Chanakya Niti: अपने जीवनकाल में चाणक्य ने कई नीतियों की रचना कि रचना है. जिसे अगर कोई इंसान अपने जीवन काल में लागू करें तो उसे एक सुखी और समृद्ध जीवन का फायदा मिलता है. आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों में मनुष्य को क्या करना चाहिए और क्या नहीं, इस बारे में भी कई तरह की बातों का जिक्र किया है. आज इस आर्टिकल में हम आपको चाणक्य नीति में बताएंगें कि मृत्यु पहले क्या करना चाहिए, चाणक्य के अवनुसार ये काम अगर मृत्यु से पहले नहीं किया जाए तो उन्हें पछताना पड़ सकता है. आइए जानते हैं कि चाणक्य किस काम को करने की बात कह रहे हैं.
चाणक्य कहते हैं कि अगर आपको मानव शरीर मिला है और आप अपना जीवन बेहतर बनाना चाहते हैं, ईश्वर की कृपा पाना चाहते हैं, खुद का और अपने पूरे परिवार का उद्धार करना चाहते हैं, तो आपको मृत्यु तक केवल एक ही काम करते रहना होगा. आइए जानते हैं इस बारे में और अधिक.
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इससे पहले आइए जानते हैं कि मानव शरीर मिलना क्यों दुर्लभ है?
मानव शरीर मिलना क्यों दुर्लभ है?
पद्म पुराण के अनुसार, 84 लाख योनियों में भटकने के बाद आत्मा को मानव शरीर मिलता है. इन 84 लाख योनियों में जल में रहने वाले जीव, स्थल पर रहने वाले जीव और वायु में रहने वाले जीव शामिल हैं. कुछ ग्रंथों के अनुसार जीवों को भी दो भागों में बांटा गया है. कुछ जीव दो जीवों के मिलन से पैदा होते हैं. अगर दूसरी श्रेणी की बात करें, तो कुछ कीड़े मृत शरीर से अपने आप पैदा होने लगते हैं. इसीलिए कहा जाता है कि मनुष्य शरीर मिलना दुर्लभ वस्तु पाने के बराबर है. इस दुर्लभ शरीर का ध्यान रखना चाहिए और इसका उपयोग अच्छे कार्यों में करना चाहिए.
स्वस्थ और तंदुरुस्त शरीर के लिए करें ये काम
पूरी दुनिया नश्वर है – जो भी इस दुनिया में जन्म लिया है, उसकी मृत्यु होना निश्चित है. इसलिए जब तक शरीर स्वस्थ है, इस मनुष्य जन्म को सार्थक बनाने का प्रयास करना चाहिए.
यदि आप अपनी आत्मा का कल्याण करना चाहते हैं और अपने मानव जीवन को सफल बनाना चाहते हैं, तो आपको धर्म और शास्त्रों के अनुसार आचरण करना शुरू करना होगा यानी पुण्य का संग्रह करना होगा. समय आपके हाथ से फिसलने से पहले आपको यह बात याद रखनी चाहिए.
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अपना जीवन बर्बाद करके मौत का शिकार बनना
यह मानव शरीर विश्वसनीय नहीं है. यद्यपि यह शरीर जो स्वस्थ दिखता है, हम नहीं कह सकते कि यह कब रोगग्रस्त हो जाए और कब यमराज के दूत हमारे प्राण लेने आ जाएं.
अतः यदि स्वस्थ एवं रोगमुक्त शरीर में सदाचार, सत्कर्म, भगवान का नाम जप एवं पुण्य संचय करके ईश्वर प्राप्ति के उपाय नहीं किए गए तो मृत्यु के पश्चात पछतावे के अतिरिक्त कुछ भी प्राप्त नहीं होगा. अंततः मानव जीवन व्यर्थ हो जाएगा, क्योंकि जिस कार्य के लिए मानव शरीर मिला था, वह कार्य नहीं किया गया.
निष्कर्ष
यहां आचार्य चाणक्य मनुष्यों को यह संदेश देते हैं कि यदि तुम्हें मानव शरीर मिला है तो स्वस्थ एवं रोगमुक्त शरीर में सत्कर्म करके भगवत् धाम जाने के उपाय करने चाहिए. क्योंकि जब मृत्यु आएगी तो कुछ भी करना संभव नहीं होगा. इसलिए अभी भी समय है अपने जीवन को सुधारो और मानव जीवन को सार्थक बनाओ.