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Diwali special: नहीं होगी अकाल मृत्यु नरक, चतुर्दशी को जलाए यम का दिया, परिवार में आएगी समृद्धि

Diwali special: नरक चतुर्दशी पर यम दीपदान की परंपरा और इसके पीछे की मान्यताओं को जानें. इस दीपक को जलाने से परिवार की सुरक्षा होती है और अकाल मृत्यु को टाला जा सकता है. जानिए यम दीपदान का सही तरीका और इसका धार्मिक महत्व.

Diwali special: नरक चतुर्दशी, जिसे छोटी दीपावली के नाम से भी जाना जाता है, इस दिन का विशेष महत्व है. सूर्यास्त के बाद जलाया गया यह दीपक यमराज देवता को प्रसन्न करने के लिए जलाया जाता है. जिसे यम दीपदान कहा जाता है. इस दिन घर के मुख्य द्वार पर दीपक जलाया जाता है, मान्यता के अनुसार इस दीपक में चावल, दाल, सरसों, चना और मटर जैसे पांच अलग-अलग प्रकार के अनाज डाले जाते हैं. और इस दीपक को यम देवता के नाम पर जला कर घर से बाहर रख दिया जाता है, जो मृत्यु के देवता माने जाते हैं. दिवाली के समय कई धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं, लेकिन यम दीपदान का विशेष महत्व है.

अकाल मृत्यु को टाल देता है

यह माना जाता है कि इस दीपक को जलाने से अकाल मृत्यु को टाला जा सकता है. अगर किसी परिवार के सदस्य पर कोई संकट या विध्न मंडरा रहा होता है, तो यमराज इस दीपक की रोशनी से उस संकट को हर लेते हैं और पूरे परिवार की रक्षा करते हैं. यम का यह दीपक जलाने से जीवन की सुरक्षा का आशीर्वाद मिलता है और अकाल मृत्यु के द्वार बंद हो जाते हैं. परिवार की समृद्धि और सुरक्षा के लिए यह अनुष्ठान दिवाली के समय प्रमुख रूप से किया जाता है, जिससे आने वाले सालभर तक सभी को यमराज की कृपा प्राप्त होती है. इस परंपरा का पालन करते हुए यमराज से प्रार्थना की जाती है कि वे परिवार को हर प्रकार की अनहोनी और बुरी शक्तियों से बचाए रखें.

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यम का दिया जलाने का महत्व

यमराज मृत्यु के देवता माने जाते हैं और उनके नाम का दीपक जलाना जीवन की रक्षा होती है और अकाल मृत्यु से यमदेवता रक्षा करते है. मान्यता है कि यम का दिया जलाने से यमराज देव प्रसन्न होते है और लोगों उनके क्रोध का सामना करना पड़ता. दिपक जला के परिवार के सदस्य यमदेव से लंबी उम्र की कामना करते हैं है.

यम दीपदान कब और कैसे किया जाता है?

यम का दीपक नरक चतुर्दशी के दिन यानी छोटी दिवाली के दिन जलाया जाता है. इसे “यम दीपदान” भी कहा जाता है. परंपरागत रूप से, यह दीप घर के मुख्य द्वार के बाहर दक्षिण दिशा में रखा जाता है, क्योंकि दक्षिण दिशा को यमराज की दिशा माना जाता है. इसे सूर्यास्त के बाद जलाया जाता है और पूरी रात जलने के लिए छोड़ दिया जाता है.

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दिवाली से पहले यम का दिया जलाना क्यों जरूरी है?

दिवाली सुख और समृद्धि का त्योहार है, लेकिन इसके साथ ही यह यमराज की कृपा पाने का अवसर भी है. यम दीप घर के सभी सदस्यों के लिए सुरक्षा कवच के रूप में कार्य करता है. यम का दीप जलाने से न केवल अकाल मृत्यु से रक्षा होती है, बल्कि यह इसे जलाने से परिवार के सभी सदस्यों के जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है और सभी प्रकार की बुरी शक्तियों से बचाव होता है.

नरक चतुर्दशी पर यम दीपदान क्यों किया जाता है?

नरक चतुर्दशी पर यम दीपदान करने से यमराज प्रसन्न होते हैं और घर के सदस्यों को अकाल मृत्यु से बचाने का आशीर्वाद देते हैं. यह परंपरा संकटों को दूर करने और परिवार की लंबी उम्र की कामना के लिए निभाई जाती है.

यम दीपदान का महत्व क्या है?

यम दीपदान नरक चतुर्दशी के दिन मृत्यु के देवता यमराज को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है. इसे जलाने से अकाल मृत्यु का भय टल जाता है और परिवार की सुरक्षा होती है. यह दीपक दक्षिण दिशा में घर के मुख्य द्वार पर रखा जाता है.

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