आरती श्रीवास्तव
Happiness, यानी प्रसन्नता मानसिक अवस्था होती है. यदि आपको छोटी-छोटी बातों में प्रसन्न होना आता है, थोड़े में संतुष्टि के साथ रहना आता है, हर अवसर को उत्सव में बदलना आता है, सभी को साथ लेकर चलना आता है, जीवन में बैलेंस बनाना आता है, बेकार की बातों को ignore करना आता है, अतीत की कड़वी, दुखद बातों व उदासी भरे पलों को पीछे छोड़ आगे बढ़ना आता है, तो आपकी खुशी कोई छीन ही नहीं सकता. यदि आपको जीवनभर खुशहाल रहना है, तो उपरोक्त बातों को पूरी तरह आत्मसात करना और पूरे उत्साह के साथ मस्ती में जीना सीखना होगा. किसी ने कुछ कह दिया, या काम का तनाव है, या भविष्य की चिंता है, तो उसके बारे में हर पल सोचने की आवश्यकता नहीं है, यह स्थिति आपका सुख-चैन, प्रसन्नता-आनंद सब छीन लेगी. आपके हाथ लगेगा केवल दुख, परेशानी, हताशा और निराशा.
खुशियों के हमसे दूर जाने के कई कारण हैं
वास्तव में हम जो पाना चाहते हैं, जब वह हमें नहीं मिलता, या काम में व्यस्त होने के कारण जब हमारी पर्सनल लाइफ में डिस्टर्बेंस आने लगती है, हमारे अपने हमसे दूर जाने लगते हैं, हम अपने मन की बात किसी से साझा करना चाहते हैं, उसे नहीं कर पाते, जब हमारा खास हमसे बिछड़ जाता है या हमारे किसी अपने की मृत्यु हो जाती है, तब हमारे जीवन में चिंता, तनाव, निराशा का प्रवेश होना स्वाभाविक सी बात है. ऐसे में यदि हम कुछ बातों को ध्यान में रखकर जीवन में आगे बढ़ें, तो खुशियां हमसे दूर नहीं जायेंगी.
proper goal setting जरूरी
हम जो भी काम करना चाहते हैं या जीवन में जो कुछ भी बनना चाहते हैं, पाना चाहते हैं, उसका निर्णय बहुत सोच-समझकर लेना चाहिए. हमें इस बात का अच्छी तरह पता होना चाहिए कि हमें अपनी लाइफ में क्या चाहिए. अक्सर देखा जाता है कि हममें से कई लोग दूसरों की देखा-देखी या फिर भेड़-चाल में शामिल होकर अपना career select करते हैं. कई बार हम हम उन चीजों को भी अपने जीवन में शामिल करने के प्रयास में लग जाते हैं, जिसे दूसरों ने किया है. उदाहरण के लिए, यदि किसी ने बड़ा सा घर बना लिया या किसी ने बड़ी से गाड़ी ले ली, तो हमारे मन में भी उन चीजों को पाने की इच्छा तीव्र होने लगती है. ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि हम कल्पना कर लेते हैं कि बंगला या गाड़ी होने से जब फलां व्यक्ति खुश है तो हमें भी उसी से खुशी मिलेगी. जबकि ऐसा नहीं है. हर किसी के लिए खुशी का अर्थ अलग होता है. यदि हमें सचमुच प्रसन्नता, आनंद चाहिए, तो हमें अपने भीतर गहरे उतरना होगा. दूसरे शब्दों में कहें, तो हमें अपने भीतर झांककर यह जानना होगा कि हमें कौन सा काम करके प्रसन्नता मिलती. उसके बाद हमें एक सीमा रेखा तय करनी होगी कि अपने जीवन में फलां चीज प्राप्त करने के बाद हम रूक जायेंगे और अपनी life enjoy करेंगे. ऐसा करने में कोई संकोच नहीं करेंगे. कहने क अर्थ है कि प्रसन्नचित्त या happy रहने के लिए proper goal setting जरूरी है.
