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How To: ट्रेन में बुक करवाना चाहते हैं लोवर बर्थ, तो जान लें ये जरूरी बातें

How To Book Lower birth in Indian Railways, IRCTC Senior Citizens Rules: आज हम आपको उस प्रोसेस के बारे में बताने वाले हैं, जिसकी मदद से आप ट्रेन में लोअर बर्थ की सीट को बुक कर सकते हैं.

  • आईआरसीटीसी किन लोगों को लोअर बर्थ अलॉट करती है

  • आईआरसीटीसी द्वारा लोअर बर्थ अलॉट करने की प्रक्रिया क्या है

How To Book Lower birth in Indian Railways, IRCTC Senior Citizens Rules: ट्रेन में लोवर बर्थ बुक कराने को लेकर काफी मारा मारी देखने को मिलती है. खास कर बुजुर्गों और मरीजों के लिए हमेशा से लोग लोवर बर्थ वाली सीट ही प्रेफर करते हैं. आज हम आपको उस प्रोसेस के बारे में बताने वाले हैं, जिसकी मदद से आप ट्रेन में लोअर बर्थ की सीट को बुक कर सकते हैं. इसके अलावा हम यह भी जानेंगे कि आईआरसीटीसी किन लोगों को लोअर बर्थ अलॉट करती है और उसके द्वारा लोअर बर्थ अलॉट करने की प्रक्रिया क्या है?

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बुकिंग करते समय करें इस ऑप्शन को सेलेक्ट

रेलवे ने रेल यात्रियों के सुविधा के लिए एक विकल्प दे रखा है. अगर आप सीनियर सिटीजन नहीं है और नीचे की बर्थ का टिकट पाना चाहते हैं तो आप IRCTC की वेबसाइट पर टिकट की बुकिंग करते समय लोअर बर्थ के विकल्प का चुनाव कर लें. इसके बाद रेलवे अपने नियमों के मुताबिक, आपको लोअर सीट अलॉट कर सकता है. बस फिर क्या आप मजे से नीचे की सीट में आसानी से यात्रा कर सकते हैं. इसके साथ ही अगर आप 2एस में यात्रा कर रहे हैं तो आप खिड़की वाली सीट का भी विकल्प चयनित कर सकते हैं और अपने सफर को आरामदायक के साथ सुहाना बना सकते हैं.

इन्हें अलॉट होती है लोवर बर्थ

आईआरसीटीसी ने ट्रेनों में लोअर बर्थ को अलॉट करने के लिए एक विशेष नियम को बना रखा है. रेलवे ने बताया है कि ये लोअर बर्थ शाररिक रूप से दिव्यांग लोगों को पहले दिया जाएगा. इसके बाद सीनियर सिटीजन और महिलाओं को बांटा जाता है. रेलवे बोर्ड के आदेश के मुताबिक, स्लीपर क्लास में दिव्यांग के लिए चार सीट, एसी में दो सीट रिजर्व्ड रहती है. वहीं अगर कोई गर्भवती महिला है तो उसको भी लोअर बर्थ दी जाती है. टिकट की बुकिंग आप आईआरसीटीसी वेबसाइट पर जाकर करा सकते हैं.

जानें रेलवे के नियम

रेलवे के नियम के अनुसार, जो भी यात्री साइड लोअर बर्थ पर सफर कर रहा है, उसे साइड अपर यात्री को दिन के समय में भी नीचे बैठने की जगह देनी पड़ेगी. रेलवे के एक नियम अनुसार, अगर लोवर बर्थ पर RAC वाले दो यात्री पहले से यात्रा कर रहे हैं, तब भी उन्हें बर्थ वाले को सीट देनी पड़ेगी. कई बार ऐसा होता है कि यात्री ट्रेन में सफर के समय, इन नियमों से परिचित नहीं होता. जिसकी वजह से कई बार स्थिति खराब हो जाती है. ऐसे में दो यात्री के बीच बात न बिगड़े इसके लिए रेलवे ने खास नियम बनाएं हैं.

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ट्रेन का टिकट कैसे बुक करें चरण

  • 1: वेबसाइट पर जाएं. सबसे पहले आपको आईआरसीटीसी की आधिकारिक वेबसाइट पर जाना होगा.

  • चरण 2: अकाउंट लॉगिन करें.

  • चरण 3: मेरी यात्रा की योजना का विवरण दर्ज करें.

  • चरण 4: ट्रेन का चयन करें.

  • चरण 5: अभी बुक करें और यात्री विवरण दर्ज करें.

  • चरण 6: फोन नंबर दर्ज करें.

  • चरण 7: भुगतान मोड का चयन करें.

जानें भारतीय रेल के बारे में

भारत की पहली ट्रेन

भारत की पहली ट्रेन रेड हिल रेलवे थी, जो 1837 में रेड हिल्स से चिंताद्रिपेट पुल तक 25 किलोमीटर चली थी. सर आर्थर कॉटन को ट्रेन के निर्माण का श्रेय दिया गया था, जिसका उपयोग मुख्य रूप से ग्रेनाइट के परिवहन के लिए किया जाता था. वहीं पब्लिक परिवहन के लिए भारत में पहली ट्रेन 16 अप्रैल 1853 को बोरी बंदर (मुंबई) और ठाणे के बीच 34 किमी की दूरी पर चली थी. ट्रेन में 400 यात्री सवार थे. दिलचस्प बात यह है कि इस दिन को सार्वजनिक अवकाश भी घोषित किया गया था.

भारत की सबसे तेज ट्रेन

नई दिल्‍ली से वाराणसी के बीच चलने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस (ट्रेन 18) का स्पीड 180 किलोमीटर प्रति घंटा है, लेकिन आधिकारिक तौर पर इसकी स्पीड को 130 किलोमीटर प्रति घंटा कर दिया गया है. वहीं गतिमान एक्सप्रेस देश की सबसे तेज गति से दौड़ने वाली ट्रेन है. यह हजरत निजामुद्दीन से आगरा के बीच 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ती है. आगरा से झांसी के बीच इसे 130 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ाया जाता है.

भारत में पहली इलेक्ट्रिक ट्रेन

भारत में पहली इलेक्ट्रिक ट्रेन 3 फरवरी 1925 को बॉम्बे विक्टोरिया टर्मिनल और कुर्ला हार्बर के बीच चली थी. बाद में नासिक के इगतपुरी जिले और फिर पुणे तक बिजली लाइन का विस्तार किया गया.

भारत का पहला रेलवे स्टेशन

मुंबई में स्थित बोरी बंदर भारत का पहला रेलवे स्टेशन है। भारत की पहली यात्री ट्रेन 1853 में बोरी बंदर से ठाणे तक चली थी. इसे ग्रेट इंडियन पेनिन्सुलर रेलवे द्वारा बनाया गया था. इस स्टेशन को बाद में 1888 में विक्टोरिया टर्मिनस के रूप में फिर से बनाया गया, जिसका नाम महारानी विक्टोरिया के नाम पर रखा गया.

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