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झारखंड: शिक्षा का अधिकार को लेकर सड़क पर उतरे बच्चे, ज्यां द्रेज ने स्कूलों में एक शिक्षक को बताया नाइंसाफी

प्रसिद्ध अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज ने कहा कि हर तीस बच्चों पर एक शिक्षक होना चाहिए और हर स्कूल में कम से कम दो शिक्षक होने चाहिए. उन्होंने कहा कि प्रखंड में कई ऐसे बच्चे हैं, जो पांचवीं कक्षा में हैं लेकिन नहीं पढ़ पा रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकार बच्चों को पढ़ा नहीं रही है.

लातेहार, चंद्रप्रकाश सिंह: झारखंड के लातेहार जिले के मनिका प्रखंड के विद्यालयों में एकल शिक्षक और शिक्षा का अधिकार के उल्लंघन के खिलाफ ग्राम स्वराज मजदूर संघ के तत्वावधान में शुक्रवार को प्रखंड मुख्यालय में रैली एवं जनसभा का आयोजन किया गया. रैली उच्च विद्यालय से शुरू हुई, जो मेन रोड होते हुए प्रखंड कार्यालय पहुंची. रैली में शामिल बच्चे एकल शिक्षक नहीं चलेगा, शिक्षा का अधिकार लागू करो व बाल मित्रों की यही पुकार, शिक्षा है उनका अधिकार जैसे नारे लगा रहे थे. प्रखंड मुख्यालय में रैली एक सभा में तब्दील हो गयी. मौके पर प्रसिद्ध अर्थशास्त्री सह सामाजिक कार्यकर्ता ज्यां द्रेज ने कहा कि शिक्षा का अधिकार बच्चों का मौलिक अधिकार है और इसे हर हाल में पूरा करना जरूरी है. उन्होंने कहा कि यह बच्चों के साथ बहुत बड़ी नाइंसाफी है कि उन्हें ऐसे स्कूलों में पढ़ाया जा रहा है, जहां टीचर नहीं हैं. सामाजिक कार्यकर्ता जेम्स हेरेंज ने कहा कि बच्चों को शिक्षा से वंचित करना एक तरह से देश को कमजोर करना है क्योंकि आज के बच्चे ही कल के भविष्य हैं. उन्होंने कहा कि शिक्षा की यह स्थिति केवल लातेहार जिले के मनिका की नहीं है, बल्कि पूरे झारखंड की है.

30 बच्चों पर एक शिक्षक है जरूरी

प्रसिद्ध अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज ने कहा कि हर तीस बच्चों पर एक शिक्षक होना चाहिए और हर स्कूल में कम से कम दो शिक्षक होने चाहिए. उन्होंने कहा कि प्रखंड में कई ऐसे बच्चे हैं, जो पांचवीं कक्षा में हैं लेकिन नहीं पढ़ पा रहे हैं. उन्होंने कहा कि इससे स्पष्ट है कि बच्चा बेवकूफ नहीं है, लेकिन इसका मतलब यह है कि सरकार बच्चों को पढ़ा नहीं रही है.

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44 विद्यालयों में सिर्फ 44 शिक्षक

सामाजिक कार्यकर्ता जेम्स हेरेंज ने कहा कि बच्चों को शिक्षा से वंचित करना एक तरह से देश को कमजोर करना है क्योंकि आज के बच्चे ही कल के भविष्य हैं. उन्होंने कहा कि शिक्षा की यह स्थिति केवल लातेहार जिले के मनिका की नहीं है, बल्कि पूरे झारखंड की है. झारखंड में 2016-17 के बाद से कोई शिक्षक नियुक्ति नहीं हुई है. कानूनी प्रावधान के हिसाब 44 विद्यालयों में 106 शिक्षक होने चाहिए, लेकिन केवल 44 हैं. इन स्कूलों में 62 शिक्षक और चाहिए. उन्होंने कहा कि जिला शिक्षा अधीक्षक कविता खलखो सारी परेशानियां जान कर भी कहती हैं कि मैनेज कीजिए. इसका मतलब यह हुआ कि संविधान में राज्य को जो निर्देश दिया गया है, उन संवैधानिक जवाबदेही को सरकार पूरा करने में विफल है.

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120 बच्चों पर हैं सिर्फ एक शिक्षक

सामाजिक कार्यकर्ता जेम्स हेरेंज ने कहा कि आदिवासी और दलित बच्चों को शिक्षा से वंचित करना एक साजिश का हिस्सा है. उन्होंने कहा कि मनिका प्रखंड के जमुना विद्यालय में 120 बच्चे अध्ययनरत हैं, लेकिन वहां एकमात्र शिक्षक हैं, जो 11 बजे आते हैं और 1 बजे वापस चले जाते हैं. इससे स्कूल की शैक्षणिक गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हो रही हैं.

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इन्होंने भी जनसभा को किया संबोधित

जनसभा को मनोज सिंह, संतोष सिंह, बीणा देवी, सकलदीप सिंह, छात्रा पायल कुमारी व यमुना देवी, नेमी देवी, परान, जुगेश्वर सिंह, लालबिहारी सिंह, दिलीप रजक व महावीर परहिया ने भी संबोधित किया. कार्यक्रम के अंत में अभिभावकों द्वारा हस्ताक्षरयुक्त मांग पत्र मुख्यमंत्री को संबोधित पत्र लिखा गया है, जिसे सभा में श्यामा सिंह ने पढ़ा. कार्यक्रम का संचालन प्रेमा तिग्गा ने किया.

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