Chanakya Niti: चाणक्य नीति का ज्ञान हर किसी के लिए एक अच्छा जीवन यापन का स्रोत है. चाणक्य नीति में आपको जीवन के हर पहलू के बारे में और उसे कैसे जीना है इसके बारे में पता चलता है, जैसमे समाज,धन, रिश्ते, शिक्षा से लेकर व्यवहार सब कुछ शामिल है. और हम उनके द्वारा बताए इसी बात के बारें में बात करेंगे कि आखिर चाणक्य ने झगड़े वाली जगह से दूर रहने की सलाह दी क्यो दी है. जलिए जानते है इसके बारे में.
फालतू की समस्याओं का सामना
जहां झगड़ा हो रहा हो वहां रुकने मात्र से कई बार अनचाही मुश्किलें खड़ी हो सकती है. कभी-कभी बात बढ़ जाती है कि आपको कानूनी समस्याओं तक भी जा सकती है और आपको इसका सामना करना पड़ सकता है इसलिए, चाणक्य के अनुसार जहां झगड़ा हो, वहां से दूर रहना ही समझदारी है ताकि अनावश्यक उलझनों में ना फंसें.
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समय और ऊर्जा दोनों की बर्बादी
झगड़े मे पड़ने से समय की बर्बादी के साथ आपकी बुद्धि भी खराब होती है. इसमें हमारी मानसिक और शारीरिक ऊर्जा खत्म होन लगती है, चाणक्य का कहना था कि झगड़े से दूर रहकर अपने लक्ष्य पर ध्यान देना चाहिए ताकि हमारी ऊर्जा सही दिशा में लगे.
रिश्तों पर बुरा प्रभाव
झगड़ा करने से आपके संबंध खराब हो जाते हैं. एक बार जो रिश्ता बिगड़ जाता है, वो ठीक नहीं होता चाणक्य का मानना था कि रिश्तों को सम्मान और समझदारी से संभालना चाहिए, न कि झगड़े में पड़कर उन्हें तहस नहस कर देना चाहिए. जहां झगड़ा हो रहा हो वहां से शांतिपूर्ण तरीके से निकल जाना चाहिए.
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मन की शांति बनी रहती है
झगड़े वाली जगह पर से तनाव और गुस्से का माहौल रहता है, ऐसे जगह रुकने से आपके मन की शांति भंग होती है. चाणक्य का मानना था कि जहां मन अशांत हो, वहां किसी तरह की सही सोच नहीं की जा सकती। इसलिए अच्छा है कि जहां झगड़ा हो, वहां से हट जाएं ताकि आपका मन को अशांत न हो.
चाणक्य नीति के अनुसार झगड़े से दूर रहना क्यों जरूरी है?
चाणक्य नीति के अनुसार, झगड़े से दूर रहना मन की शांति और स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है. फालतू के विवादों में उलझने से समय और ऊर्जा दोनों की बर्बादी होती है, जिससे की तनाव बढ़ता है.