- डॉ नवीन चौहान, बी० ए० एम० एस०, सी आर ए वी
- वरिष्ठ आयुर्वेद विशेषज्ञ, श्री धन्वन्तरि हॉस्पिटल, ग़ाज़ियाबाद
डायबिटीज या मधुमेह एक ऐसा मेटाबॉलिक डिसऑर्डर है जिसमें रक्त में ग्लूकोज या शुगर की मात्रा सामान्य से अधिक बढ़ जाती है. ऐसा हमारे शरीर के एक महत्वपूर्ण अंग पेनक्रियाज के ठीक से काम करना करने की वजह से होता है. पेनक्रियाज इंसुलिन हार्मोन का निर्माण करता है जो हमारे शरीर की कोशिकाओं को ग्लूकोस पहुंचने में मदद करता है तथा रक्त की अधिक ग्लूकोज को लिवर में ग्लाइकोजन के रूप में परिवर्तित कर स्टोर करने में भी मदद करता है.
डायबिटीज दो प्रकार की होती है. टाइप वन व टाइप 2. टाइप 1 डायबिटीज में इंसुलिन बनाने वाली पेनक्रियाज की बीटा सेल्स नष्ट हो जाती है. जिससे इंसुलिन का निर्माण काम होता है. वही टाइप टू डायबिटीज में हमारे शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन को ले नहीं पाती हैं. ऐसा असामान्य मेटाबॉलिज्म के कारण होता है.
डायबिटीज का सीधा संबंध मोटापे से है. डायबिटीज में ग्लूकोज के अतिरिक्त फैट के मेटाबॉलिज्म में भी समस्याएं आती हैं. आयुर्वेद में डायबिटीज में संबंधित रोगों का वर्णन काफी विस्तार से किया गया है. आयुर्वेद के अनुसार अत्यधिक आराम करने से, अत्यधिक सोने से, अच्छा दही आदि पदार्थ का अत्यधिक सेवन करने से, कफ दोष को बढ़ाने वाले भोजन करने से, दिन में सोने से, रात में जागने से, व्यायाम न करना, दुखी रहना यह सब प्रमेह के कारण है.
डायबिटीज के लक्षण क्या होते हैं
- ज्यादा भूख लगना
- ज्यादा प्यास लगना
- थकान होना
- चक्कर आना
- मूत्र मार्ग में संक्रमण होना
- त्वचा पर फंगल इन्फेक्शन होना
- कोई भी चोट लगने पर जख्म देर से भरना
- अगर लंबे समय तक डायबिटीज नियंत्रित न की जाए तो हृदय किडनी तंत्रिका तंत्र आंखों आदि अंगों पर बुरा प्रभाव डालकर उनका कार्य क्षमता प्रभावित करती है.
- यदि सुबह खाली पेट आपका खून में ग्लूकोज की मात्रा 120 मिलीग्राम प्रति डिसिलिटर से अधिक है तथा भोजन के डेढ़ 2 घंटे बाद ग्लूकोज की मात्रा 150 मिलीग्राम प्रति डिसिलिटर से अधिक है तो यह है डायबिटीज को कंफर्म करता है.
डायबिटीज में आयुर्वेदिक औषधियां
गिलोय
गुडुची या गिलोय के तने का प्रयोग गुरुजी की तने की डंडी को लगभग 4 से 6 इंच टुकड़ा काटकर उसे इमाम दस्ते में दरदरा कूट ले तथा पानी में मिलाकर काढ़ा बना ले. इसे सुबह व शाम खाली पेट पिए इससे आपका मेटाबॉलिज्म सुधरेगा और यह है नेक्स्ट पेनक्रियाज की बीटा सेल्स को पुनर्जीवित करने में भी मदद करेगा.
हल्दी
आधा से एक चम्मच हल्दी पाउडर को गुनगुने पानी में घोलकर पीने से मधुमेह नियंत्रण में काफी मदद मिलती है
आंवला
विटामिन सी का प्रमुख स्रोत होता है आंवला में वाला को आयुर्वेद में अमृत फल भी कहा गया है. यह शरीर के मेटाबॉलिज्म को सुधारने में अत्यंत लाभकारी है. आंवला के फल को ताज या सुखाकर चूर्ण बनाकर भी प्रयोग कर सकते हैं.
