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कोरोना संकट में कैसे रखें मेंटल हेल्थ का ध्यान, बता रहे हैं मनोचिकित्सक

कोरोना संकट के बीच मेंटल हेल्थ का ध्यान कैसे रखा जा सकता है. इस बारे में बता रहे हैं मनोचिकित्सक डॉ. पवन अग्रवाल और डॉ. सिद्धार्थ सिन्हा. आईए जानते हैं कि खुद को दिमागी तौर पर तरोताजा रखने के लिये क्या किया जा सकता है.

रांची: कोरोना संकट ने लोगों को ना केवल शारीरिक तौर पर परेशान किया है, बल्कि लोग मानसिक बीमारियों का भी शिकार होने लगे हैं. दुनियाभर में चारों और मौत के मंजर और लॉकडाउन में घरों में कैद होने की वजह से लोग बैचेनी, चिड़चिड़ापन, गुस्सा, एंग्जाइटी और घबराहट जैसी समस्याओं का सामना कर रहे हैं.

बुजुर्ग और बच्चे इस समस्या से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं. कोरोना संक्रमित भी गंभीर मानसिक विकार का सामना कर रहे हैं.

क्यों मानसिक परेशानी का सामना कर रहे लोग

लेकिन, ये स्थिति क्यों आ रही है. इससे कैसे बचा जा सकता है. इस बारे में प्रभात खबर से बातचीत की डॉ. पवन अग्रवाल ने. सुनिये वो क्या कहते हैं.

काइंडनेस इस बार है मेंटल हेल्थ वीक का थीम

आपको बता दें कि 13 मई से पूरी दुनिया में मेंटल हेल्थ वीक मनाया जा रहा है. इस बार का थीम काइंडनेस है. यानी की दयालु होना या खयाल रखना. इसका आशय है कि हमें वैसे लोगों का ख्याल रखना होगा. पीड़ित के मानसिक स्थिति को ध्यान में रखना होगा. उन्हें अहसास दिलाना होगा कि वे अकेले नहीं है. जल्दी ही चीजें सामान्य हो जायेगी

बढ़ गयी है इन दिनों आत्महत्या की घटना

बीते दो तीन महीनों में आत्महत्या की घटनाएं बढ़ गयी है. हैरान करने वाली बात है कि आत्महत्या करने वाले ज्यादातर लोग या तो कोरोना के मरीज थे या कोरोना संदिग्ध थे. इस बात से भी अंदाजा लगाया जा सकता है कि लोग किस हद तक कोरोना महामारी में मानसिक विकार का सामना कर रहे हैं.

आपको कुछ ऐसी ही घटनाओं से रूबरु करवाते हैं. दिल्ली के एक अस्पातल में भर्ती में कोरोना संक्रमित सेना के जवान ने आत्महत्या कर ली.

दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कोरोना संक्रमित एक व्यक्ति ने अस्पताल की बिल्डिगं से छलांग लगाकर आत्महत्या कर ली. राजस्थान के अजमेर में कोरोना संदिग्ध मरीज ने अस्पताल के बाथरूम में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. झारखंड के एक कोरोना संक्रमित युवक ने कानपुर सीएचसी में सेनीटाइजर की शीशी पीकर आत्महत्या की कोशिश की.

आत्महत्या करने वालों में केवल आम लोग नहीं हैं. अमेरिका में एक सीनियर डॉक्टर ने आत्महत्या कर ली. न्यूयार्क की रहने वाली डॉक्टर लोर्ना ब्रीन ने आत्महत्या की. कहा जा रहा है कि मरीजों का इलाज करते हुये वो अवसाद का शिकार हो गयी थीं.

लेकिन इस समस्या से निपटा कैसे जाये. इस बारे में और भी विस्तार से बता रहे हैं रिनपास के मनोचिकित्सक डॉ. सिद्धार्थ सिन्हा.

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय की पहल

इधर केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने भी इस दिशा में पहल की है. सीबीएसई औऱ फिट इंडिया मूवमेंट साथ मिलकर छात्रों के लिये ऑनलाइन क्लासेज चला रही है. जिसमें शारीरिक गतिविधि, योगा और मेडिटेशन के जरिये बच्चों को मानसिक स्वास्थ्य मजबूत बनाने में मदद दी जा रही है.

Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

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