Holi 2024: रंगों के त्योहार होली में कुछ ही दिनों का समय शेष है. हमारे जीवन में रंगों का बेहद खास महत्व है. ये इस प्रकृति के साथ ही हमारे जीवन को भी खूबसूरत बनाते हैं. आप लोगों में अधिकांश का कोई-न-कोई एक पसंदीदा रंग जरूर होता है. क्या आप जानते हैं कि दुनिया में सबसे ज्यादा पसंद किया जाने वाला रंग कौन-सा है? या इस दुनिया में आने के बाद आपने सबसे पहला रंग कौन-सा देखा था? आज रंगों से जुड़े ऐसे ही कुछ रोचक तथ्यों से हम आपका परिचय करवा रहे हैं.
सबसे पहले दिखता लाल
नवजात बच्चे, जो 1 से 2 हफ्ते के होते हैं. उन्हें कुछ भी स्पष्ट नहीं दिखता है, लेकिन जैसे ही वे रंगों को देखने के लायक होते हैं, तो उन्हें सबसे पहले लाल रंग ही दिखता है. वैज्ञानिक इसका कारण लाल रंग की वेवलेंथ सबसे लंबी होना मानते हैं. यही वजह है कि छोटे बच्चों की विकसित होती हुई आंखें, सबसे पहले लाल रंग को देख पाती हैं.
कितने रंग हैं दुनिया में
दुनिया में 7 रंग हैं, लेकिन केवल हम इंसानों को ही ये सातों रंग दिखायी देते हैं. दूसरे जीवों को केवल कुछ ही रंग दिखायी देते हैं. रंगों को देखने के लिए जानवरों की क्षमता आंख के रेटिना में मौजूद कलर रिसेप्टर्स पर निर्भर करती हैं. यह आंखों में मौजूद कोन और रॉड जैसी संरचनाएं होती हैं. कुछ जानवरों में इनकी संख्या कम या ज्यादा हो सकती हैं. इनसे वे रात में भी बेहतर तरीके से देख पाते हैं, लेकिन इसके कारण उन्हें रंग अलग ही स्वरूप में दिखते हैं. लोगों के बीच हमेशा से यह धारणा रही है कि सांड लाल रंग को देख कर भड़कते हैं, लेकिन सच तो यह है कि गिलहरी और सांड ऐसे जानवर हैं, जिन्हें लाल रंग दिखता ही नहीं है. अब इसके आधार पर यह भी संभव है कि और भी कई रंग मौजूद हों, लेकिन हम इंसान उन्हें देख नहीं पाते हों.
विविध रंगों की विजिबिलिटी
कार का रंग अगर सफेद हो, तो इसे सबसे सुरक्षित माना जाता है. इसकी वजह यह है कि सफेद रंग हर तरीके के वेदर कंडीशन में दूर से ही नजर आ जाता है. केवल बर्फबारी की स्थिति में ही इसे देख पाना मुश्किल होता है. हालांकि, सड़क पर आसानी से नजर आ जाने वाले रंगों की सूची में पहले नंबर पर हल्का पीला रंग आता है, लेकिन लोग इस रंग को ज्यादा पसंद नहीं करते इसलिए वे सफेद रंग की गाड़ी को प्राथमिकता देते हैं. इसके बाद सेफ कलर की लिस्ट में सिल्वर कलर का नाम आता है, जिसे भारी बारिश और धुंध में भी आसानी से देखा जा सकता है.
क्या आपको पता है भूख का रंग
क्या भूख का भी कोई रंग हो सकता है? अगर फास्ट फूड कंपनियों के एड पर एक नजर डालें, तो कुछ ऐसा ही लगता है. बड़े-बड़े पिज्जा व बर्गर कंपनियों के एड से लेकर रेस्टोरेंट और उनकी पैकेजिंग तक में आपको केवल लाल व पीला रंग नजर आयेगा. इसका कारण है कि लाल और पीले रंग हमारी भूख को बढ़ाने का काम करते हैं. ऐसे में वजन घटाने की कोशिश करने वाले लोगों को अपना किचन पीले रंग से पेंट न करने की सलाह दी जाती है. वहीं नीला रंग हमारी भूख को कम करता है. ऐसे में किसी भी फास्ट फूड आउटलेट्स या रेस्टोरेंट में शायद ही आपको यह रंग नजर आये.
क्या रंगों से भी लग सकता है डर
क्रोमोफोबिया एक ऐसी बीमारी है, जिसमें इंसान रंगों से डरता है. इस बीमारी की वजह इंसान के साथ रंगों से जुड़ा कोई भी भयानक हादसा हो सकता है. यह बीमारी हमारी जिंदगी को एक ऐसे दायरे में कैद कर देती है, जहां सब कुछ ब्लैक एंड व्हाइट होता है.
नारंगी क्या है- फल या रंग?
दुनिया में पहले मुर्गी आयी या अंडा यह सवाल आपने खूब सुना होगा. क्या कभी ये सोचा है कि ऑरेंज कलर पहले आया था या ऑरेंज फ्रूट? हालांकि, ऑरेंज शब्द का इस्तेमाल पहली बार अंग्रेजी भाषा में 13वीं शताब्दी में फल के लिए ही किया गया था. इससे पहले ऑरेंज कलर को जियोल्यूर्ड (Geoluread) कहा जाता था, जिसका अर्थ पीलापन लिये लाल रंग होता है.