दालचीनी
दालचीनी भी आपके ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में अहम भूमिका निभाता है. आप दालचीनी वाले दूध में एक चुटकी हल्दी और एक चुटकी दालचीनी पाउडर मिलाकर पी लीजिए. इससे आपको काफी हद तक आराम मिलेगा.
काली मिर्च
काली मिर्च (black pepper) भी आप दूध में मिलाकर पी सकते हैं. एक गिलास गुनगुने पानी में दो चुटकी काली मिर्च में आप मिलाकर पीते हैं तो आपका बढ़ा हुआ ब्लड शुगर कंट्रोल में रहेगा. यह रामबाण औषधि है इस बीमारी के लिए. यह ब्लड वेसल्स को हेल्दी रखने में मदद करता है.
अमरूद के फल
अमरूद के फल को डायबिटीज के रोगी बिना किसी परेशानी के खा सकते हैं तथा अमरूद के पत्तों का सेवन भी ब्लड शुगर कंट्रोल करने में सहायक होता है.
गुड़मार के पत्ते
गुड़मार नाम के पौधे की पत्तियां पीसकर प्रयोग में लाई जाती हैं. यह अनेक आयुर्वेद औषधीय का घटक भी होता है. गुड़मार के पत्ते ब्लड ग्लूकोस कंट्रोल करने में काफी सहायक है.
सहिजन
सहिजन के फल को डायबिटीज के रोगी उबालकर अथवा सब्जी बनाकर प्रयोग कर सकते हैं. यह बहुत से विटामिनों और खनिजों से भरपूर होता है तथा मेटाबॉलिज्म को बेहतर करता है.
नीम की पत्तियां
नीम की पत्तियां भी डायबिटीज नियंत्रण में काफी लाभकारी सिद्ध होती हैं.
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अदरक
अदरक का सेवन भी मधुमेह के नियंत्रण में काफी सहायक है. इसका प्रयोग सब्जियों में अथवा चाय में कर सकते हैं.
विजयसार
विजयसार या वीजा एक वृक्ष है जिसकी लकड़ी डायबिटीज नियंत्रण में काफी प्रभावकारी सिद्ध हुई है. आजकल बाजार में इस लकड़ी के बने हुए गिलास भी उपलब्ध है. जिसमें डायबिटीज के रोगी पानी कुछ घंटे रखकर पी सकते हैं. इससे डायबिटीज नियंत्रण में काफी मदद मिलती है.
करेला
करेले में भी अनेक ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो शुगर के रोगियों के लिए रामायण सिद्ध होते हैं. शुगर के रोगियों के लिए करेले का सेवन अत्यंत लाभकारी है.
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डायबिटीज रोगी क्या करें क्या ना करें
- अपने चिकित्सक से समय-समय पर मिलते रहे कई बार जब शुगर अत्यधिक बढ़ जाती है तो एलोपैथिक औषधियां अथवा इंसुलिन की भी आवश्यकता पड़ सकती है .अतः अपने डॉक्टर से हमेशा संपर्क में रहे ब्लड प्रेशर तथा हृदय की जांच तथा आंखों व किडनी की जांच भी समय-समय पर करवाते रहें.
- अपना ब्लड शुगर समय-समय पर चेक करते रहें भोजन संबंधित आदतों का पालन करें. लोग ग्लिसमिक इंडेक्स वाले भोज्य पदार्थों का सेवन करें. नियमित रूप से सैर करें या व्यायाम करें.
- शराब सिगरेट तंबाकू आदि का सेवन न करें. बाहर का खाना कम से कम खाएं. घर का ताजा खाना ही खाएं जंक फूड से बचें.
नोट: लेखक एक स्वतंत्र आयुर्वेद प्रैक्टिशनर है. यह लेख किसी चिकित्सकीय परामर्श का विकल्प नहीं है.
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.