Chanakya Niti: जब भारत में आदर्श शिक्षक की बात होती है तो मुंह से सबसे पहला नाम आचार्य चाणक्य का निकलता है. चाणक्य ने एक नीतिशास्त्र नामक एक ग्रंथ लिखा था, जिसे आज चाणक्य नीति के नाम से जाना जाता है. इस ग्रंथ में चाणक्य ने जीवन के विभिन्न पहलुओं पर उपदेश और शिक्षाएं दी थी. चाणक्य नीति के माध्यम से उन्होंने राजनीति, समाज और व्यक्तिगत जीवन में नैतिकता और नीति के महत्व को समझाया है. उनके विचार आज भी लोगों के लिए प्रासंगिक हैं. आचार्य चाणक्य ने चाणक्य नीति के दूसरे अध्याय में बताया है कि संबंधों की सार्थकता को लेकर नीतियां बताई हैं. उन्होंने कहा कि जब इंसान का स्वार्थ पूर्ण हो जाता है, तो वह संबंध का त्याग कर देते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं चाणक्य ने संबंधों की सार्थकता को समझने के लिए किन उदाहरणों का उल्लेख किया है.
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- आचार्य चाणक्य ने बताया है कि वेश्या निर्धन पुरुषों को त्याग कर देती है, क्योंकि वेश्या का धंधा सिर्फ मर्दों के धन को लूटना होता है. जब तक मर्द के पास धन रहता है तो उसके साथ बनी रहती है, लेकिन जैसे ही वह कंगाल या निर्धन हो जाता है, तो तुरंत ही उस मर्द से मुंह मोड़ लेती हैं.
- चाणक्य नीति के मुताबिक, जब राजा शक्तिहीन हो जाए, तो प्रजा उसका सम्मान नहीं करती है. प्रजा ऐसे राजा का तिरस्कार कर देती है. जब तक राजा प्रतापी और ताकतवर होता है तभी तक प्रजा राजा का सम्मान करती है और राजा के प्रति डर बना रहता है. ऐसे में जब उसकी ताकत खत्म हो जाए तो राजा के प्रति प्रजा का डर खत्म हो जाता है. ऐसे राजा को जनता धिक्कारने लगती है.
- आचार्य चाणक्य ने कहते हैं कि प्रकृति में भी इस तरह के उदाहरण मिल जाते हैं, जब तक पेड़ पर फल-फूल रहते हैं तभी तक उस पेड़ पर पक्षियों का बसेरा रहता है. जिस दिन पेड़ से फल और फूल खत्म हो जाते हैं पक्षी भी अपना दूसरा आशियाना ढूंढ लेती हैं.
- आचार्य चाणक्य कहते हैं कि अचानक से आने वाले मेहमान का जब आदर-सत्कार और खान पान करा दिया जाता है तो वह घर को छोड़कर चला जाता है. ऐसे में आचार्य चाणक्य के कहने का उद्देश्य यह था कि इंसान को किसी से भी ज्यादा लगाव नहीं रखना चाहिए. जब इंसान का स्वार्थ पूरा हो जाता है तो वह साथ छोड़कर चला जाता है.
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