Story of Ganesh Baraiya: तेजस्वी सम्मान खोजते नहीं गोत्र बतला के, पाते हैं जग में प्रशस्ति अपना करतब दिखला के. हीन मूल की ओर देख जग गलत कहे या ठीक, वीर खींचकर ही रहते हैं इतिहासों में लीक… रामधारी सिंह दिनकर के कविता की ये पंक्तियां अगर किसी पर सटीक बैठती है तो वो हैं, गणेश बरैया… कद मात्र 3 फीट… वजन महज 18 किलो.. ऐसी कद काठी किसी भी शख्स की हिम्मत तोड़ सकती है, लेकिन गणेश बरेया ने अपनी इस कमजोरी को अपनी ताकत बना ली और वो कर दिखाया जिससे उनका नाम आज आसमान की ऊंचाइयों में पहुंच गया है. कद-काठी में कम होने के बावजूद इन्होने अपनी मेहनत और लगन के दम पर मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम को पास किया. 23 वर्षीय गणेश बरैया के इस उपलब्धि ने देश के लाखों ऐसे युवाओं के भीतर जोश जगा दी जिस कारण इस तरह के सभी छात्र अपने अपने सपने को साकार करने के लिए अपने शारीरिक कमियों को नजरअंदाज कर अपने गोल की तरफ बिना किसी झिझक के बढ़ रहे हैं.
कठिन परिश्रम की दिलाई जीत
गणेश बरैया के लिए यह सफर बिलकुल भी आसान नहीं था. उनके लिए सबसे बड़ी रुकावट उनका कद-काठी ही था. लेकिन, उन्होंने इस तरह की सभी चुनौतियों को नजरअंदाज कर पीछे छोड़ा और इन सभी से जूझते हुए मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम को पास कर लिया. बता दें गणेश के परिवार में उनके साथ सात बहन और उनका एक और भाई भी उनके इस उपलब्धि पर काफी खुश हुए. लेकिन, गवर्नमेंट के फंक्शन्स और रेस्ट्रिक्शन की वजह से उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ा. कई बार ऐसा भी लगा कि उनका यह डॉक्टर बनने का सपना अब टूटने ही वाला है. बता दें साल 2018 में जब गणेश ने मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम पास कर एडमिशन के लिए तो उस समय मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को भरोसा ही नहीं हुआ कि यह डॉक्टर बन सकते हैं. उन्हें ऐसा इसलिए लगा क्योंकि गणेश महज 3 फ़ीट के ही हैं. मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने उनका एडमिशन लेने से इनकार कर दिया. लेकिन ऐसा होने पर भी गणेश ने हार नहीं मानी और लगातार आगे बढ़ते रहे. इस घटना को याद करते हुए गणेश ने अपने एक बयान में कहा कि, एडमिशन कमिटी ने कहा कि मैं अपनी हाइट की वजह से इमरजेंसी केस हैंडल नहीं कर पाऊंगा.
सुप्रीम कोर्ट ने दी उड़ने की आजादी
एडमिशन खारिज कर दिए जाने पर गणेश के स्कूल के संचालकों ने मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के निर्णय को हाई कोर्ट में चुनौती देने को कहा. गणेश को हाई कोर्ट से काफी उम्मीदें थीं लेकिन उन्हें वहां भी निराशा ही हाथ लगी. गणेश इस केस में हार गया. लेकिन ऐसा होने पर भी उन्होंने हार नहीं मानी. इसके बाद वे हाई कोर्ट के इस फैसले को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए. उनके डॉक्टर बनने के सपने को उस समय पंख मिला जब सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लेने के दृढ निश्चय को हरी झंडी दिखा दी. इस मामले पर बात करते हुए गणेश ने कहा कि, 23 अक्टूबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने हमें राहत दिया और यह कहा कि, कम हाइट होने के बावजूद आपको मेडिकल फील्ड में पढ़ाई के लिए एंट्री मिल सकती है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश से मैंने भावनगर स्थित मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लिया.
5 साल बाद मिली डॉक्टर की उपाधि
5 साल की कड़ी मेहनत के बाद आज आख़िरकार गणेश को डॉक्टर की उपाधि मिल गयी है. 23 वर्षीय गणेश अब डॉक्टरी की पढाई के दूसरे फेज में पहुंच चुके हैं. कुछ ही दिनों पहले उन्होंने गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, भावनगर में अपनी इंटर्नशिप शुरू की है. उनका यह इंटर्नशिप पीरियड अगले साल मार्च के महीने में पूरा होगा.
आगे का क्या है प्लान?
डॉक्टर गणेश बरैया ने मीडिया से बात करते हए बताया कि, इंटर्नशिप पीरियड ओवर होने के बाद वे NEET PG 2025 का एग्जाम देंगे. इसके बाद वे मेडिसिन, पीडियाट्रिक, डार्मेटोलोजिस्ट या फिर साइकियाट्रिक के फील्ड में अपनी पढाई जारी रखेंगे. अपने डॉक्टर बनने के इस सफर के बारे में बात करने के दौरान गणेश स्कूल के संचालक, मेडिकल कॉलेज के डीन, सभी प्रोफेसर और अपने दोस्तों को शुक्रिया कहा. गणेश ने आगे बताया कि, कद छोटा होने की वजह से उन्हें अपने रोजमर्रा के कई कामों को करने में काफी परेशानी होती है. स्कूल के समय में भी मुझे जो भी परेशानी होती थी उन्हें ध्यान में रखते हुए संचालकों ने मुझे अलग सुविधाएं दी थी.