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जानें क्या होता है स्टमक फ्लू, सर्दी के मौसम में कैसे करें खुद का और दूसरों का बचाव

पेट फ्लू शब्द का प्रयोग आमतौर पर वायरल गैस्ट्रोएंटेराइटिस के संदर्भ में किया जाता है, जो विभिन्न वायरस, जैसे नोरोवायरस या रोटावायरस के कारण होने वाला आंतों का संक्रमण है. वायरल गैस्ट्रोएंटेराइटिस पेट और आंतों को प्रभावित करता है.

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जानें क्या होता है स्टमक फ्लू, सर्दी के मौसम में कैसे करें खुद का और दूसरों का बचाव 2

सर्दियों का मौसम मतलब अधिकतर बीमारियों का मौसम. इस मौसम में अधिकांश लोगों को वायरल फ्लू हो जाता है. इसमें रिस्पेरिटरी सिस्टम पर वायरस का हमला होता है. आपको जानकर हैरानी होगी कि इस वायरस का हमला आंतों में भी हो सकता है. इसे पेट का फ्लू या स्टमक फ्लू कहा जाता है. इसमें दस्त, पेट में क्रैंप, मतली, उल्टी जैसी शिकायतें रहती हैं. अगर यह ज्यादा दिनों तक लगातार हो रहा है तो इससे कई अन्य बीमारियां भी हो सकती है. इसकी सबसे बड़ी खराबी ये है कि ये फैलने वाली बीमारी है. जब किसी को पहले से स्टमक फ्लू होता है तो संक्रमित व्यक्ति के संपर्क से दूसरे व्यक्ति में भी यह बीमारी हो सकती है. वायरल गैस्ट्रोएंटेराइटिस पेट और आंतों को प्रभावित करता है. आमतौर पर स्टमक फ्लू का खतरा नवजात बच्चे, बुजुर्ग और कमजोर इम्यून वाले लोगों में ज्यादा रहता है.

पेट फ्लू के प्रमुख लक्षण
  • अचानक मतली आना

  • अक्सर उल्टी और दस्त होना

  • पेट में ऐंठन और बेचैनी

  • हल्का बुखार

  • पेट में क्रैंप या दर्द रहना

  • ज्यादा गंभीर होने पर मसल्स में ऐंठन

  • अचानक से सिर में कभी-कभी दर्द

रोकने के उपाय

पेट फ्लू को फैलने से रोकने के लिए स्वच्छता और हाइजीन मेंटेन करना बहुत जरूरी है.

  • हाथ की स्वच्छता– हाथों को साबुन और पानी से अच्छी तरह धोएं. खासकर शौचालय का उपयोग करने के बाद और खाने से पहले. यदि साबुन और पानी आसानी से उपलब्ध नहीं है तो अल्कोहल-आधारित हैंड सैनिटाइजर का उपयोग करें.

  • साफ भोजन– सुरक्षित भोजन प्रबंधन और तैयारी का अभ्यास करें. फलों और सब्जियों को अच्छी तरह धोएं. किसी भी संभावित वायरस को मारने के लिए मांस और समुद्री भोजन को अच्छी तरह से पकाएं.

  • हाइड्रेशन- उल्टी और दस्त के कारण होने वाले डिहाईड्रेशन को रोकने के लिए खूब सारे तरल पदार्थ पिएं. इलेक्ट्रोलाइट्स युक्त डिहाईड्रेशन समाधान फायदेमंद हो सकते हैं, खासकर छोटे बच्चों और बड़े वयस्कों के लिए.

  • अलग रहना- जिन व्यक्तियों में पेट फ्लू के लक्षण हों, उनके डायरेक्ट संपर्क से बचें. दूसरों में वायरस फैलने से रोकने के लिए बीमार होने पर घर पर ही रहें.

  • आराम और रिकवरी- शरीर को ठीक होने के लिए भरपूर आराम दें और बीमारी के तीव्र चरण के दौरान जोरदार गतिविधियों से बचें.

  • चिकित्सकीय सहायता- अगर लक्षण गंभीर हो और लगातार बना रहें या डिहाईड्रेशन के बारे में चिंता हो तो डॉक्टर से परामर्श लें.

  • टीकाकरण- वायरल गैस्ट्रोएंटेराइटिस के कुछ मामलों को टीकाकरण के माध्यम से रोका जा सकता है. उपलब्ध टीकों, विशेषकर रोटावायरस के लिए डॉक्टरों से संपर्क करें.

इन सावधानियों का पालन करके, व्यक्ति पेट फ्लू के संकुचन और फैलने के जोखिम को कम कर सकते हैं

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  • जब उल्टी, दस्त दो दिनों से ज्यादा तक परेशान करने लगे

  • जब तरल पदार्थों को पेट में रखने की क्षमता कम हो जाए

  • जब ज्यादा प्यास, मुंह सूखना, कम पेशाब आदि की शिकायतें हों

  • जब उल्टी के साथ ब्लड भी आए

  • जब पेट में बहुत तेज दर्द होने लगे

  • जब 104 डिग्री से ज्यादा बुखार लग जाए

  • जब बहुत ज्यादा कमजोरी और चक्कर आने लगे

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Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

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