड स्मोकिंग कहते हैं.

Smoking : इस समस्या के अन्य कारक?

धूम्रपान न करने वालों में फेफड़ों की समस्याओं के लिए बचपन में होने वाले सांस संक्रमण जिम्मेदार होते हैं. यह संक्रमण वयस्क होने पर भी होते हैं. बचपन में बार-बार सांस संबंधी समस्याएं होने पर फेफड़ों में ब्रोंकाइटिस हो सकता है और सिस्टिक समस्याएं भी फेफड़ों को खराब करने के लिए जिम्मेदार होती है. श्वसन संबंधी संक्रमण जैसे की क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पलमोनरी डिजीज COPD, अस्थमा, ट्यूबरक्लोसिस TB जैसी सांस की समस्याएं धूम्रपान न करने वालों में सबसे आम है, जिसका कारण है प्रतिरक्षा क्षमता के स्तर का कम होना.

इसीलिए बचपन में जब भी जुकाम या खांसी बार-बार हो तो तुरंत अपने चिकित्सक से संपर्क करके इसकी जांच करवानी चाहिए क्योंकि अगर यह समस्या आपको लंबे समय तक हो रही है तो यह आगे चलकर फेफड़ों की किसी बड़ी बीमारियों की जिम्मेदार हो सकती है. इसके अलावा धूम्रपान की गंदी लत को त्याग देना चाहिए, स्वच्छ हवा में सांस लेनी चाहिए और विभिन्न जगहों पर जोखिमों के बारे में जागरूकता होने से हम इस खतरनाक बीमारी से बचाव कर सकते हैं.

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