Child Mental Safety: आजकल जब भी हम टीवी या अखबार में खबरें देखते और पढ़ते हैं, तो अक्सर बच्चों के साथ होने वाली हिंसा की घटनाओं की खबरें सामने आती हैं. और फिर हमें सताती है अपने बच्चों की चिंता तो क्या करें की अपने बच्चों को सुरक्षित रख पाए ऐसी स्थिति में, बच्चों की सुरक्षा की सबसे बड़ी जिम्मेदारी माता-पिता की होती है. हम सभी जानते हैं कि माता-पिता का काम सिर्फ बच्चों को अच्छा खाना और कपड़े देना नहीं है. उन्हें शारीरिक रूप से स्वस्थ रखना जितना जरूरी है, उतना ही महत्वपूर्ण है उन्हें मानसिक रूप से मजबूत बनाना. बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य और सुरक्षा उनकी समग्र विकास के लिए जरूरी है. इसी वजह से माता-पिता को पहले गुरु के रूप में अपने बच्चों की जिंदगी में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए. बच्चों को सही-गलत की पहचान सिखाना, खासकर गुड टच और बैड टच के बारे में जागरूक करना, उनकी सुरक्षा के लिए बहुत भी जरूरी कदम है.
सुरक्षित बचपन के लिए, माता-पिता कैसे बनें बच्चों के पहले गुरु
बच्चों को शारीरिक और मानसिक रूप से सुरक्षित रखना हर माता-पिता की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है. इसलिए ऐ आपका कर्तव्य है कि बच्चों की सुरक्षा के लिए उन्हें सही और गलत स्पर्श की पहचान सिखाएं. जब बच्चे यह समझने लगते हैं कि कौन सा स्पर्श उनके लिए सही है और कौन सा गलत, तो वे खुद को सुरक्षित रखने में अधिक सक्षम हो पाते हैं.
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गुड टच और बैड टच क्या है? What is good touch and bad touch?
बच्चों को बताए कि गुड टच वह होता है जो बच्चों को प्यार और सुरक्षा का एहसास कराए, जैसे किसी का प्यार से सिर पर हाथ फेरना या गले लगाना जैसे माता पिता का टच, वहीं बैड टच वह होता है जो बच्चे को असहज या डरा हुआ महसूस कराए, जैसे जब कोई बिना उनकी मर्जी के उन्हें गलत तरीके से छूने की कोशिश करे, ऐसे में वो अलर्ट रहें ऐसे बैड टच का विरोध करे और आपसे खुलकर बताएं.
माता-पिता की भूमिका
माता-पिता को बच्चों के पहले गुरु की तरह बनना चाहिए. बच्चों को यह सिखाना कि कौन सा स्पर्श सही है और कौन सा गलत, उनकी सुरक्षा के लिए जरूरी है. माता-पिता को अपने बच्चों के साथ खुलकर बात करनी चाहिए, ताकि कि वह डरे नहीं और वह आपसे आकर हर बात बताएं. उनसे जुड़ी हर बात जैसे पूरे दिन की दिनचर्या उनके खेलकूद की उनके स्कूल की उनके दोस्तों की सारी बातें माता-पिता को पता होनी चाहिए. बच्चों का मन बहुत कोमल होता है और माता-पिता उनके लिए सबसे जरूरी होते है. आप अपने बच्चों का ध्यान रखेंगे तो वह बिना हिचक के आपसे हर बात शेयर करेंगे.
कैसे सिखाएं गुड टच और बैड टच? How to teach good touch and bad touch?
बच्चों को सही और गलत स्पर्श की जानकारी देने के लिए उन्हें डराना जरूरी नहीं है. इसे सरल और सटीक तरीके से समझाया जा सकता है। बच्चों से सहज और मित्रवत भाषा में बात करें. उदाहरण के लिए, उन्हें बताएं कि अगर कोई उन्हें इस तरह से छूता है जिससे वे असहज महसूस करते हैं, तो उन्हें तुरंत “ना” कहना चाहिए और इसकी जानकारी आपको देनी चाहिए.
इसे अपने बच्चों के लाइफस्टाइल में कैसे शामिल करें?
बच्चों को गुड टच और बैड टच की समझ देना, उनकी जीवनशैली का हिस्सा होना चाहिए. यह सिख सिर्फ एक बार की नहीं, बल्कि लगातार चलने वाली प्रक्रिया होनी चाहिए. जैसे हम उन्हें रोजाना दांत साफ करने, नहाने, या सोने का तरीका सिखाते हैं, वैसे ही यह सिखाना भी जरूरी है कि उनके शरीर की सुरक्षा उनके हाथ में है.
बच्चों को गुड टच और बैड टच के बारे में सिखाने की आवश्यकता क्यों है?
बच्चों को गुड टच और बैड टच के बारे में सिखाना इसलिए जरूरी है ताकि वे असुरक्षित या गलत स्पर्श को पहचान सकें और अपनी सुरक्षा के लिए सही कदम उठा सकें. यह उन्हें मानसिक और शारीरिक सुरक्षा के प्रति जागरूक बनाता है और आत्मविश्वास बढ़ाता है। माता-पिता के रूप में, उनकी शिक्षा और सुरक्षा की जिम्मेदारी उठाना अनिवार्य है.
माता-पिता अपने बच्चों को गुड टच और बैड टच के बारे में कैसे सिखा सकते हैं?
माता-पिता बच्चों को गुड टच और बैड टच की पहचान सिखाने के लिए सरल भाषा में और उदाहरण देकर समझा सकते हैं. वे नियमित बातचीत और खेल-खेल में इस जानकारी को शामिल कर सकते हैं, ताकि बच्चे बिना डर के अपनी सुरक्षा के बारे में खुलकर बात कर सकें.
गुड टच और बैड टच को समझाने का सबसे अच्छा तरीका क्या है?
गुड टच और बैड टच को समझाने का सबसे अच्छा तरीका है बच्चों को सीधी और सरल भाषा में सिखाना. उदाहरण देकर बताएं कि गुड टच सुरक्षित और प्यार भरा होता है, जबकि बैड टच असहज और गलत होता है. नियमित रूप से इस बारे में बात करें ताकि बच्चे इसे अच्छी तरह समझ सकें.
माता-पिता अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए क्या कर सकते हैं?
माता-पिता अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए उन्हें गुड टच और बैड टच की सही जानकारी दें और उनसे नियमित रूप से इस पर चर्चा करें. बच्चों को सुरक्षित महसूस कराने के लिए उन्हें खुलकर बात करने का मौका दें और उनकी बातों को गंभीरता से लें.