नेता जी सुभाषचंद्र बोस के खास व्यक्तित्व से सभी वाकिफ़ हैं. आज़ाद हिन्द फ़ौज और नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की विरासत है कौमी एकता जिसे आज हम भुला बैठे हैं. लेकिन यदि इतिहास में झांके तो हमें बहुत से सबक मिलते हैं. आइये आपको ऐसी ही एक घटना के बबारे में बताते हैं, जब नेता जी रो पड़े…
यह उस समय की घटना है जब नेताजी से सिंगापुर की सार्वजनिक सभाओं में अनेक भाषण दिए. भाषण देने के बाद नेताजी ने चंदे का अनुरोध किया.
हज़ारों लोग चंदा देने के लिए आगे आए. नेताजी को चंदा देने के लिए एक लंबी कतार बन गई. हर व्यक्ति अपने बारी आने पर मंच पर जाता और नेताजी के चरणों में अपनी सामर्थ्यानुसार भेंट चढ़ाकर, चले जाता.
बहुत बड़ी-बड़ी रकमें भेंट की जा रही थी. तभी, एक मज़दूर महिला अपना चंदा देने के लिए मंच पर चढ़ी. उसकी आँखों से आँसू बह रहे थे और तन ढ़कने को बदन पर पूरे कपड़े भी न थे. सभी हतप्रभ उसे देख रहे थे. उसने नेताजी को तीन रूपये भेंट करते हुए कहा,"मेरी यह भेंट स्वीकार कीजिए. मेरे पास जो कुछ भी है, वह आपको भेंट कर रही हूँ."
नेताजी संकोच कर रहे थे. वे सोच रहे थे कि यदि उसकी सारी पूंजी स्वीकार कर लेंगे तो उसका क्या होगा! वे दुविधा में थे लेकिन स्वीकार न करेंगे तो उसके दिल पर क्या बितेगी! नेताजी की आँखों से आँसू नकलकर उनके गालों पर लुढ़क पड़े. सहसा, नेताजी ने हाथ आगे बढ़ा वह भेंट स्वीकार कर ली.
नेताजी ने बाद में अपने साथियों का बताया,"मेरे लिए यह तीन रूपये करोड़पतियों के लाखों रूपयों से कहीं अधिक कीमती हैं."