Health Tips: अच्छा स्वास्थ्य सबकी चाहत होती है. लेकिन अक्सर हम बीमारियों से ग्रस्त हो जाते हैं. ऐसे में अपनी आदत में थोड़ा बदलाव करके हम स्वस्थ जीनव पा सकते है. यही नहीं, जीवनशैली और खान-पान में बदलाव करके खुद को मानसिक और शारीरिक तौर पर स्वस्थ भी रख सकते हैं. जीवन से जुड़े ऐसे ही अनेक पहलुओं के बारे में आज आपको बताने वाले हैं.
जागने की क्रिया : सूर्योदय से दो घंटे पहले बिस्तर छोड़ दें. इस समय वातावरण में शांति और सात्विकता बनी रहती है. प्रातः काल दिनभर की कार्य योजना बना लें. इससे आपका दिन व्यवस्थित तरीके से गुजरेगा. सुबह जागने के बाद बहुत सारे लाभदायक बैक्टीरिया हमारे मुंह में मौजूद होते हैं. इसलिए, सुबह उठने के बाद बिना कुल्ला किये ही गुनगुना पानी पीएं.
रोजाना मुख धोने के बाद खाली पेट 2 गिलास गुनगुना गर्म पानी पीएं. मोटापे से ग्रसित लोग गुनगना पानी जरूर लें. आयुर्वेद में इसे ही उषः पान कहा जाता है. इससे मल-मूत्र का त्याग ठीक तरह से हो पाता है. हमेशा बैठकर पानी पीएं. खड़े-खड़े पानी पीने से घुटने या जोड़ों में दर्द हो सकता है.
प्रातः काल नियमित मल-त्याग की आदत विकसित करें. इस तनावपूर्ण और व्यस्त जीवन में कई लोगों को समय पर मल के वेग का अनुभव नहीं होता. इसके अनेक कारण हैं, जैसे- रात में लिए गये भोजन का न पचना, पूरी नींद न लेना, अधिक तनाव रखना इत्यादि. इन कारणों से वातकारक भोजन (भारी दाल या तला हुआ पदार्थ) लेने से आंतों में वात जमा हो जाता है. इससे मल-त्याग की गति में रुकावट पैदा होती है.
आयुर्वेद में खान-पान को समय, मौसम और शारीरिक प्रकृति के आधार पर निर्धारित किया गया है. भोजन में सभी 6 रस शामिल हो. ये 6 रस हैं- मीठा, नमकीन, खट्टा, कड़वा, तीखा और कसैला.
जाड़े में तिल से बने पदार्थ लें. तिल का लड्डू या तिलकुट खाएं. इसके अलावा सोंठ का लड्डू रोजाना खाएं. मेथी का लड्डू फायदेमंद होता है. इससे ठंड से बचाव होता है.
सब्जियों को पकाने में अधिक समय न लगाएं. सब्जियां न अधिक पकी हों और न ही कच्ची.
चीनी के स्थान पर शहद या गुड़ लें. मैदे के स्थान पर चोकरयुक्त आटा और दलिया खाएं.
अदरक का एक छोटा-सा टुकड़ा लें और उसे तवे पर भून लें. ठंडा होने पर इस पर थोड़ा-सा सेंधा नमक लगाएं. अब इस टुकड़े को भोजन करने से 5 मिनट पहले खा लें. इससे भूख बढ़ती है और पाचन क्रिया सही रहती है.
जंक फूड में सोडियम, ट्रांस फैट और शर्करा प्रचुर मात्रा में होती है. ऐसे फूड लेने से परहेज करें.
भोजन करने से आधा घंटा पहले और आधे घंटे बाद पानी पीएं. जरूरत होने पर भोजन करते वक्त एक-दो घूंट पानी पी सकते हैं. सादा या गुनगुना पानी पीएं. भोजन के तुरंत बाद पाचन क्रिया शुरू हो जाती है. पाचन क्रिया में अग्नि की बड़ी भूमिका है. यदि बीच-बीच में पानी देकर उसको ठंडा करते रहेंगे, तो अग्नि बुझ जायेगी. इससे भोजन का पाचन सही तरीके से नहीं होगा और अम्ल बनने लगेगा. इससे अनेक वात या व्याधि होने लगती है. एसिडिटी और अपच जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं.
हफ्ते में बार-बार पनीर न खाएं. सप्ताह में दो या तीन बार ही दही खाएं. रोजाना दही खाने से मोटापा, जोड़ों का दर्द, डायबिटीज आदि बीमारियां हो सकती हैं. दही में गुड मिलाकर खाएं. जिन्हें जोड़ों का दर्द हो, एलर्जी हो, वे दही और केला न ही खाएं.
आयुर्वेद में खान-पान की कुछ चीजों का कॉम्बिनेशन सही नहीं माना गया है, जैसे- दूध और दही एक साथ नहीं खाएं. फल के साथ दूध का सेवन न करें. ज्यादा ठंडी दही के साथ गर्म पराठे न खाएं. दूध के साथ ऐसी चीजें न लें, जिसमें नमक मिला हो.
Posted by: Pritish Sahay
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.