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लाइलाज है मंकीपॉक्स वायरस, ये लक्षण दिखें तो हो जाएं सतर्क, जान लें इससे जुड़ी खास बातें

Monkeypox Virus Latest Updates : विशेषज्ञों के मुताबिक, मंकीपॉक्स एक वायरल इन्फेक्शन है, जो ज्यादातर चूहों और बंदरों से इंसानों में फैलता है. संक्रमित जानवरों के संपर्क में आने से मंकीपॉक्स बीमारी का खतरा बढ़ जाता है.

Monkeypox Virus : कोरोना वायरस का खतरा अभी टला नहीं है. लगातार बदल रहे म्यूटेंट की वजह से पूरी दुनिया अब तक इस महामारी से जूझ रही है. इन दिनों यह वायरस चीन और उत्तर कोरिया में कहर बरपा रहा है. इस बीच ब्रिटेन में अब एक और वायरस ने दस्तक दे दी है. इस वायरस का नाम ‘मंकीपॉक्स’ है. यह बीमारी चूहों या बंदरों जैसे संक्रमित जीवों से मनुष्य में फैलती है. ब्रिटेन के स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक, संक्रमित व्यक्ति हाल ही में नाइजीरिया से आया है. इससे लोगों में दहशत का माहौल है. ऐसे में जानें मंकीपॉक्स के लक्षण, उसके जोखिम और बचाव के बारे में.

विशेषज्ञों ने क्‍या कहा मंकीपॉक्स को लेकर

ब्रिटेन की हेल्थ प्रोटेक्शन एजेंसी (यूकेएचएसए) के विशेषज्ञों के मुताबिक, मंकीपॉक्स एक वायरल इन्फेक्शन है, जो ज्यादातर चूहों और बंदरों से इंसानों में फैलता है. संक्रमित जानवरों के संपर्क में आने से मंकीपॉक्स बीमारी का खतरा बढ़ जाता है. यह ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस से संबंधित है, जिसमें वेरियोला वायरस, वैक्सीनिसा वायरस और काउपॉक्स शामिल है. स्वास्थ्य एजेंसी अनुसार, मंकीपॉक्स की खोज पहली बार वर्ष 1958 में हुई थी, जब शोध के लिए रखी गयी बंदरों की कॉलोनियों में चेचक जैसी बीमारी के दो प्रकोप हुए, जिससे इस बीमारी का नाम ‘मंकीपॉक्स’ पड़ा. जबकि, मनुष्य में ट्रांसमिशन का पहला मामला वर्ष 1970 में कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में दर्ज किया गया था.

ये लक्षण दिखें, तो हो जाएं सतर्क

मंकीपॉक्स एक रेयर डिजीज है, जो स्मॉल पॉक्स की तरह दिखता है. इस बीमारी में चेचक के लक्षण दिखायी देते हैं. हालांकि, ये कम गंभीर होते हैं. शुरुआत में वायरस से बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, पीठ दर्द, सूजन लिम्फ नोड्स, ठंड लगना और थकावट हो सकती है. इसमें चेचक के समान दाने पूरे शरीर में फैल जाते हैं, जो अक्सर चेहरे से शुरू होते हैं. आखिरी में एक पपड़ी बनने से पहले अलग-अलग स्टेज से गुजरते हैं और फिर गिर जाते हैं. संक्रमित रोगी के संपर्क में रहने से यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है.

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7 से 14 दिन तक रहती है इंक्यूबेशन पीरियड

जूनोटिक डिसीज के चलते मंकीपॉक्स में जानवरों से मानव में इंफेक्शन की अच्छी क्षमता है. जानवरों से मनुष्य में यह वायरस किसी चोट, सांस के जरिये या फिर आंख, नाक या मुंह के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर सकता है. इतना ही नहीं, यह वायरस दूषित चीजों जैसे बिस्तर और कपड़ों के संपर्क में आने से भी फैलता है. रोग का मनुष्य से मनुष्य इंफेक्शन तो सीमित है, लेकिन श्वसन की बूंदों के जरिये भी यह हो सकता है. इस वायरस का इंक्यूबेशन पीरियड यानी संक्रमण से लक्षणों तक का समय 7 से 14 दिन का होता है. आमतौर पर बुखार शुरू होने के एक से तीन दिन के भीतर मरीज को एक दाना विकसित होता है, जो चेहरे से शुरू होकर शरीर के अन्य हिस्सों में फैलता है. त्वचा के फटने का चरण 2 से 4 सप्ताह के बीच रहता है. इस दौरान घाव सख्त हो जाते हैं और इनमें दर्द भी होता है. आमतौर पर यह रोग 2 से 4 हफ्ते तक लगातार बना रहता है.

लाइलाज है मंकीपॉक्स वायरस

मंकीपॉक्स एक रेयर डिसीज है. इससे पीड़ित व्यक्ति में फ्लू के लक्षण दिखते हैं. अधिकांश लोग हफ्तों में ठीक हो जाते हैं, पर ज्यादा हालात बिगड़ने पर व्यक्ति को निमोनिया भी हो सकता है. फिलहाल, इस बीमारी का कोई इलाज उपलब्ध नहीं है, लेकिन स्मॉल पॉक्स वैक्सीन, एंटीवायरल व वीआइजी का उपयोग इस को रोकने के लिए किया जा सकता है. वहीं, मंकीपॉक्स के नेचुरल रिजवॉयर की अभी तक पहचान नहीं हो पायी है.

ऐसे करें ​मंकीपॉक्स से बचाव

-उन जानवरों के संपर्क में आने से बचें, जो वायरस फैला सकते हैं.

-बीमार जानवरों के संपर्क में आने से बचें.

-संक्रमित मरीजों को आइसोलेट करें.

-हाथों को बार-बार धोते हैं और इन्हें स्वच्छ रखें.

Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

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