दुनिया भर में हर साल 25 दिसंबर को क्रिसमस सेलिब्रेट किया जाता है. ईसाई समुदाय के लोग इस फेस्टिवल को प्रभु यीशु के जन्म के सेलिब्रेशन के रूप में एंज्वाय करते हैं. क्रिसमस से जुड़ी कई मान्यताएं और परंपराएं भी हैं जिसका लोग पालन करते हैं. जिसमें घर पर क्रिसमस ट्री सजाना, चरनी बनाना और घर और चर्च को घंटियों से सजाना शामिल है. जानें ऐसा करने के पीछे क्या है वजह.
क्रिसमस पर लोग अपने-अपने घरों को घंटियों से सजाते हैं. इतना ही नहीं ईसा मसीह के जन्मदिन पर उनके प्रकट होने के समय पर उल्लास से घंटियां बजाकर खुशियां मनाते हैं. ऐसा करने के पीछे मान्यता है कि घर को घंटियों से सजाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है. घंटियों की आवाज से उत्साह और पॉजिटिव एनर्जी पैदा होती है, जो मन को खुशी और ऊर्जा से भर देती है.
क्रिसमस पर लोग अपने घर में क्रिसमस ट्री लगाते हैं और इस ट्री को घंटियों, चॉकलेट, लाइट्स और गुब्बारों से आकर्षक तरीके से सजाते हैं. साथ इस दिन चर्च में मोमबत्तियां लगाने का रिवाज है. 24 दिसंबर की रात में सामूहिक प्रार्थना होती है. इसके साथ ही केक और गिफ्ट बांटने की भी परंपरा है. क्रिसमस से जुड़ी ये परंपराएं और मान्यताएं बताती हैं कि यह पर्व शांति, प्रेम और एकता का संदेश देने वाला है.
क्रिसमस के अवसर पर ईसा मसीह के जन्मदिन की खुशियां मनाई जाती हैं. यह सेलिब्रेशन केक काट कर पूरा होता है. यह केक लोगों में बांट कर खाया जाता है. यह खास प्लम केक होता है. बता दें कि क्रिसमस पर मीठे के रूप में केक खाने से तनाव और अवसाद खत्म होता है और खुशी मिलती है.
क्रिसमस पर ईसा मसीह के सामने मोमबत्तियां जलाकर लोग उनसे जीवन में प्रकाश की कामना करते हैं. ऐसा करने के पीछे मान्यता है कि ईसा मसीह के सामने अलग-अलग रंगों की मोमबत्तियां जलाने से जीवन में खुशियां आती हैं.
क्रिसमस पर आधी रात के समय चर्च में ईसा मसीही के सामने मिलकर सामूहिक प्रार्थना करने की परंपरा है. ऐसा करने के पीछे मान्यता है कि सामूहिक प्रार्थना ज्यादा प्रभावशाली होती है और ईश्वर के करीब होने का एहसास होता है.
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क्रिसमस पर लोगों को उपहार और जरूरतमंद लोगों को कपड़े, मिठाइयां और खाने की चीजें बांटने की भी परंपरा है. ऐसा करने के पीछे ऐसी मान्यता है कि उपहार एक तरह का दान है. जिससे गरीबों को भी त्योहार और खुशियां मनाने का मौका मिलता है.