Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य जिन्हें कौटिल्य या विष्णुगुप्त के नाम से भी जाना जाता है. मौर्य साम्राज्य के प्रमुख विचारक, अर्थशास्त्री और राजनीतिज्ञ थे. उनके द्वारा निर्धारित नीतियां आज भी जीवन के विभिन्न पहलुओं में मार्गदर्शक बनी हुई हैं. चाणक्य का जीवन दर्शन यह सिखाता है कि सफलता और समृद्धि पाने के लिए सही निर्णय लेना और सही स्थान पर निवास करना बेहद महत्वपूर्ण है. चाणक्य के अनुसार कई बार गरीबी या असफलता का कारण व्यक्ति का निवास स्थान भी हो सकता है.उन्होंने उन स्थानों से दूर रहने की सलाह दी है जहां जीवन की मूलभूत आवश्यकताएं और संसाधन न हों.
- चाणक्य का मानना था कि ऐसे स्थान जहां कोई व्यवसायिक गतिविधियां न हों वहां रहकर सफलता प्राप्त करना कठिन हो सकता है. ऐसे स्थानों पर रहने से व्यक्ति का जीवन गरीबी और निर्धनता में ही बीतता है.
- चाणक्य के अनुसार, ऐसे स्थान जहां विद्वान, विशेषकर वेदों के ज्ञाता ब्राह्मण न हों वहां निवास करना भी लाभकारी नहीं होता. ब्राह्मण समाज के धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों के रक्षक होते हैं और उनके अभाव में वह स्थान उन्नति के लिए उपयुक्त नहीं हो सकता.
- चाणक्य जल की महत्ता को भी समझते थे. वे कहते थे कि ऐसे स्थानों से बचना चाहिए जहां नदी, तालाब या अन्य जलस्रोत न हों क्योंकि जल जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक है और इसकी कमी से विकास में रुकावट आ सकती है.
- चाणक्य के अनुसार, चिकित्सा सुविधाओं का होना बेहद महत्वपूर्ण है. अगर किसी स्थान पर चिकित्सक या वैद्य की सुविधा न हो तो वहां निवास करना खतरनाक हो सकता है. किसी भी स्वास्थ्य समस्या, दुर्घटना या बीमारी के लिए चिकित्सा सेवा की आवश्यकता होती है.
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