Chhath Puja 2023 : छठ पूजा के दौरान सूर्य भगवान और छठी मैया की पूजा की जाती है. नहाय-खाय से शुरू चार दिनों तक चलने वाले छठ पूजा के दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन संध्या अर्घ्य और चौथे दिन उदीयगामी सूर्य भगवान को अर्घ्य दिया जाता है. छठ पूजा में आस्था रखने वाले लोग चाहे देश में हो या विदेश में इस पर्व में शामिल होने का और व्रत करने का पूरे साल इंतजार करते हैं . मान्यता है कि छठ का व्रत संतान प्राप्ति की कामना, बच्चों की कुशलता और सुख-समृद्धि और लंबी उम्र के लिए किया जाता है इस पर्व से जुड़ी किस सारी जरूरी बातें हैं जिन्हें जानना भी जरूरी है.
छठ पूजा की शुरुआत कार्तिक मास की चतुर्थी तिथि से होकर सप्तमी के दिन सूर्योदय के समय यानि उगते हुई सूर्य को अर्घ्य देकर समाप्त हो जाता है. इस व्रत का नियम पालन करते हुए व्रत किया जाता है . लोक आस्था का महापर्व छठ व्रत का त्योहार लोग बहुत ही धूम -धाम से मानते है. यह एक ऐसा त्योहार है जिसमें सभी लोग मिलजुलकर नदी के किनारे भगवन सूर्य का पूजन करते है . बिहार, झारखंड और उत्तरप्रदेश में डाला छठ का पूजन बहुत ही धूम -धाम से मनाया जाता है इस व्रत को महिलाये तथा पुरुष सभी मिलजुलकर करते हैं.
छठ पूजा का विशेष महत्व : मान्यता है कि छठ व्रत करने से छठी मैया धन -धान्य ,पति -पुत्र तथा सुख समृद्धि का आशीष देती है . छठ व्रत को करने से चर्म रोग तथा आंख की बीमारी से भी मुक्ति मिलती है यह सबसे कठिन व्रत में से एक व्रत है 36 घंटा तक का व्रत है,लेकिन चौबीस घंटा से अधिक समय तक निर्जला उपवास रखते है .
छठ पूजा का पहला दिन नहाय-खाय 17 नवंबर ( शुक्रवार)
छठ पूजा का दूसरा दिन खरना 18 नवंबर ( शनिवार)
छठ पूजा का तीसरा दिन संध्या अर्घ्य 19 नवंबर (रविवार)
छठ पूजा का चौथा दिन उदीयमान सूर्य को अर्घ्य, पारण 20 नवंबर (सोमवार)
खरना या लोहंडा : खरना छठ पूजा का दूसरा दिन होता है, इस साल खरना 18 नवंबर को है. इस दिन का सूर्योदय सुबह 06 बजकर 6 मिनट और सूर्यास्त शाम 05 बजकर 26 मिनट पर होगा. खरना या लोहंडा 36 घंटे के निर्जला अनुष्ठान के संकल्प का दिन होता है इसमें व्रती पूरे दिन निर्जला उपवास कर संध्याकाल में पूजा कर प्रसाद ग्रहण करती हैं . मिट्टी के चूल्हे पर गाय के दूध और गुड़ से निर्मित खीर, मौसमी फलों का प्रसाद, व्रती द्वारा खुद बनाने की परंपरा है.
पहला अर्घ्य (अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य) : छठ पूजा का तीसरा दिन अस्ताचलगामी सूर्य संध्या अर्घ्य का होता है. व्रती और उनके परिवार के लोग छठ घाट पर आते हैं और डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं. जल में खड़े होकर सूप में फल, ठेकुआ रख कर अर्घ्य देने की परंपरा है. इस साल छठ पूजा का संध्या अर्घ्य 19 नवंबर को दिया जाएगा. इस दिन सूर्यास्त शाम 05 बजकर 26 मिनट पर होगा.
दूसरा अर्घ्य ( उदीयमान सूर्य को अर्घ्य) : छठ महापर्व के चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इस दिन महाव्रत का पारण किया जाता है. इस वर्ष 20 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. इस दिन सूर्योदय 06 बजकर 4 मिनट पर होगा.
छठ पूजा पौराणिक कथा
महाभारत के अनुसार कर्ण भगवान सूर्य के परम भक्त थे और इस पर्व की शुरुआत सबसे पहले सूर्यपुत्र कर्ण ने ही सूर्य की पूजा करके की थी. कर्ण प्रतिदिन घंटों कमर तक पानी में खड़े रहकर सूर्य पूजा करते थे और उनको अर्घ्य देते थे. आज भी छठ में अर्घ्य दान की यही पद्धति प्रचलित है.इस संबंध में एक कथा और भी है कि जब पांडव अपना सारा राजपाट कौरवों से जुए में हार गए थे तब द्रौपदी ने छठ का व्रत किया था. इस व्रत से पांडवों को उनका सारा राजपाट वापस मिल गया था.
सूर्य को अर्घ्य देने का है विशेष महत्व
सूर्य के पूजन से दैनिक जीवन में बहुत बदलाव दिखाईं देता है . हर दिन उगते सूर्य को जल देने से स्वास्थ्य लाभ होता है. जीवन में जल और सूर्य की महत्व को देखते हुए छठ पर्व पर सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. भगवान सूर्य नारायण की कृपा दृष्टि से व्यक्ति का तेज बढ़ने के साथ मान-सम्मान की प्राप्ति होती है.
छठ पर्व के दिनों में सात्विक भोजन करें, मांसाहार ना करें.
छठ पूजा के दिनों में लहसुन और प्याज नहीं खाएं .
व्रती महिला या पुरुष सूर्य देव को अर्घ्य दिए बिना किसी भी चीज का सेवन न करें.
छठ पूजा का प्रसाद बनाते समय भूलकर भी इसे जूठा न करें, छोटे बच्चों को प्रसाद बनाते समय दूर रखें .
छठ पूजा के लिए बांस से बने सूप और टोकरी या पीतल का ही इस्तेमाल करना चाहिए . स्टील या शीशे के बर्तन का इस्तेमाल ना करें.
प्रसाद शुद्ध घी में ही बनाया जाना चाहिए
छठ पूजा में काले रंग के कपड़े ना पहने.
छठ घाट या रास्ते में भूल कर भी गंदगी ना फैलाएं.
अर्घ्य का समय : 19 नवंबर को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा.
19 नवंबर को सूर्य के डूबने का समय 5 बजे है. गया में सूर्य अस्त 5 बजकर 2 मिनट पर होंगे. भागलपुर में 4 बजकर 53 मिनट जबकि पूर्णिया में सूर्य के अस्त होने का समय 4 बजकर 50 मिनट है. जहानाबाद में सांझा अर्घ्य देने की टाइमिंग 5 बजकर 1 मिनट है. मुजफ्फरपुर में अर्घ्य की टाइमिंग 4 बजकर 58 मिनट है.
उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने कि टाइमिंग की बात करें तो पटना में 20 नवंबर को सूर्योदय के समय अर्घ्य देने का समय 6 बजकर 10 मिनट है. गया में 6 बजकर 9 मिनट जबकि भागलपुर में 6 बजकर 2 मिनट है . रांची में सूर्योदय 6 बजकर 3 मिनट और सूर्यास्त 5 बजकर 3 मिनट है मौसम विभाग के अनुसार सुबह बादल छाए रहेंगे लेकिन बारिश नहीं होगी. झारखंड में न्यूनतम तापमान 16 से 20 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम 29 से 30 डिग्री सेल्सियस रहने का अनुमान है .
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