बच्चों को अपने करीब लाने की पहली शर्त है कि वह आप पर विश्वास करें. पढ़ाई में उसकी रुचि लाने के लिए पैरेंट्स की तरह नहीं फ्रेंड की तरह बिहैव करें. उसकी बातों को सुनें और उसकी इच्छाओं को समझें. धीरे-धीरे वह आपसे खुलने लगेगा.
बच्चा पढ़ने को तैयार नहीं होता और ऐसे में कई पैरेंट्स यह समझ नहीं पाते कि उन्हें क्या करना चाहिए. ऐसा क्या करें कि बच्चे का मन पढ़ाई में लगे और वह बगैर कहे अपनी रूटीन को फॉलो करें और डिसिप्लिन बिहेव करे.
बच्चा जब स्कूल से लौटता है तो वह काफी थका हुआ रहता है. उसे अपनी बातों से रिलैक्स करें. उसके इंटरेस्ट के मुताबिक घंटे भर का समय बीताने दें. यदि आप समय दे सकें तो उसके साथ क्वालिटी टाइम बिताएं.
बच्चा रिलैक्स हो जाए और कुछ खा-पी ले तो उससे स्कूल की गतिविधियों के संबंध में पूछ सकते हैं कि आज उसने स्कूल में क्या-क्या किया. टीचर्स ने क्या नई बातें बताईं. दोस्तों के साथ कैसा रहा. उससे जरूर पूछे कि उसका दिन कैसा रहा.
अब तय शेड्यूल के मुताबिक बच्चे को पढ़ने के लिए कहें और खुद भी उसके साथ बैठें. शुरू-शुरू में उसे उसकी रुचि के सब्जेक्ट्स ही पढ़ने दें. सब्जेक्ट को रुचिपूर्ण ढंग से बताएं. उदाहरण दें, ताकि बच्चे को पढ़ाई उबाउ न लगे.
बच्चे का अलग स्टडी रूम हो तो वहां साथ बैठें. यदि कॉमन रूम में पढ़ाई करता हो तो वहां का माहौल ऐसा बनाएं कि उसे डिस्टर्बेंस न हो. रूम में टीवी, म्यूजिक सिस्टम न चले. अन्य फैमिली मेंबर हों तो वे न तो शोर करें और न ही मोबाइल चलाएं.
बच्चा पढ़ाई में थोड़ा भी अच्छा करना शुरू करता हो तो उसके एफर्ट की सराहना करते रहें. इससे उसका कॉन्फिडेंस बढ़ेगा और बच्चा ज्यादा मन लगाकर पढ़ेगा. अच्छा करने पर उसे गिफ्ट भी दे सकते हैं.
आप बच्चे को वीकेंड पर बाहर घुमाने भी ले जा सकते हैं. क्योंकि रोज-रोज एक तरह की रूटीन को फॉलो करते-करते बच्चा बोर होता है. बाहर ले जाने से उसकी एनर्जी बूस्ट होगी.
बच्चे को आठ घंटे की पर्याप्त नींद जरूरी होती है. उसके लिए टाइम टेबल बनाएं. अचानक नहीं, धीरे-धीरे उसे टाइम टेबल के फ्रेम में लाने की कोशिश करें. साथ ही वर्क आउट और योग की आदत भी बच्चे में बचपन से ही डालें. इससे उसे एकाग्रचित्त होने में मदद मिलेगी.
Also Read: क्या आप भी हैं अपने बच्चों के चिड़चिड़े और जिद्दी नेचर से परेशान ? फॉलो करें ये पैरेंटिंग टिप्सपढ़ाई को इटरेंस्टिंग बनाएं. उसे एग्जाम्पल्स के आधार पर समझाएं. माहौल को हल्का-फुल्का रखें. सबसे अहम बात की बच्चे की पिटाई न करें. ऐसा करना उसके मेंटल हेल्थ पर इफेक्ट डालेगा. उसे प्यार से समझाएं.
Also Read: बच्चों को समय देकर खुद को साबित करें रिस्पांसिबल, ऐसे बने बच्चों के सबसे अच्छे दोस्त