Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य का नीति शास्त्र लोगों के बीच काफी प्रचलित माना जाता है. ये शास्त्र लोगों के बीच इतने प्रचलित इसलिए भी हैं क्योंकि इन शास्त्रों में जो कुछ भी लिखा होता है, उससे लोगों के काफी सवालों का उत्तर उन्हें प्राप्त हो जाता है. लोग इसे इसलिए भी पढ़ना पसंद करते हैं क्योंकि इसमें सभी बातें साफ-साफ लिखी होती हैं, जो कई बार लोगों को कड़वी भी लगती हैं, लेकिन जब लोग किसी दुविधा में फसते हैं, तो वो ये बात अवश्य जानना चाहते हैं कि आचार्य चाणक्य इस विषय में क्या सोचते होंगे. नीचे के लेख में आपको यह बताया गया है कि चाणक्य नीति के अनुसार एक व्यक्ति को किस प्रकार के स्थान पर कभी भी निवास नहीं करना चाहिए.
जहां आपकी इज्जत ना हो
आचार्य चाणक्य के अनुसार एक व्यक्ति को वहां कभी नहीं जाना चाहिए, जहां उसकी इज्जत ना हो. अगर ऐसे स्थान पर कोई व्यक्ति बार-बार जाता है तो, उसे बस निराशा का ही सामना करना पड़ता है. उस स्थान पर ना तो व्यक्ति के ज्ञान में वृद्धि होती है और ना ही उसके व्यक्तिव में कुछ अच्छाई जुड़ पाती है, इसलिए एक व्यक्ति को वहां कभी नहीं जाना चाहिए, जहां उसकी इज्जत ना हो.
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जहां रोजगार कमाने का अवसर ना हो
चाणक्य के अनुसार एक व्यक्ति को उस स्थान पर कभी नहीं रुकना चाहिए, जहां पर रोजगार का कोई अवसर ना हो, क्योंकि ऐसे स्थान पर उसके ज्ञान और समय दोनों की बर्बादी होती है.
जहां मित्र ना हो
आचार्य चाणक्य के अनुसार किसी भी व्यक्ति को वहां कभी निवास नहीं करना चाहिए, जहां उसका कोई भी मित्र ना हो, क्योंकि ऐसे स्थान पर जरूरत पड़ने पर और खुशी बांटने के लिए. उसके पास कोई साथी नहीं रहता है, जिससे व्यक्ति बिल्कुल अकेला पड़ जाता है.
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जहां ज्ञान अर्जन ना किया जा सके
चाणक्य नीति के अनुसार एक व्यक्ति को ऐसे स्थान पर बिल्कुल भी नहीं रहना चाहिए, जहां उसके ज्ञान में वृद्धि ना हो. ऐसे स्थान पर रहने से व्यक्ति की तरक्की में रुकावट आ जाती है.
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जहां लोग किसी से डरते ना हों
चाणक्य नीति के अनुसार एक व्यक्ति को ऐसी जगह पर कभी भी निवास नहीं करना चाहिए, जहां पर लोग किसी से ना डरते हों, क्योंकि जहां पर लोग किसी से नहीं डरतें हैं, वहां पर अशान्ति ज्यादा होती है और अनैतिक काम भी अधिक होते हैं.