Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य को भारत के महान ज्ञानियों में गिना जाता है, उनकी नीतियों को लोग आज भी बहुत रुचि के साथ पढ़ना पसंद करते हैं. आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र के शुरुआत में ही एक श्लोक के मध्यम से लोगों को यह बतलाया है कि उनकी नीतियों में पूरे मनुष्य जीवन का सार छिपा हुआ है, जो भी व्यक्ति इस नीति शास्त्र को अच्छी तरह समझ जाएगा, उसे ज्ञान के लिए किसी और जगह भटकने की जरूरत नहीं पड़ेगी. इस लेख में आपको यह बताने का प्रयास किया जा रहा है कि आचार्य चाणक्य के अनुसार व्यक्ति को कभी-भी किन लोगों को अपने पैर नहीं छूने देना चाहिए.
बच्चा
कई लोग ऐसे होते हैं जो बच्चे को कहते हैं कि किसी बड़े का पैर छूओ, लेकिन आचार्य चाणक्य के अनुसार बच्चे को कभी भी किसी के पैर नहीं छूने चाहिए, क्योंकि छोटे बच्चे का दिल बहुत साफ होता है, उसके अंदर छल कपट की कोई भावना नहीं रहती है, जिस कारण वह भगवान का रूप माना जाता है, इसलिए अगर कोई बच्चा आपके पैर छूता है तो आपको उसे ऐसा करने से रोकना चाहिए.
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गुरु
आचार्य चाणक्य का यह मानना है कि व्यक्ति को कभी भी अपने गुरु को पैर नहीं छूने देना चाहिए, क्योंकि गुरु ही वह व्यक्ति होता है, जो हमारे अंदर से अज्ञान के अंधेरे को मिटा कर ज्ञान रूपी प्रकाश लेकर आता है. गुरु अगर ऐसा कुछ करते हैं, तो यह शिष्य के लिए अमंगल माना जाता है.
उम्र में बड़ा आदमी
आचार्य चाणक्य का मानना है कि व्यक्ति को कभी भी अपने से बड़े व्यक्ति को अपने पैर नहीं छूने देने चाहिए, क्योंकि उम्र में बड़े व्यक्ति केवल उम्र में ही बड़े नहीं होते हैं, बल्कि उनके अनुभव और ज्ञान शक्ति भी हमसे बड़ी हो सकती है, इसलिए आचार्य चाणक्य के अनुसार व्यक्ति को कभी भी उम्र में बड़े व्यक्ति को अपने पैर छूने की अनुमति नहीं देनी चाहिए.
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