Guru Purnima 2024: इस साल गुरु पूर्णिमा का मत्वपूर्ण त्योहार 21 जुलाई को मनाया जाएगा. आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है. मान्यताओं के अनुसार इस दिन महर्षि वेद व्यास जी का जन्म हुआ था, इसलिए इसे व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है. यह पूर्णिमा हमारे जीवन में गुरुओं के महत्व को दर्शाती है, जो हमें जीवन में सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं. नीचे आपको कुछ ऐसे श्लोक और कोट्स का सुझाव दिया गया है, जिसे आप गुरुपूर्णिमा के दिन अपने गुरुओं को भेज कर, उनके प्रति अपना स्नेह प्रदर्शित कर सकतें हैं.
गुरु बिनु भवनिधि तरइ न कोई
जों बिरंचि संकर सम होई
अर्थ- भले ही कोई ब्रह्मा और शंकर के समान गुणों वाला क्यों न हो, लेकिन वह गुरु के बिना भव सागर पार नहीं कर सकता.
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गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु गुरु देवो महेश्वरा
गुरु साक्षात परम ब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नमः
अर्थ- गुरु देव तुल्य होते हैं, वे देवता के समान होते हैं. ऐसे गुरु को मेरा नमन है.
गुरु गोबिंद दोऊ खड़े, काके लागूं पांय
बलिहारी गुरु आपने गोबिंद दियो बताय
अर्थ- गुरु और भगवान, जब एक साथ खड़े हों, तो किसे प्रणाम करना चाहिए ? गुरु को अथवा भगवान को? ऐसी स्थिति में गुरु के चरणों में शीश झुकाना सही है जिनके कृपा रूपी प्रसाद से ही भगवान का दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ.
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स्वर्गो धनं वा धान्यं वा विद्या पुत्राः सुखानि च
गुरु वृत्युनुरोधेन न किंचितदपि दुर्लभम्
अर्थ– गुरुजनों की सेवा करने से स्वर्ग, धन-धान्य, विद्या, पुत्र, सुख आदि कुछ भी दुर्लभ नहीं है.
देवद्विजगुरुप्राज्ञपूजनं शौचमार्जवम्
ब्रह्मचर्यमहिंसा च शारीरं तप उच्यते
अर्थ- देवता, ब्राह्मण, गुरु और ज्ञानीजनों का पूजन, पवित्रता, सरलता, ब्रह्चर्य और अहिंसा ये शरीर संबंधी तप कहलाते हैं. जो मनुष्य ज्ञान दे और ब्रह्म की ओर ले जाए उसे गुरु कहते हैं.
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सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज
अहं त्वा सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यिा माम शुचः
अर्थ- सभी साधनों को छोड़कर केवल नारायण रूपी गुरु की शरणगत हो जाना चाहिए. वे उसके सभी पापों का नाश कर देंगे. शोक नहीं करना चाहिए.