पहला भारतीय झंडा 7 अगस्त, 1906 को कलकत्ता के पारसी बागान स्क्वायर पर फहराया गया था. इसमें धार्मिक प्रतीकों को दर्शाया गया था और उस पर वंदे मातरम के साथ फूल भी अंकित थे. इसमें हरा (ऊपर), पीला (मध्य) और लाल (नीचे) रंग की तीन धारियां थीं.
आंशिक संशोधनों के साथ भारतीय ध्वज का दूसरा संस्करण जर्मनी के स्टटगार्ट में दूसरे सोशलिस्ट अंतर्राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन में मैडम भीकाजी कामा द्वारा फहराया गया था. गौरतलब है कि मैडम कामा विदेशी धरती पर भारतीय राष्ट्रीय ध्वज फहराने वाली पहली व्यक्ति हैं.
झंडे का दूसरा संस्करण 1917 में बाल गंगाधर तिलक द्वारा फहराया गया था. इसमें लाल और हरे रंग की दो पट्टियाँ थीं और ऊपर बाईं ओर यूनियन जैक – यूनाइटेड किंगडम का ध्वज और ऊपर दाईं ओर एक अर्धचंद्र था. सप्तऋषि तारामंडल को दर्शाने के लिए इसमें सात पद भी थे.
1921 में चौथे प्रकार के झंडे का प्रयोग किया गया. नए झंडे में सफेद, हरी और लाल धारियां थीं, जिसमें सफेद रंग धार्मिक अल्पसंख्यकों का प्रतिनिधित्व करता था, हरा रंग मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करता था और लाल रंग हिंदुओं का प्रतिनिधित्व करता था. बीच में एक घूमता हुआ पहिया था.
झंडे का पांचवां संस्करण 1921 में विकसित किया गया था जिसे कांग्रेस समिति ने अपनाया था. इस झंडे में सबसे ऊपर केसरिया रंग, बीच में सफेद और नीचे हरा रंग था और बीच में चरखा था.
वर्तमान में उपयोग में आने वाला भारतीय राष्ट्रीय ध्वज आंध्र प्रदेश के शिक्षाविद् और स्वतंत्रता सेनानी पिंगली वेंकैया द्वारा डिजाइन किया गया था. 15 अगस्त 1947 को भारत के पहले प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू ने दिल्ली में लाल किले के लाहौरी गेट पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया था.
हमारा राष्ट्रीय ध्वज-तिरंगा भारतीयों की आशाओं और आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता है. 13 से 15 अगस्त 2022 तक अपना राष्ट्रीय ध्वज लाना और इसे अपने घरों में फहराना न केवल तिरंगे के प्रति हमारे व्यक्तिगत जुड़ाव को दिखाएगा बल्कि राष्ट्र निर्माण के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का भी प्रतीक होगा.