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उपराष्ट्रपति नायडू ने चिकित्सकीय समुदाय के निस्वार्थ काम का सम्मान करने की अपील की
उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने विश्व स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर मंगलवार को लोगों से अपील की कि वे चिकित्सकीय समुदाय के नि:स्वार्थ कार्य का सम्मान एवं उसकी सराहना करें. उपराष्ट्रपति के कार्यालय ने ट्वीट किया, ‘‘चिकित्सकों एवं नर्सों के साथ किसी भी प्रकार का दुर्व्यवहार या उन पर हमला अस्वीकार्य है और इस प्रकार की घटनाओं के दोषियों के खिलाफ कड़े से कड़ा कदम उठाया जाना चाहिए.''
जब डॉक्टरों का हीरो की तरह किया गया स्वागत
आपको बता दें कि सोमवार को दिल्ली के अस्पतालों में काम करने वाले और Corona Virus से लड़ने वाले डॉक्टरों का स्वागत हीरो की तरह किया गया.
करोना मरीज़ों का इलाज करने वाले सभी डॉक्टरो की ललित होटेल में रहने की व्यवस्था की गयी है। ये डॉक्टर अपने घर नहीं जा सकते। इनके रहने की अच्छी व्यवस्था करना हमारा फ़र्ज़ है। https://t.co/Hatz7Pdlj2
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) April 6, 2020
दिल्ली के मुख्यमंत्री ने ट्वीट करके कहा कि करोना मरीज़ों का इलाज करने वाले सभी डॉक्टरों की ललित होटेल में रहने की व्यवस्था की गयी है ये डॉक्टर अपने घर नहीं जा सकते इनके रहने की अच्छी व्यवस्था करना हमारा फ़र्ज़ है.
प्रधानमंत्री मोदी का #WorldHealthDay पर ट्वीट
Today on #WorldHealthDay, let us not only pray for each other’s good health and well-being but also reaffirm our gratitude towards all those doctors, nurses, medical staff and healthcare workers who are bravely leading the battle against the COVID-19 menace. 🙏🏼
— Narendra Modi (@narendramodi) April 7, 2020
प्रधानमंत्री मोदी ने #WorldHealthDay पर, ट्वीट करके कहा है कि हमें आज न केवल एक-दूसरे के अच्छे स्वास्थ्य और कल्याण के लिए प्रार्थना करना है, बल्कि उन सभी डॉक्टरों, नर्सों, चिकित्सा कर्मचारियों और स्वास्थ्य सेवा कर्मियों के लिए भी प्रार्थना करना है जो, कोरोना से बहादुरी से लड़ रहे हैं.
एक नर्स में क्या-क्या गुण होने चाहिए
- ये बात सच है कि एक मरीज़ का इलाज डॉक्टर करता है, मगर उस मरीज़ की देखभाल नर्स करती है. वो मरीज़ के सिर्फ बाहरी ज़ख्मों पर ही नहीं बल्कि उसके अंदरूनी ज़ख्मों पर भी मरहम लगाती है.
- एक कुशल नर्स बनने के लिए सिर्फ त्याग के अलावा अच्छी ट्रेनिंग और तजुर्बा भी जरूरी होता है.
- इसके लिए ज़रूरी होता कि एक से लेकर चार साल तक या उससे भी ज्यादा समय तक पढ़ाई की जाए और प्रैक्टिकल ट्रेनिंग ली जाए.
- नर्सों को अपने पेशे से बहुत कुछ सीखने को मिलता है. इसीलिए पढ़ने की इच्छा और जो पढ़ा है उसे समझने की काबिलीयत होना बहुत ही आवश्यक है.
- नर्सों को खुद जल्द-से-जल्द निर्णय लेने और फौरन कदम उठाने की ज़रूरत आन पड़त सकती है. अत: उनमें ये क्षमता होना चाहिए
नर्सों की स्थिति दयनीय
हालांकि नर्सों की स्थिति सही नहीं है. दिन-रात काम करने वाली नर्सों के पास बेसिक मेडिकल किट भी नहीं है.
ऑल इंडिया गवर्नमेंट नर्सेज फेडरेशन की महासचिव जीके खुराना की मानें तो निजी अस्पताल में नर्सों का बुरा हाल है. मात्र 10 से 15 हजार रुपए में नर्स दिन-रात अपनी सेवा देती हैं. छोटे शहरों में तो हालात इससे भी बदतर हैं.
पिछले बार क्या था थीम?
डब्ल्यूएचओ हर साल स्वास्थ्य दिवस पर एक थीम निर्धारित करता है. पिछले वर्ष एवरीवन, एवरीवेयर थीम रखा गया था. जिसका मतलब था, सभी वर्ग के लोगों को बिना किसी वित्तीय कठिनाई के बेहतर स्वास्थ्य सेवा मिले. इस बार नर्सों के योगदान का थीम इसलिए रखा गया है क्योंकि, जिस तरह हमें स्वस्थ्य रहने के लिए दवा और सही खान-पान की जरूरत है उसी तरह नर्सें भी हमारी बेसिक नीड हैं. आपने देखा होगा किस तरह नर्सें दुनियाभर में कोरोना महासंकट से लड़ रही हैं.
वर्ल्ड हेल्थ डे कब से मनाया जा रहा?
7 अप्रैल 1948 को World Health Organisation की स्थापना हुई थी. 1948 में 7 अप्रैल, के दिन संयुक्त राष्ट्र संघ की एक अन्य सहयोगी और संबद्ध संस्था के रूप में दुनिया के 193 देशों ने मिल कर स्विट्जरलैंड के जेनेवा में विश्व स्वास्थ्य संगठन की नींव रखी थी. हालांकि, इसके दो वर्ष बाद 1950 में इसे लागू किया गया. उसी के बाद से विश्व स्वास्थ्य दिवस, हर वर्ष मनाया जाने लगा.
इस बार का थीम
इस उत्सव का उद्देश्य होता है लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना. इस बार का थीम उन नर्सों को समर्पित है जो अपने जीवन को खतरे में डाल लोगों की निस्वार्थ भाव से सेवा करती हैं. आप उनका योगदान Corona महामारी के दौरान देख सकते हैं. कैसे ये नर्स मरीजों को स्वस्थ्य करने के लिए अपने घर परिवार को छोड़ सेवा में जुड़ी हुई हैं.