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हॉबी को जब मिला हौसला, वेस्ट से बेस्ट बनाकर रोजगार के खोले नए द्वार

Hobby Becomes Income Source : हम सबका कोई ना कोई शौक होता है लेकिन काम के बोझ के नीचे हमारी हॉबी कई बार दब जाती है. लेकिन कई लोग हॉबी के साथ हौसले का रंग मिलाकर जीवन में खुशियों के रंग भर देते हैं ऐसी ही मिसाल है डॉ किरण तिवारी, जो बेकार चीजों से शानदार चीजें बना रहीं हैं .

Hobby becomes income source : पूजा-पाठ हो, शादी-ब्याह या पर्व-त्योहार, तमाम धार्मिक अनुष्ठान फूल के बिना अधूरे हैं. मगर रंग-बिरंगे फूलों की उपयोगिता खत्म होते ही इन्हें कचरे में फेंक दिया जाता है. हमारे आस-पास कई ऐसे पर्यावरण प्रेमी हैं, जो अपने पर्यावरण को स्वच्छ बनाये रखने के लिए प्रयासरत हैं, वहीं इन बेकार के फूलों से अपनी किस्मत भी संवार रहे हैं. नैनीताल में ही पली-बढ़ी डॉ किरण तिवारी पीएचडी करने के बाद अपने शौक के लिए समय देना चाहती थीं. उन्हें शुरू से ही प्रकृति के बीच रहना, फूलों से माला या अन्य कलात्मक चीजें बनाना खूब भाता था. उन्होंने गौर किया कि कई शहरों में वेस्ट माने जाने वाले फूलों को रीसायकिल करने के लिए विशेष प्लांट लगे हैं, वहीं ज्यादातर शहरों में इसे नदी या नाले में ही बहा दिया जाता है. फिर उन्होंने सोचा कि क्यों न इन बेकार के फूलों को उपयोग में लाया जाये! इस पर काफी रिसर्च वर्क करने के बाद उन्होंने नैनीताल, उत्तराखंड में ‘चेली आर्ट्स’ नाम से महिला कारीगरों की एक संस्था पंजीकृत करवायी. इस बायोडिग्रेडेबल वेस्ट का इस्तेमाल करके स्थानीय महिलाओं ने अपने रोजगार का जरिया खोज लिया है और आर्थिक रूप से सशक्त बन रही हैं.

पर्यावरण की सुरक्षा का ध्यान

डॉ किरण की यह संस्था पहाड़ी उत्पादों और कुमाऊंनी संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए काम करती है. साथ ही फूल-पत्तियों से कपड़ों पर डिजाइन तैयार करती है. खास बात यह है कि ये सब कुछ बेकार चीजों से बनाया जा रहा है. दरअसल, ये एक इको प्रिंट है, जिसमें पर्यावरण को सुरक्षित रखते हुए फैशनेबल चीजें बनायी जाती हैं. इस प्रक्रिया में सूखे फूलों व पत्तों से रंगीन पाउडर तैयार किया जाता है. इससे डिजाइन किये गये कपड़ों से निकलने वाला रंग अगर पानी में चला भी जाये, तो भी पानी को कोई नुकसान नहीं होता.

मार्केटिंग का जरिया बना सोशल मीडिया

संस्था की महिलाएं प्राकृतिक होली के रंग, कुमकुम, पीठिया और धूप जैसे कई तरह के ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स बनाती हैं. वे अपनी ब्रांडिग फेसबुक पेज CHELI ARTS Online Studio व इसी नाम से वेबसाइट के जरिये करती हैं. वे न सिर्फ कपड़ों पर सूखे फूल-पत्तियों से डिजाइन बनाती हैं, बल्कि चुकंदर से बना लिप बॉम, बालों के लिए तेल आदि भी बनाती हैं, जो त्वचा के लिए बिल्कुल सुरक्षित हैं. डॉ किरण बताती हैं कि उनके साथ पहाड़ी इलाके की 10 महिलाओं इस रोजगार से जुड़ी हैं. उनके उत्पाद की लंबी रेंज है.

वेस्ट से बेस्ट बना रही हैं महिलाएं

डॉ किरण तिवारी ने बताया कि यह एक तरह का बॉटनिकल आर्ट है. इसमें सूखे फूलों की पंखुड़ियों, पत्तों, प्याज के छिलके जैसी चीजों से कपड़ों पर प्रिंट किया जाता है. इसके लिए महिलाएं नजदीकी नैना देवी मंदिर और गुरुद्वारा से सूखे हुए फूलों की मालाओं से फूल इकट्ठा करती हैं और फिर उनकी पंखुड़ियों को अलग-अलग करके इस्तेमाल करती हैं. वहीं, प्रिंट के लिए पहले कपड़े को साफ करके धोया-सुखाया जाता है. फिर इन पर फूलों की पंखुड़ियों से तैयार डाइ का प्रयोग किया जाता है. इससे आकर्षक डिजाइन बनाये जाते हैं. फूलों से बने इस डिजाइन को ‘फुलारी आर्ट्स’ के नाम से जाना जाता है. फिलहाल तो वे इन फूलों से स्टॉल, साड़ी और रूमाल आदि बना रही हैं. उन्होंने आगे बताया कि इस काम की शुरुआत घर से ही की थी. पहले केवल कपड़ों आदि का काम किया जाता था, लेकिन धीरे-धीरे मांग बढ़ने के साथ-साथ हम लोग अन्य चीजों पर भी इसे प्रयोग कर रहे हैं.

सौम्या ज्योत्सना

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