भारतीय समाज में महिलाओं की सामाजिक स्थिति का मूल्यांकन कुछ शिक्षित और की-पोस्ट पर बैठी महिलाओं से संभव नहीं है, इसके लिए हमें यह जानना बहुत जरूरी है कि आम महिलाओं की क्या स्थिति है. उनकी शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवार में भूमिका, सेक्सुअल बिहेवियर और आर्थिक क्षमता हर चीज का आकलन जरूरी है. इस लिहाज से जब हम यह जानने की कोशिश करते हैं कि परिवार नियोजन को लेकर हमारे देश में क्या सोच और तरीके अपनाये जा रहे हैं तो कई चौंकाने वाले तथ्य हमारे सामने आ रहे हैं. आज भी परिवार नियोजन के ज्यादातर तरीके महिलाएं अपना रही हैं और पुरुष इससे बच रहा है. तो आइए देखते हैं कि परिवार नियोजन को लेकर तथ्य क्या हैं-
NFHS 5 की रिपोर्ट के अनुसार नसबंदी परिवार नियोजन का एक बड़ा तरीका है, लेकिन इसके आंकड़े चौंकाते हैं और यह बताते हैं कि किस तरह समाज पर पुरुषवादी सोच हावी है. बंगाल जहां महिलाओं की सामाजिक स्थिति बेहतर होने का दावा किया जाता है वहां भी मात्र 0.1 प्रतिशत पुरुष ही नसबंदी कराते हैं, जबकि महिलाओं में यह आंकड़ा 20.3 प्रतिशत का है. बिहार में भी पुरुष नसबंदी का आंकड़ा 0.1 प्रतिशत है जबकि महिलाओं में यह आंकड़ा 34.8 प्रतिशत है. यहां गौर करने वाली बात यह है कि परिवार नियोजन के मॉडर्न तरीके दंपती ज्यादा इस्तेमाल करते हैं जिनमें महिला के गर्भाशय और बांह पर लगाया जाने वाला आब्जेक्ट काफी इस्तेमाल किया जा रहा है. इसके अलावा गर्भनिरोधक गोली भी काफी इस्तेमाल किये जा रहे हैं. जो मासिक और संबंध बनाने के आधार पर खाये जाते हैं.
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 4 के अनुसार देश में परिवार नियोजन का कोई भी तरीका अपनाने वालों की संख्या 53.5 प्रतिशत है. जिनमें से शहरी इलाकों में 57.2 और ग्रामीण इलाकों में 51.7 प्रतिशत आबादी परिवार नियोजन के किसी भी तरीके का इस्तेमाल करती थी. अगर राज्यों के हिसाब से देखें तो झारखंड में यह आंकड़ा 40.4 प्रतिशत का है. यहां शहरी आबादी का 46.7 प्रतिशत परिवार नियोजन के किसी भी तरीके को अपनाता है, जबकि ग्रामीण इलाकों में यह 38.3 प्रतिशत है.
बिहार में यह आंकड़ा काफी नीचे है और यहां मात्र 24.1 प्रतिशत लोग ही परिवार नियोजन के तरीकों का इस्तेमाल करते हैं. शहरी आबादी में यह आंकड़ा 34.6 प्रतिशत और ग्रामीण आबादी में 22.6 प्रतिशत है. बंगाल यह आंकड़ा थोड़ा बेहतर है और वहां 70 प्रतिशत से ज्यादा लोग परिवार नियोजन के तरीकों का इस्तेमाल करते हैं जबकि शहरी आबादी में यह 69 प्रतिशत और ग्रामीण आबादी में 71.8 प्रतिशत है.
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राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 5 का राष्ट्रीय आंकड़ा तो अभी जारी नहीं हुआ है लेकिन राज्यवार आंकड़ों का अध्ययन करें तो हम पाते हैं कि स्थिति पहले से काफी सुधरी है एनएफएचएस-4 में जहां परिवार नियोजन के कोई भी तरीके अपनाने वालों का आंकड़ा 24.1 प्रतिशत था वहीं यह राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 5 में बढ़कर 55.8 प्रतिशत हो गया है . यानी पांच सालों में 55.8 प्रतिशत की वृद्धि देखी गयी है. शहरी इलाकों में यह आंकड़ा 62.3 प्रतिशत जबकि ग्रामीण इलाकों में यह आंकड़ा 54.6 प्रतिशत का है.
बंगाल जहां परिवार नियोजन की स्थिति अच्छी थी वहां राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 5 की रिपोर्ट में स्थिति और अच्छी हुई है. नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में 74.4 प्रतिशत परिवार नियोजन के तरीके अपना रहे हैं, जिनमें से शहरी आबादी 77.5 प्रतिशत और ग्रामीण आबादी 73 प्रतिशत है.
Posted By : Rajneesh Anand