Kanpur News: इंडोनेशिया, श्रीलंका और फिजी ने कानपुर से मदद मांगी है. वे राष्ट्रीय शर्करा संस्थान (NSI) की मदद से अपनी चीनी मिलों को अत्याधुनिक करना चाहते हैं. चीनी के अलावा सह-उत्पादों का बेहतर उपयोग करना चाहते हैं. श्रीलंका के हर्बी डिक्कुंबुरा, फिजी के एरामी एस लेवारावु और इंडोनेशिया के मुहम्मद मुस्तंगिन ने कहा कि भारत की तुलना में चीनी मिलों की दक्षताएं काफी कम हैं. इसे बेहतर बनाने में मदद चाहिए. वहीं, विशेषज्ञों ने चीनी उद्योग के कचरे से राजस्व प्राप्त करने, हरित ऊर्जा के उत्पादन, संयंत्र दक्षता में सुधार के लिए तकनीकी हस्तक्षेप को बढ़ाने का प्रस्ताव रखा है. कई तकनीकी सत्रों में भारत समेत आस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, इंडोनेशिया, श्रीलंका, फिजी आदि देशों से आए प्रतिनिधियों ने चीनी मिल और शुगर इंडस्ट्री से जुड़ी चुनौती व अत्याधुनिक तकनीक पर मंथन किया.
संस्थान के निदेशक प्रो. नरेंद्र मोहन ने शीरा को चीनी उद्योग का च्वयनप्राश के बारे में जानकारी दी. उन्होंने कहा कि भौतिक-रसायन उपचार के साथ उचित पैकिंग की जाए तो शीरा कार्बोहाइड्रेट, विटामिन, पौष्टिक खनिज जैसे आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम आदि का उत्कृष्ट व सस्ता स्रोत होगा. कॉन्फ्रेंस के साथ लगे एक्सपो में जुआरी टीम के रमेश तिवारी, विजय मिश्रा ने बताया कि चीनी के कई प्रारूप तैयार हो रहे हैं. ब्राउन शुगर, बूरा शुगर, आइसिंग शुगर, सुपर फाइन शुगर, व्हाइट, फार्मास्युटिकल प्रमुख हैं.
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प्रो. डी स्वेन ने हरित ऊर्जा और शालिनी कुमारी ने चीनी उद्योग के अपशिष्ट से सक्रिय कार्बन के विकास की जानकारी दी. आस्ट्रेलिया की ज्योफ केंट ने जूस एक्सटेंशन प्रणाली का उपयोग कर अधिकतम चीनी रिकवरी पाने की तकनीक बताई. गन्ने के उत्पादन में तकनीक को बढ़ाने का सुझाव दिया. सीलोन शुगर इंडस्ट्री के एमडी हेरबी दिक्कुमबुरा ने प्रो. नरेंद्र मोहन को सम्मानित किया. ईरान के एल्हम बेरेनजियन ने मध्य पूर्वी देशों में कृत्रिम मिठास के बढ़ते व्यापार पर चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा कि कई देशों ने चीनी की खपत कम करने के लिए टैक्स लगा दिया है, जबकि सरकारों को इसके लिए जागरुकता फैलाना जरूरी है.