Jharkhand Crime News : (खूंटी) झारखंड की राजधानी से सटे उग्रवाद प्रभावित जिला खूंटी में पत्थलगड़ी समर्थक रामजीव मुंडा (27) की हत्या कर दी गयी है. जिकिलता जंगल से उसका शव बरामद हुआ है. बताया जाता है कि अज्ञात अपराधियों ने धारदार हथियार से काटकर उसे मार डाला है. मामला खूंटी थाना क्षेत्र का है. बताया गया है कि बुधवार देर शाम पहले से घात लगाकर बैठे चार बदमाशों ने उसकी हत्या कर दी. हमले में रामजीव का एक रिश्तेदार भी घायल हुआ है. रामजीव पर हमला करने वाले सभी लोग फरार हो गये. पुलिस इनकी तलाश में जुटी है.
इसके पहले खबर आयी थी कि खूंटी थाना क्षेत्र स्थित घाघरा गांव निवासी एक युवक की बुधवार की शाम चार बदमाशों ने धारदार हथियार से वार करके हत्या कर दी. हमले में युवक के एक चचेरे भाई को भी चोटें आयी हैं. घटना की सूचना मिलने के बाद पुलिस मौके पर पहुंची और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. हत्या के कारणों का पता नहीं चल पाया है. बताया गया है कि बुधवार शाम को वह अपने दो रिश्तेदारों के साथ घर लौट रहा था. इसी दौरान जिकिलता और घाघरा के बीच घात लगाकर बैठे बदमाशों ने उस पर हमला कर दिया.
सबसे पहले बदमाशों ने रामजीव की गर्दन और सिर पर धारदार हथियार से वार किया. घटनास्थल पर ही उसकी मृत्यु हो गयी. हमले के बाद जैसे ही रामजीव मुंडा जमीन पर गिरा, बदमाश वहां से भाग गये. बाद में रामजीव के रिश्तेदारों ने पुलिस को इसकी सूचना दी. सूचना पाकर पुलिस गुरुवार (25 जून, 2020) की सुबह घटनास्थल पर पहुंची और रामजीव के शव को बरामद किया. पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है.
Also Read: Jharkhand : डुमरी में कुल्हाड़ी मारकर युवक की हत्या, पुल निर्माण कंपनी में मुंशी था सोनूयहां बताना प्रासंगिक होगा कि वर्ष 2017-18 में पत्थलगड़ी आंदोलन ने देश के संविधान को ही खारिज कर दिया था. देश और संविधान विरोधी इस आंदोलन ने पूरे क्षेत्र में भूचाल ला दिया था. खूंटी जिला से ही पत्थलगड़ी के इस विकृत स्वरूप की शुरुआत हुई थी. पत्थलगड़ी समर्थकों ने कांकी में पुलिस प्रशासन के अधिकारियों को रात भर बंधक बनाकर रखा. झारखंड की राजधानी से जुड़ी हर Breaking News in Hindi से अपडेट के लिए बने रहें हमारे साथ.
इस मामले में 24 जून, 2017 को खूंटी थाना में पहली बार मुकदमा दर्ज हुआ था. इसके बाद जिला भर में पत्थलगड़ी से जुड़े 19 केस दर्ज किये गये. इनमें 172 लोगों को नामजद आरोपी बनाया गया. सैकड़ों अन्य लोगों के खिलाफ भी केस दर्ज हुआ. रामजीव मुंडा ने भी इस आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था. हालांकि, उसके खिलाफ पत्थलगड़ी के मामले में कोई केस दर्ज नहीं हुआ था.
पत्थलगड़ी के मास्टरमाइंड यूसुफ पुर्ति उर्फ प्रोफेसर व अन्य के बहकावे में आकर हजारों ग्रामीणों ने अपने आधार कार्ड, राशन कार्ड व मतदाता पहचान पत्र घाघरा गांव के बाहर खाली जगह पर जला दिये थे. इन्होंने कहा कि आदिवासी देश के राजा हैं. सभी गैर-आदिवासी उनकी प्रजा हैं. ऐसे में उन्हें सरकारी दस्तावेज की कोई जरूरत नहीं है. जंगल में उनका अपना कानून चलेगा. लोगों को देशविरोधी गतिविधियों के लिए भड़काने वाले यूसुफ पुर्ति, बेलोसा बबीता कच्छप सहित 100 से अधिक आरोपित अब भी फरार हैं.
Also Read: Jharkhand : डुमरी में कुल्हाड़ी मारकर युवक की हत्या, पुल निर्माण कंपनी में मुंशी था सोनूइन सभी लोगों पर असंवैधानिक पत्थलगड़ी करके समाज में वैमनस्यता फैलाने, सरकारी काम में बाधा डालने, देश विरोधी काम करने, बिना इजाजत निजी बैंक खोलने, तत्कालीन सांसद कड़िया मुंडा के आवास में तैनात सुरक्षाकर्मियों का अगवा करने, उनके हथियार लूटने तथा कोचांग में सांस्कृतिक दल की महिलाओं से सामूहिक दुष्कर्म करने का मामला शामिल है.
Posted By : Mithilesh Jha