Parenting Tips: मां का दूध बच्चे के लिए अमृत होता है. यह बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए बेहद जरूरी होता है, क्योंकि मां के दूध में कई पोषक तत्व मौजूद होते हैं. इसलिए डॉक्टर बच्चे के जन्म से 6 महीने तक सिर्फ मां का ही दूध पिलाने की सलाह देते हैं. लेकिन कई बार काम के दबाव और परेशान होने के कारण मां ब्रेस्ट फीडिंग की बजाय बॉटल फीड पर ज्यादा जोर देते हैं. यह मां के लिए तो ठीक हो सकता है, लेकिन बच्चे के स्वास्थ्य पर इसका बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है. यह बच्चे के लिए विभिन्न प्रकार की समस्याएं उत्पन्न कर सकते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कि बच्चे को बोतल से दूध पिलाने पर क्या-क्या समस्याएं हो सकती हैं.
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इंफेक्शन की समस्या
जो बच्चे मां का दूध पीने के बजाय बोतल से दूध पीते हैं, उनमें इंफेक्शन का खतरा बढ़ सकता है. इन बच्चों में डायरिया, सीने में संक्रमण, यूरिन इंफेक्शन जैसी कई समस्याएं हो सकती हैं. ऐसे में 6 महीने तक बच्चे को सिर्फ मां का ही दूध पिलाना चाहिए.
शारीरिक और मानसिक विकास में बाधा
प्लास्टिक के बोतल से दूध पिलाना बच्चे के लिए बहुत ही नुकसानदायक होता है, क्योंकि बच्चे माइक्रोप्लास्टिक के संपर्क में आ जाते हैं. आयरलैंड हुए शोध के मुताबिक, यह पता चला है कि अगर बच्चा बोतल से दूध पीता है, तो रोजाना बच्चे के शरीर में एक मिलियन से ज्यादा माइक्रोप्लास्टिक इकट्ठा होते हैं. ऐसे में यह बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास में बाधा पैदा होती है.
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बच्चे के लंग्स पर बुरा असर
प्लास्टिक के बोतल और रबड़ के निप्पल से दूध पीने पर बच्चे के लंग्स पर बहुत बुरा असर पड़ता है. ब्रेस्ट फीडिंग के मुकाबले रबड़ के निप्पल से दूध पीने पर बच्चे का लंग्स कमजोर हो जाता है. ऐसा होने पर बच्चे को सांस लेने में परेशानी हो जाती है.
मोटापा का खतरा
जब बच्चा ब्रेस्ट फीडिंग की बजाय बॉटल फीड करता है, तो यह उसके शरीर पर बहुत ही बुरा असर डालता है. इससे बच्चे के मोटापे की समस्या का खतरा रहता है. खासकर जब बच्चा पाउडर वाला दूध या जानवर का दूध पीता है, तो यह खतरा और बढ़ जाता है.
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Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.