Amarnath Cave Shivling Mythology: भगवान शिव के कई पवित्र धामों में एक धाम अमरनाथ गुफा भी है. अमरनाथ की यह गुफा जम्मू-कश्मीर राज्य में स्थित है. अमरनाथ गुफा में ही भगवान भोले शंकर ने माता पार्वती को अमरत्व की कहानी सुनाई थी. अमरनाथ गुफा में बाबा के दर्शन मात्र से ही जीवन की कई तरह की बाधाओं को व्यक्ति आसानी से पार कर जाता है.
अमरनाथ की गुफा का पौराणिक इतिहास
कश्मीर घाटी में राजा दश और ऋषि कश्यप और उनके पुत्रों का निवास स्थान था. पौराणिक मान्यता के अनुसार एक बार कश्मीर की घाटी जलमग्न हो गई. उसने एक बड़ी झील का रूप ले लिया. तब ऋषि कश्यप ने इस जल को अनेक नदियों और छोटे-छोटे जलस्रोतों के द्वारा बहा दिया. उसी समय भृगु ऋषि पवित्र हिमालय पर्वत की यात्रा के दौरान वहां से गुजरे. तब जल स्तर कम होने पर हिमालय की पर्वत श्रृखंलाओं में सबसे पहले भृगु ऋषि ने अमरनाथ की पवित्र गुफा और बर्फ के शिवलिंग को देखा. माना जाता है कि तब से ही ये स्थान शिव आराधना और यात्रा का प्रमुख देवस्थान बन गया, क्योंकि यहां भगवान शिव (history of amarnath yatra) ने तपस्या की थी.
आपको बता दें अमरनाथ गुफा की तरह ही और भी हैं शिवजी की गुफाएं जहां पर बनता है अमरनाथ के बर्फानी शिवलिंग की तरह ही हिमलिंग.
शिवलिंग के रूप में देते हैं दर्शन
आस्था का केंद्र कहे जाने वाले उत्तराखंड के जोशीमठ से लगभग 60 किलोमीटर दूर मलारी नामक स्थान पर बाबा बर्फानी बिल्कुल अमरनाथ धाम के स्वरूप में विराजमान हैं. इस स्थान को लोग छोटे अमरनाथ और टिम्मर सैंण महादेव के नाम से जानते हैं. श्रद्धालु मलारी से डेढ़ किलोमीटर की पैदल यात्रा तय करके बाबा भोलेनाथ के द्वार पर पहुंचते हैं.
शिवलिंग के रूप में देते हैं दर्शन
सीमांत जनपद चमोली के जोशीमठ ब्लॉक की प्रसिद्व नीति घाटी के अंतिम गांव से एक किमी पहले टिम्मरसैंण में पहाड़ी पर स्थित गुफा के अंदर एक शिवलिंग विराजमान है. इस पर पहाड़ी से टपकने वाले जल से हमेशा अभिषेक होता रहता है. इसी शिवलिंग के पास बर्फ पिघलने के दौरान प्रतिवर्ष बर्फ शिवलिंग का आकार लेता है. स्थानीय लोग इसे बर्फानी बाबा या टिम्बरसैंण महादेव के नाम से जानते हैं. इसे छोटा अमरनाथ, उत्तराखंड की अमरनाथ गुफा और बर्फानी बाबा भी कहते हैं.
शिवलिंग के रूप में देते हैं दर्शन
यहां बर्फबारी का मौसम शुरू होने के साथ ही बाबा भोलेनाथ अपने भक्तों को दर्शन देना शुरू कर देते हैं. चारों ओर बर्फीले पहाड़ों से घिरे इस स्थान के बीच भगवान शिव बर्फीले शिवलिंग के रूप में विराजमान रहते हैं.
2) आदि अमरनाथ
उत्तराखंड के सीमांत गाँव नीति में स्थिति टिंबरसैंण महादेव ( Adi Amarnath ) के दर्शन करना तीर्थ यात्रियों के लिए आसान हो गया है. सीमांत विकासखंड जोशीमठ में भारत-तिब्बत सीमा क्षेत्र के अंतिम गांव नीति में टिंबरसैंण महादेव मंदिर स्थित है. यहाँ बाबा अमरनाथ की तरह गुफा के अंदर बर्फ का शिवलिंग आकार लेता है.
बाबा अमरनाथ की तर्ज पर देश-दुनिया के तीर्थ यात्री अब टिंबरसैंण महादेव की यात्रा कर सकेंगे. पर्यटन विभाग ने मार्च से यात्रा संचालित करने के लिए कवायद तेज कर दी है. सरकार का मानना है कि इससे सीमांत नीती घाटी में पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा और साथ ही स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर पैदा होंगे.
चीन बॉर्डर के करीब होने के कारण नीति घाटी के सीमांत इलाकों के लिए इनर लाइन परमिट की जरूरत पड़ती थी. लेकिन अब नीति घाटी को इनर लाइन से हटाने का निर्णय लिया गया है. जिससे यहाँ पहुंचना आसान हो गया है. इस निर्णय से सीमांत नीति घाटी में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे.
3) बूढ़ा अमरनाथ
आप बाबा अमरनाथ के बारे में तो जानते ही हैं लेकिन बूढ़ा अमरनाथ के बारे में बहुत कम लोग जानते होंगे. यह जम्मू-कश्मीर के पुंछ में है.इसका समापन 28 अगस्त को श्रीदशनामी अखाड़ा पुंछ से श्री बूढ़ा अमरनाथ मंदिर मंडी तक छड़ी मुबारक यात्रा के साथ होगा.
बाबा बूढ़ा अमरनाथ मंदिर को ‘चट्टानी बाबा अमरनाथ मंदिर’ के नाम से भी जाना जाता है. भगवान शिव का यह मंदिर जम्मू के उत्तर पश्चिम में 290 किलोमीटर दूर और समुद्र तल से 4,600 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है.