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Betla National Park : शिकारियों सावधान ! बेतला नेशनल पार्क में अब 7 लेयर सिक्योरिटी से बच नहीं पाओगे

Jharkhand News : लातेहार जिले के बेतला नेशनल पार्क के जंगलों और जानवरों को नुकसान पहुंचाने वालों की अब खैर नहीं. वर्तमान समय में वन प्रबंधन अपराधियों पर लगाम कसने की बड़ी मुहिम चला रहा है. आधुनिक तकनीक का उपयोग करते हुए सुरक्षा व्यवस्था इतनी सख्त कर दी गयी है कि अपराधियों का बचना नामुमकिन है.

Jharkhand News : लातेहार जिले के बेतला नेशनल पार्क के जंगलों और जानवरों को नुकसान पहुंचाने वालों की अब खैर नहीं. मानसून (जुलाई -सितंबर) के दौरान वर्तमान समय में वन प्रबंधन अपराधियों पर लगाम कसने की बड़ी मुहिम चला रहा है. आधुनिक तकनीक का उपयोग करते हुए सुरक्षा व्यवस्था इतनी सख्त कर दी गयी है कि अपराधियों का बचना नामुमकिन है. जंगल में घुसते ही अपराधी सलाखों के पीछे नजर आने लगेंगे. नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी एनटीसीए की गाइडलाइन व वरीय पदाधिकारियों के निर्देश पर बेतला नेशनल पार्क में सात स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था लागू कर दी गयी है.

बेतला नेशनल पार्क में सुरक्षा काफी सख्त

बेतला नेशनल पार्क में एक ओर जहां 24 घंटे जंगल के अंदर बने टावर पर रिटायर्ड मिलिट्री फोर्स के जवानों के नेतृत्व में पांच ट्रैकर गार्ड सुरक्षा में जुटे हैं, वहीं सर्विलांस सिस्टम के जरिये रिकॉर्डिंग के साथ लाइव जंगल के कोने-कोने पर नजर रखी जा रही है. अलग-अलग महत्वपूर्ण जगहों पर 360 डिग्री कोण पर घूमने वाले कैमरा लगाये गये हैं, जिसके माध्यम से कंट्रोल रूम से सभी गतिविधियों की लाइव जानकारी उपलब्ध हो रही है. इतना ही नहीं फॉरेस्ट गार्ड के नेतृत्व में जंगल के कोने-कोने तक ट्रैकर गार्ड पैदल ही जंगल भ्रमण करते हैं और हर कोने की छानबीन करते हुए सभी महत्वपूर्ण सूचनाओं को वन विभाग के वरीय पदाधिकारियों व कंट्रोल रूम तक पहुंचाते रहते हैं. विभागीय पदाधिकारियों के अनुसार अपराधियों पर अंकुश लगाने के लिए ऐसा प्रयास किया गया है कि शिकारियों को अपना इरादा हर हाल में बदलना ही पड़ेगा. विभाग इतना अलर्ट है कि अपराधियों को बच निकलना मुश्किल होगा.

यह है सात स्तरीय सुरक्षा तंत्र

घने जंगलों में अलग-अलग जगहों पर बना सुरक्षा कैंप, चप्पे-चप्पे पर 24 घंटे निगरानी के लिए दौड़ लगाते पेट्रोलिंग वाहन, फॉरेस्ट गार्ड के नेतृत्व में अलग-अलग सबमिट में दो या तीन से अधिक पैदल मार्च करते ट्रैकर गार्ड अपराधियों के घुसने पर उनकी तस्वीर खींचने वाला जगह-जगह पर गुप्त रूप से लगाया गया कैमरा ट्रैप, निजी रूप से गांव में रखा गया खुफिया तंत्र, वरीय पदाधिकारियों का मॉनिटरिंग, सर्विलांस सिस्टम और रिटायर्ड मिलिट्री फोर्स.

बेतला नेशनल पार्क को बांटा गया है आठ सबबिट में

226 वर्ग किलोमीटर में फैले बेतला नेशनल पार्क को आठ सबबिट में बांटा गया है. जिसमें कसवा, मधुचूआं, बहेराटाड़, गाड़ी बेतला नॉर्थ, रबदी, कुटमू और केचकी. सभी सबबिट करीब 5000 एकड़ में हैं. सभी सबमिट पर अलग-अलग फॉरेस्ट गार्ड नजर बनाये हुए हैं. यहां की हर पल की सूचना कंट्रोल रूम को मिलती है और फिर वरीय पदाधिकारियों को. फॉरेस्टर उमेश दुबे और संतोष सिंह ने बताया कि बेतला नेशनल पार्क के जंगली जानवरों की सुरक्षा को सर्वोपरी मानते हुए काम किया जा रहा है. जंगल और जानवर पर 24 घंटे पूरी नजर रखी जाती है.

बेतला नेशनल पार्क में बाघ छोड़ मौजूद हैं कई जानवर

वर्तमान समय में बाघ छोड़कर तेंदुआ, हाथी, लकड़बग्घा, जंगली सूअर,बायसन ,चीतल ,सांभर सहित अन्य दुर्लभ जीवों के अलावा मोर सहित कई पक्षी और जीव-जंतु मौजूद हैं. बेतला के अलावा पूरे पीटीआर में इसी तरह की है सुरक्षा व्यवस्था. बेतला नेशनल पार्क के अलावा पलामू टाइगर रिजर्व के सभी एरिया में इसी तरह की सुरक्षा व्यवस्था लागू कर दी गई है. डिप्टी डायरेक्टर कुमार आशीष ने बताया कि अकेले नॉर्थ डिविजन में 10 टावर को कार्यशील कर दिया गया है, जहां 60 लोग 24 घंटे जंगल की निगरानी में लगे रहते हैं. उन्होंने कहा कि जंगल और जानवर की सुरक्षा व्यवस्था से कोई समझौता नहीं किया जा सकता है.

रिपोर्ट : संतोष कुमार, बेतला, लातेहार

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