Poem on Independence Day: भारत की समृद्ध साहित्यिक और देशभक्ति विरासत के केंद्र में, बाल गंगाधर तिलक (Bal Gangadhar Tilak) एक महान व्यक्तित्व के रूप में खड़े हैं. एक प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी, तिलक का योगदान राजनीतिक सक्रियता से परे कविता के क्षेत्र में फैला हुआ है, जहा उनके शब्दों ने अनगिनत भारतीयों को प्रेरित किया. उनकी सबसे प्रेरक रचनाओं में से एक देशभक्ति कविता है जो भारत के स्वतंत्रता के संघर्ष और मातृभूमि के प्रति गहरे प्रेम की भावना को दर्शाती है.
बाल गंगाधर तिलक की कविता (Tilak’s Poem)भारत की स्वतंत्रता के लिए उनकी अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण है. उनकी कविताओं में राष्ट्रवाद की गहरी भावना और भूमि से गहरा जुड़ाव है. नीचे उनकी सबसे प्रसिद्ध देशभक्ति कविताओं में से एक का अंश दिया गया है:
स्वतंत्रता दिवस(Independence Day 2024) के कार्यक्रम में जान फूंक देगी बाल गंगाधर तिलक की यह कविता
आओ, देश के वीर जवानों,
धरती पर उठाएं ध्वजा,
मां की पुकार सुनो तुम,
संग लहराएं उन्नति की ध्वजा.
तोड़ दो सब बंधनों को,
युद्ध करो, उठो लहराओ,
स्वतंत्रता की स्वर्ण धारा,
हम सब संग तरंगाओ.
बंदूकों की आवाजें सुनो,
गौरव की परंपरा छेड़े,
स्वातंत्र्य का गीत गाओ,
आगे बढ़ो, पीछे न मुड़े.
हिमालय की ऊंचाइयों से,
नील आकाश की चादर तक,
सुनो मां की रुदन कथा,
हर मन में गूंजे जयघोष.
तुम हो देश के सच्चे योद्धा,
जो जिव्हा पर स्वातंत्र्य गान,
आओ, मिलकर संकल्प लें,
राष्ट्र का संवारेंगे मान.
वीरता का चमकता दीप जलाओ,
हर दिल में जलाओ लौ,
स्वतंत्र भारत की यह मांग,
तुम्हारे हाथ में है सदा.
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