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Coronavirus Fact Check: क्या शव दफनाने से पूरे इलाके में फैल जायेगा वायरस, जानें ऐसे ही कुछ अफवाहों की सच्चाई

coronavirus dead body cremation process, no fake news कोरोना को लेकर अफवाहों का बाजार गर्म है. तरह-तरह की अफवाहों के कारण लोगों में कई तरह की भ्रांतियां घर कर गयी हैं. अफवाहों से फैली गलतफहमियों की वजह से रविवार को कोरोना पीड़ित की मृत्यु के बाद उसे दफनाने देने को लेकर भी काफी तमाशा हुआ. प्रभात खबर ने कोरोना से जुड़ी अफवाहें और उनका सच पाठकों के सामने रखने का प्रयास किया है. पेश है रिपोर्ट

कोरोना को लेकर अफवाहों का बाजार गर्म है. तरह-तरह की अफवाहों के कारण लोगों में कई तरह की भ्रांतियां घर कर गयी हैं. अफवाहों से फैली गलतफहमियों की वजह से रविवार को कोरोना पीड़ित की मृत्यु के बाद उसे दफनाने देने को लेकर भी काफी तमाशा हुआ. प्रभात खबर ने कोरोना से जुड़ी अफवाहें और उनका सच पाठकों के सामने रखने का प्रयास किया है. पेश है रिपोर्ट

शव दफनाने से पूरे इलाके में फैल जायेगा कोरोना वायरस?

शव दफनाने के विरोध के दौरान यह भी बातें सामने आयीं कि घनी आबादी के बीच स्थित कब्रिस्तान में शव दफनाने से कोरोना वायरस फैल जायेगा. जबकि, ऐसी कोई बात नहीं है. भारत सरकार की गाइड लाइन के अनुसार शव को जब तक नहीं छूआ जाये, वायरस नहीं फैलेगा. इतना ही नहीं यदि शव को जलाया जाये, तो उससे उठने वाले धुएं, राख में भी वायरस नहीं रहता है.

शव को दफनाने से बोरिंग के पानी में आ जायेगा वायरस?

रविवार को कोरोना वायरस से मरे मरीज के शव को दफनाने के क्रम में काफी पुलिस का काफी विरोध का सामना करना पड़ा. इस दौरान लोग काफी उग्र थे. उनमें से कुछ लोगों ने तो यहां तक कहा कि शव के दफनाने से बोरिंग का पानी में वायरस आने का खतरा है. जबकि, विशेषज्ञ इस बात को सिरे से नकार रहे हैं. कोरोना संक्रमित के शव के अंतिम संस्कार के लिए भारत सरकार ने गाइड लाइन जारी की है, उसमें भी इन बातों का कोई जिक्र नहीं है.

शराब पीने वालों को कोरोना वायरस का असर नहीं होगा

कहा जा रहा है कि शराब पीनेवाले लोगों पर कोरोना वायरस का असर नहीं होता है. इस तरह की खबरें सोशल मीडिया पर खूब चल रही हैं. जांच में यह बात भी अफवाह साबाित हुई है. इस तरह का कोई सर्कुलर या सलाह भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय या विश्व स्वास्थ्य संगठन की तरफ से नहीं दी गयी है.

कोरोना की दवा बाजार में आ गयी है

सोशल मीडिया में चल रहे मैसेज में कहा गया है कि कोरोना वायरस को होम्योपैथिक दवा आर्सेनिक एलबम 30 से नियंत्रित किया जा सकता है. मैसेज में कहा गया है कि होम्योपैथिक इलाज आपको इस वायरस से काफी हद तक बचा सकता है. लेकिन, ये सभी बातें केवल अफवाह हैं. अब तक कोरोना की कोई दवा नहीं बनायी गयी है.

अंडा, चिकन और मछली से होता है कोरोना

अंडा, चिकन और मछली से कोरोना का कोई सीधा संबध नहीं है. इस बारे में हमने भी पड़ताल की तो किसी भी सरकारी या निजी संस्था ने यह दावा नहीं किया है अंडा, मछली या चिकेन खाने से कोरोना वायरस होता है. इस बारे में केंद्रीय पशुपालन, डेयरी व मत्स्य पालन मंत्री गिरिराज सिंह ने इस तथ्य का खंडन करते हुए पांच मार्च को ट्वीट भी किया है. इसमें कहा गया है कि मछली, अंडे और चिकन से कोरोना वायरस का कोई लेना-देना नहीं है. मछली अंडा और चिकन छोड़ने से आपके शरीर में प्रोटीन की कमी हो सकती है, अतः स्वच्छता का ध्यान रखें और सभी भोजन अच्छी तरह पका कर खायें.

लहसुन से इलाज का दावा

सोशल मीडिया में शेयर किये जा रहे संदेशों में लहसुन से कोरोना वायरस के इलाज का दावा किया जा रहा है. जबकि, विश्व स्वास्थय संगठन या दुनिया की कोई भी एजेंसी ने अब तक इस बात का दावा नहीं किया है कि कोरोना वायरस को लेकर कोई टीका इजाद हुआ है. इसकी कोई दवा भी बाजार में नहीं आयी है. इस बारे में डब्ल्यूएचओ के ट्वीट में कहा गया है कि यह फेक न्यूज है. लहसुन से वायरस के इलाज के कोई भी पुख्ता प्रमाण नहीं मिले हैं.

अफवाहें और उनका सच

रिम्स के पीएसएम विभाग के डॉक्टर व कोविड-19 अस्पताल में सेवा दे रहे डॉ देवेश कुमार ने बताया कि ज्यादातर लोगों को वैज्ञानिक तथ्यों की जानकारी नहीं है. इसलिए वे सिर्फ अफवाह में शामिल हो गये थे. कोरोन संक्रमित व्यक्ति का शव जमीन के नीचे 15 फीट तक ही रहेगा. ऐसे में भूगर्भ जल अथवा बाहर से पानी के संक्रमित होने का खतरा ही नहीं है. शव प्लास्टिक में शिल्ड कर दफनाना है, तो कहां से संक्रमण का खतरा होगा. शव को ज्यादा देर तक रोक कर रखा गया, इससे ताे संक्रमण का खतरा ज्यादा था.

सोशल मीडिया या किसी अन्य माध्यम से कोरोना से संबंधित अफवाह फैलानेवालों पर पुलिस की नजर है. संबंधित व्यक्ति के खिलाफ पुलिस प्राथमिकी दर्ज करेगी और उसे आइटी एक्ट तथा अन्य धाराओं के तहत गिरफ्तार कर जेल भेज देगी.

– दीपक पांडेय, सदर डीएसपी

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