लाइफ में बैलेंस बनाकर रखें
काम में डूबना अच्छी बात होती है, हमें डूबना भी चाहिए. पर इतना भी नहीं कि हमारी लाइफ का बैलेंस ही बिगड़ जाए और हम बेपटरी हो जाए. इसलिए काम में उतना ही डूबें, उसे उतनी ही प्राथमिकता दें जिससे आपके जीवन का दूसरा पक्ष प्रभावित न हो. इसके साथ ही, अपने जीवन से जुड़ी कुछ अत्यंत महत्वपूर्ण बातें- आपका परिवार, आपकी डाइट, आपकी हॉबिज, एक्सरसाइज- इन सबको कभी भी नजरअंदाज न करें. इन्हें नजरअंदाज करने से आपकी लाइफ डिसबैलेंस हो सकती है, आप physically व mentally परेशान हो सकते हैं. कहने का अर्थ है कि आप काम को अपने जीवन का अंग बनायें, उसे जीवन न बनायें. ऐसा करना बहुत आवश्यक है. जब आप वेल बैलेंस्ड लाइफस्टाइल मेंटेन करेंगे तभी तनाव, चिंता, निराशा से दूर होंगे और खुशहाल जीवन जी पायेंगे.
रिश्तों को सींचना आवश्यक है
हमारे जीवन में चिंता और तनाव बढ़ने का प्रमुख कारण हमार अकेला पड़ना है. आज हम अपने सगे-संबंधियों, आस-पड़ोस सबसे दूर हो गये हैं. नतीजा, हम अपने मन की बात किसी से शेयर ही नहीं कर पाते हैं. ये बातें हमारे जीवन को बहुत ज्यादा प्रभावित कर रही है. अकेलेपन की वजह से ही हम अवसादग्रस्त हो रहे हैं. आज ज्यादातर फैमिली न्यूक्लियर है. उनमें भी आपस में दो लोग, यानी पति-पत्नी की नहीं बनती है. ऐसे में हमारे पास कोई साथी-सहारा नहीं बचा है, कोई हमें sympathy देने वाला नहीं बचा है. सपोर्ट सिस्टम की यही कमी हमें मानसिक रूप से बेहद अकेला कर रही है जिससे हम निराशा व अवसाद में आ रहे हैं. इन परेशानियों से बचे रहने का सबसे अच्छा तरीका है कि हम अपने रिश्तों को सींचें. उन्हें समय दें.
जरूरी है प्रॉपर कम्युनिकेशन
वर्क प्लेस पर कई ऐसी बातें होती हैं, जो हमारा मूड खराब कर सकती हैं और हम टेंशन में आ सकते हैं. इसलिए यहां प्रॉपर कम्युनिकेशन बनाये रखना most important है. वर्क प्लेस पर गुस्सा करना और अनर्गल बोलना आजकल आम बात हो गयी है. इसके उलट, कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो बातों को अपने भीतर दबाकर रखते हैं. दोनों ही स्थितियां सही नहीं है. इससे बचने का सबसे अच्छा तरीका है कि हम अपने colleagues और boss के साथ प्यार से पेश आएं. अगर उनके व्यवहार को लेकर कोई परेशानी है, तो शांति से बैठकर अपनी बात रखें. इससे माहौल भी नहीं बिगड़ेगा और हम मानसिक तौर पर परेशान भी नहीं होंगे.
टीम स्पिरिट बनाकर रखें
वर्क प्लेस पर टीम स्पिरिट होना बहुत जरूरी है. पर विडंबना यह है कि आजकल इस तरह की भावनाएं सहकर्मियों के बीच खत्म हो रही हैं. आज हर एक व्यक्ति के मन में बस यही बात घर कर गयी है कि सबको पीछे छोड़कर वो कैसे आगे निकल जाए. इसके लिए दूसरों की राह काटना और shortcut लेने से भी लोग नहीं चूक रहे हैं. स्ट्रेस की एक वजह यह भी है. क्योंकि जब हम दूसरों को काटकर, शॉर्टकट लेकर आगे बढ़ते हैं, तो सामने वाले व्यक्ति के मन में भी हमारे प्रति क्रोध की भावना भर जाती है और वह हमसे बदला लेने पर उतारू हो जाता है. यदि सामने वाला व्यक्ति बदला न भी ले, तब भी हमारे मन में यह डर बना रहता है कि जैसा हमने दूसरों के साथ किया है, वैसा कोई और हमारे साथ भी कर सकता है. यह डर हमारी मानसिक शांति छीन लेता है और हम चिंतित रहने लगते हैं. इसलिए चैन और शांति के साथ जीने के लिए टीम स्पिरिट के साथ काम करना बहुत जरूरी है. इससे लोग हमें पसंद भी करते हैं, हमारी ग्रोथ भी अच्छी होती है और हमारे मन में किस तरह का कोई डर भी नहीं रहता है. हम प्रसन्नचित्त बने रहते हैं.