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Independence Day: आजादी के बाद जब पहली बार पंडित नेहरू दे रहें थे भाषण, तब कहां चले गए थे महात्मा गांधी ,जानें

स्वतंत्रता दिवस का दिन हम सभी भारतीयों के लिए गर्व का दिन है, जब हम अपने देश की आज़ादी की महत्वपूर्ण यादें ताजगी से याद करते हैं और आज़ादी, स्वतंत्रता और समृद्धि की दिशा में प्रतिबद्ध रहने का संकल्प लेते है.

आज हम 77वां स्वतंत्रता दिवस मना रहे हैं, ये दिन हम सभी भारतीयों के लिए गर्व का दिन है जब हम अपने देश की आज़ादी की महत्वपूर्ण यादें ताजगी से याद करते हैं और आज़ादी, स्वतंत्रता और समृद्धि की दिशा में प्रतिबद्ध रहने का संकल्प लेते है. आइए आज हम आजादी से जुड़ी ऐसा बातों के बारे में जानें जिसे शायद ही हम जानते होंगे.

  • भारत को अंग्रेजों से आज़ादी 15 अगस्त 1947 में मिली थी और उस समय लार्ड माउंटबेटन ने भारत के स्वतंत्र होने की घोषणा की थी. 

  • अंग्रेजों ने भारत पर तकरीबन 200 साल शासन किया 

  • पहली बार भारत का राष्ट्रीय ध्वज 7 अगस्त 1906, पारसी बगान स्क्वायर, कोलकाता में फहराया गया था.

  •  स्वतंत्रता के महौल में, जब देश में आजादी का जश्न मनाया जा रहा था तब 15 अगस्त 1947 को महात्मा गांधी नोआखली, बंगाल (अब बांग्लादेश में है) में थे, वहां वह हिंदू-मुस्लिम के बीच उपजे तनाव को खत्म करने का प्रयास कर रहे थे.

  • भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने 14 अगस्त 1947 की आधी रात को जो भाषण दिया था उसे ‘ट्रिस्ट विद डेस्टिनी’ के नाम से ही जाना जाता है. जब नेहरू भाषण दे रहे है थे, उनका भाषण सबने सुना, लेकिन महात्मा गांधी ने भाषण नहीं सुना क्योंकि वह उस दिन 9 बजे सोने चले गए थे. 

  • लाल किले पर 15 नहीं बल्कि 16 अगस्त को राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया था. कि 15 अगस्त को नेहरू जी और अन्य नेता राज-काज के कामों में व्यस्त थे. व्यस्तता के चलते ही लालकिले पर जवाहर लाल नेहरू ने पहली बार 16 अगस्त को सुबह 8.30 बजे फहराया.

  • 15 अगस्त तक भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा रेखा का निर्धारण नहीं हुआ था. इसका फैसला 17 अगस्त को रेडक्लिफ लाइन की घोषणा से हुआ था.

  •  सर्वप्रथम अंग्रेज मुग़ल काल में भारत आये  थे, परन्तु  31 दिसंबर 1600 को,  ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को ईस्ट इंडीज के साथ व्यापार करने के लिए ब्रिटिश सम्राज्ञी एलिजाबेथ प्रथम से एक रॉयल चार्टर प्राप्त हुआ थाI जिसके बाद भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना हुई थी.

  • दक्षिण व दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्रों के साथ व्यापार करने के लिए 1600 ई. में जॉन वाट्स और जॉर्ज व्हाईट द्वारा ब्रिटिश जॉइंट स्टॉक कंपनी, जिसे ईस्ट इंडिया कंपनी के नाम से जाना जाता है, की स्थापना की गयी थी.

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  • ब्रिटिश शासन से निजात पाने के लिए भारत में मुख्यतः 16 ऐसे आंदोलन हुए जो राष्ट्रीय आंदोलन थे, जिनका नेतृत्व बड़े स्तर पर राजनेताओं, क्रांतिकारियों तथा समाजसेवकों द्वारा किया गया

  • देश जब आजाद हुआ तब भारत के नक्शे पर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात, हरियाणा, जैसे राज्य नहीं थे. तब इन्हें अंग्रेजों द्वारा बनाए गए सेंट्रल प्रॉविंस, यूनाइटेड प्रॉविंस (अब का उत्तर प्रदेश), बॉम्बे प्रॉविन्स, सेंट्रल इंडिया, मद्रास प्रेजिडेंसी स्टेट हुआ करते थे. स्वतंत्रता के बाद, भारत में मैसूर, पंजाब, मद्रास, बॉम्बे, उड़ीसा, बंगाल, संयुक्त प्रांत, मध्य प्रांत, असम, राजस्थान और जम्मू-कश्मीर राज्य थे.

  •  भारत आने वाला प्रथम अंग्रेज “जॉन मिल्डेन हॉल” था। जो 1597 ई. में स्थल मार्ग से भारत आया था.

  •  1921 में आंध्र प्रदेश के पिंगली वेंकैया ने देश की एकता को दर्शाते हुए भारत का तिरंगा झंडा तैयार किया था. उस समय तिरंगे में केसरिया रंग की जगह लाल रंग था. गांधी जी ने पिंगली वेंकैया को इस ध्वज के बीच में अशोक चक्र रखने की सलाह दी जो संपूर्ण भारत को एक सूत्र में बांधने का संकेत बनेगा.  1931 से लाल रंग को हटाकर केसरिया रंग का इस्तेमाल किया गया.  राष्ट्रीय ध्वज में रंग को लेकर तरह-तरह के वाद-विवाद चलते रहे थे.

  • ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता मिलने से कुछ दिन पहले 22 जुलाई 1947 को भारतीय संविधान सभा की बैठक में तिरंगे झंडे को आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय ध्वज बनाया गया. तिरंगे को पहली बार पंडित जवाहर लाल नेहरू ने फहराया था.

  • जवाहर लाल नेहरू और सरदार वल्लभ भाई पटेल ने महात्मा गांधी को खत भेजा. इस ख़त में लिखा था, ’15 अगस्त हमारा पहला स्वाधीनता दिवस होगा. आप राष्ट्रपिता हैं.  इसमें शामिल हो अपना आशीर्वाद दें.

  •  आजादी के बाद लाल किले से ब्रिटिश झंडा उतारकर तिरंगा फहराया गया. जिसे एक बार फिर लाल किले को सत्ता के केन्द्र के रूप में स्थापित करने के तौर पर देखा गया. राजनीति में प्रतीकों का बड़ा महत्व होता है. यही वजह है कि देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने लाल किले से पहली बार राष्ट्रीय ध्वज फहराया. उसके बाद से प्रत्येक स्वतंत्रता दिवस पर देश के प्रधानमंत्री लाल किले पर तिरंगा फहराते हैं और देश को संबोधित करते हैं.

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