Bihar Tourist Destinations, Navlakha Palace Tour: बिहार के मधुबनी जिले के पास कमला नदी के पूर्वी तट पर नौलखा पैलेस है, जिसे राजनगर पैलेस भी कहा जाता है. अगर आप इस नौलखा पैलेस के बारे में नहीं जानते है तो हम आपको बता दें कि यह नौलखा पैलेस बिहार के राजनगर के नजदीक स्थित है. यह एक बहुत ही खूबसूरत महल है जिसका निर्माण प्राचीन समय में राजा रामेश्वर सिंह ने करवाया था. इस पैलेस के अंदर आपको प्राचीन चित्रकला देखने को मिलेगी और साथ ही महल के अंदर एक बड़ा तालाब बना हुआ है जिसके चारों तरफ बगीचा बना हुआ है जो देखने में बहुत ही खूबसूरत लगता है और पर्यटकों को अपनी और आकर्षित करता है.
क्यों खास है नौलखा पैलेस
इस महल के सन्दर्भ में कहा जाता है कि दरभंगा राज के महराज रामेश्वर सिंह ने उस वक्त नौ लाख चांदी के सिक्के से नौलखा महल का निर्माण कराया था और इसी कारण इसे नौलखा नाम दिया गया. राजा की चाहत थी कि दरभंगा राज उनके शासनकाल में राजनगर से चले. मगर ऐसा नहीं हो सका. इस महल के साथ विडम्बना यह रही कि 1934 के भूकम्प में यह दरक गया. यहां कई क्षेत्रीय फिल्मों की शूटिंग होती रहती है जिस कारण यह परिसर रुपहले पर्दे पर भी कभी-कभार दिख जाया करता है.
बिहार के मधुबनी के पास राजनगर में स्थित नौलखा पैलेस का निर्माण दरभंगा के महाराजा रामेश्वर सिंह ने किया था ,परन्तु 1934 में आयी विनाशकारी भूकंप से इस महल को काफी क्षति का सामना करना पड़ा. नौलखा पैलेस के नाम से मशहूर यह महल अब अवशेष के रूप में है परन्तु इसे देखने के लिए प्रतिवर्ष बहुत सारे पर्यटक जाते है. इस महल की विशेषता इसकी वास्तुकला है जिसे देखने लोग काफी दूर-दूर से पहुँचते है. महल के परिसर में तालाब ,मंदिर और उद्यान, हैं. नौलखा महल बिहार की हेरिटेज साइट्स में से एक है. भूकंप में क्षतिग्रस्त होने के बाद इसका पुनः निर्माण भी किया गया.
महल के ठीक सामने माँ दुर्गा की मंदिर है जिसे दुर्गा भवन के नाम से जाना जाता है . लोगों का कहना है कि इस मंदिर की स्थापना भी महाराजा रामेश्वर सिंह ने ही करवाया था. उन्हें माँ काली का परम भक्त माना जाता था. मंदिर के बीचो बीच सात मंजिला इमारत है और उसके सामने एक तालाब है. कहा जाता है कि महाराजा ने अपनी महारानियों के लिए तालाब का निर्माण कराया था. इसी तालाब का पानी महारानियों के कमरे तक जाता था.
नौलखा पैलेस गोंडल क्षेत्र का सबसे पुराना महल है. पहली मंजिल के एक हिस्से में एक संग्रहालय है, जिसमें कमरों के ऊपर लकड़ी और पत्थर से बनी नक्काशी है. इसके साथ ही इसके दरवाजों पर सुंदर वास्तुकला हैं. महल के बाईं ओर के बगल के कमरे में रसोई के बर्तन और भारी वजन का तराजू है. माना जाता है कि महाराजा के जन्मदिन पर उन्हें सोने के बराबर तौला जाता था, जिसे बाद में गरीबों को दान कर दिया जाता था.
नौलखा मंदिर, पाली तक कैसे पहुंचे
सड़क मार्ग से: नौलखा मंदिर पाली शहर के केंद्र में स्थित है. जहाँ आसानी से बस या टैक्सी से पंहुचा जा सकता है.
रेल द्वारा: नौलखा मंदिर निकटतम पाली रेलवे स्टेशन के माध्यम से प्रमुख शहरों जैसे दिल्ली, आगरा, मुंबई, चेन्नई, बीकानेर, पाली, जयपुर, अहमदाबाद के रेलवे स्टेशन से जुड़ा हुआ है.
हवाई यात्रा द्वारा: नौलखा मंदिर निकटतम जोधपुर हवाई अड्डे (75 किलोमीटर) तक पंहुचा जा सकता है जो कि दिल्ली, मुंबई के नियमित डोमेस्टिक उड़ानों के साथ अच्छी तरह जुड़ा हुआ है.