International Women Day: अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस हर साल 8 मार्च को मनाया जाता है. इस दिवस का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक करना और समाज में पुरुषों के बराबरी महिलाओं को दर्जा प्राप्त करवाना है. ताकि महिलाओं के साथ किसी भी क्षेत्र में भेदभाव न किया जाए. इस महिला दिवस पर हम बताएंगे कि महिलाओंं के लिए जरूरी मेडिकल जांच क्या हैं. आमतौर पर महिलाएं रेगुलर मेडिकल रूटीन चेकअप कराने से कतराती हैं. अगर वे ऐसा करें, तो निश्चय ही शारीरिक-मानसिक रूप से स्वस्थ रहेंगी. साथ ही जीवन में अपने सपनों को हासिल कर पायेंगी. हमारे विशेषज्ञ डॉ अंजली कुमार, स्त्री रोग विशेषज्ञ, सीके बिड़ला हॉस्पिटल, गुरुग्राम
डॉ वीणा मिधा, स्त्री रोग विशेषज्ञ, अवंतिका स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, दिल्ली ने इस संबंध में कुछ जानकारी दी है.
पेल्विक एरिया का अल्ट्रासाउंड
हार्मोन असंतुलन के कारण महिलाएं पीरियड्स में अनियमितता, हेवी ब्लीडिंग, वाइट डिस्चार्ज या ल्यूकोरिया होने जैसी समस्याएं कम उम्र में पीरियड्स के साथ शुरू हो जाती है. इनसे एब्नार्मल यूटराइन ब्लीडिंग, पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम, यूटरस में सूजन जैसी बीमारियां होने का अंदेशा रहता है. अनदेखी करने पर इंफर्टिलिटी भी हो सकती है. इनका पता लगाने के लिए महिला के एब्डोमेन या पेल्विक एरिया का अल्ट्रासाउंड किया जाता है.
हीमोग्लोबिन एचबी टेस्ट
शरीर में सूजन, थकान महसूस करना, सांस फूलना, आंखों के आग अंधेरा छाना जैसी समस्याएं खून में हीमोग्लोबिन लेवल की कमी (10 ग्राम प्रति डेसीलीटर से कम ) से होती हैं. इसके लिए ब्लड टेस्ट करवाना जरूरी है.
ब्रेस्ट कैंसर स्क्रीनिंग
20 से 22 साल की उम्र की महिलाओं को हर महीने पीरियड्स के बाद ब्रेस्ट सेल्फ-एग्जामिनेशन जरूर करना चाहिए. ब्रेस्ट में किसी तरह के बदलाव या कोई गांठ महसूस हो या फैमिली हिस्ट्री हो, तो महिलाओं को साल में एक बार क्लीनिकल ब्रेस्ट एग्जामिन कराना चाहिए. इसमें मेमोग्राम, ब्रेस्ट अल्ट्रासाउंड या एमआरआइ स्कैन किया जाता है. प्री-मेनोपॉज स्टेज पर पहुंची 38-40 वर्ष की उम्र की महिलाओं को साल में एक बार ब्रेस्ट अल्ट्रासाउंड कराना चाहिए, 40-45 वर्ष की उम्र के बाद 2 साल में एक बार मेमोग्राम कराना चाहिए और 55 साल के बाद हर दो साल में जांच करायी जानी चाहिए.
पैप स्मीयर स्क्रीनिंग
सुरक्षा के लिहाज से सर्वाइकल कैंसर की जांच के लिए 21 वर्ष की उम्र में महिलाओं को वर्ष में एक बार पैप स्मीयर स्क्रीनिंग या ह्यूमन पैपिलोमा वायरस टेस्ट जरूर करवाना चाहिए. जिन महिलाओं को पहले सर्वाइकल डिसप्लेसिया विकार हो चुका है, उन्हें शादी के बाद या 25 वर्ष की उम्र में सर्वाइकल कैंसर स्क्रीनिंग करानी चाहिए. 30 वर्ष के बाद हर 3 साल के अंतराल में और 40 वर्ष की उम्र के बाद 5 साल के अंतराल में 65 साल तक टेस्ट करवानी चाहिए.
बोन मिनरल डेंसिटी टेस्ट
मेनोपॉज के कारण महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन बहुत तेजी से कम होने लगता है, जिससे उनमें हड्डियों के क्षरण या ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ जाता है. इससे बचने के लिए 50 साल के बाद उन्हें हर दो साल मे नियमित रूप से बीएमडी टेस्ट यानी डेक्सा स्कैन (ड्योल-एनर्जी एक्स-रे एब्सोप्टिओमीटरी) करवाना चाहिए.
थॉयराइड टीएसएच टेस्ट
महिलाएं थॉयराइड ग्लैंड में हॉर्मोन असंतुलन की वजह से अक्सर एक्टिव थॉयराइड या हाइपो थॉयराइड की समस्या से जूझती हैं. इसके पीछे आनुवंशिक या मेनोपॉज कारण होते हैं. महिलाओं को थॉयराइड के स्तर की जांच के लिए हर तीन साल में टीएसएच ब्लड टेस्ट कराना चाहिए.
लिपिड प्रोफाइल
हार्ट डिजीज से बचने के लिए 45 साल की उम्र की महिलाओं को अपना कोलेस्ट्रॉल लेवल जरूर चेक कराना चाहिए और हर पांच साल बाद रिपीट करना चाहिए.
ब्लड प्रेशर स्क्रीनिंग
ब्लड प्रेशर लेवल 80/130 मिलीमीटर(एमएमएचजी) से अधिक होने पर कोरोनरी हार्ट डिजीज या हार्ट अटैक का खतरा रहता है. 18 साल से अधिक उम्र की महिलाओं को हर 2 साल में एक बार बल्ड प्रेशर चेक कराना चाहिए.
डायबिटीज स्क्रीनिंग
ब्लड शूगर लेवल चेकअप के लिए साल में एक बार एचबी ए1सी ब्लड टेस्ट कराना चाहिए. वे महिलाएं जिनका ब्लड प्रेशर130/80 मिमी एचजी या अधिक हो, बीएमआइ इंडेक्स 25 से अधिक हो, डायबिटीज या हार्ट डिजीज की फैमिली हिस्ट्री रही हो या फिर प्रेगनेंट हों- उन्हें डायबिटीज टेस्ट नियमित रूप से कराना चाहिए.
लिवर फंक्शन टेस्ट
महिलाओं में बीएमआइ इंडेक्स ज्यादा होने का असर लिवर पर भी पड़ता है और यह लिवर सिरोसिस का कारण भी बन सकता है. लिवर के फंक्शन की जांच के लिए महिलाओं को साल में एक बार एसजीओटी या एसजीपीटी या एल्कालाइन फॉस्फोटेस टेस्ट करवाना चाहिए.
आइज चेकअप
50 साल की उम्र तक की महिलाओं को 1-2 साल में एक बार आइज-चेकअप कराना चाहिए, ताकि ग्लूकोमा डिजीज या नजर कमजोर होने का पता लग सके.
(शमीम खान से बातचीत पर आधारित)
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.