झारखंड में 22 मार्च से लाॅकडॉउन शुरू हुआ था़ उसी दिन से सिविल कोर्ट को बंद कर दिया गया था़ सिविल कोर्ट 100 दिनों से बंद है़, इससे चार हजार वकीलों के सामने आर्थिक संकट की स्थिति है. वकीलाें का कहना है कि सरकार को सावधानियां बरतते हुए सिविल कोर्ट खोल देना चाहिए, ताकि वकीलों की कमाई शुरू हो सके.
पूर्व की तरह काम हो : हमारे समक्ष आर्थिक संकट है़ घर बैठे-बैठे पू री तरह बेरोजगारी की स्थिति है़ अब तो सरकार को चाहिए कि कोर्ट से खोल कर सारी सावधानियों के साथ पूर्व की तरह काम काज शुरू की जाये़
राजन कुमार, वकील
ऑनलाइन सुनवाई में परेशानी : ऑनलाइन सुनवाई में परेशानी हो रही है़ सामान्य दिनों में हर कोर्ट में कुछ न कुछ काम होता था, जिससे कुछ कमाई हो जाती थी़.ज्यादातर वकीलों के सामने आर्थिक संकट है़ कोर्ट शुरू किया जाना चाहिए.
मो अकील, वकील
कोर्ट हर हाल में शुरू हो : ऑनलाइन सुनवाई से मुवक्किल समझ नहीं पाते हैं कि वकील ने बहस की है़ वे फीस देने में आनाकानी करते हैं. कोर्ट खोल देना चाहिए. इससे वकील व उनसे जुड़े अन्य परिवारों की आर्थिक स्थिति सुधरेगी.
मो तनवीर, वकील
झारखंड एडवोकेट वेलफेयर फंड ट्रस्टी कमेटी कर रहा कुछ वकीलों की सहायता : संजय
झारखंड राज्य विधिक परिषद के सदस्य सह रांची जिला बार एसोसिएशन के पूर्व सचिव संजय विद्रोही का कहना है कि कई अधिवक्ता भुखमरी के कगार पर हैं, लेकिन शर्म से वे किसी से कुछ बोल भी नहीं पा रहे हैं. वकीलों के लिए झारखंड एडवोकेट वेलफेयर फंड ट्रस्टी कमेटी है, लेेकिन कमेटी भी कुछ ही वकीलों की सहायता कर रहा है. वर्तमान में 24 वकीलों को सहायता देने की लिस्ट कमेटी ने दी है. उनमें रांची का कोई वकील नहीं है.
Post By : Pritish Sahay