International Yoga Day 2024: योग के तन, मन और भावनाओं पर सकारात्मक प्रभावों को रेखांकित करने और योग के लाभों के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर वर्ष 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है. जब नारी सशक्तीकरण की बात आती है, तो अक्सर सामाजिक और आर्थिक पहलुओं पर ही ज्यादा बात की जाती है, लेकिन महिलाओं के स्वास्थ्य को लेकर वैसी गंभीरता नहीं दिखायी जाती. जबकि अच्छा स्वास्थ्य ही सशक्तीकरण और सफलता का आधार होता है. इसी को ध्यान में रखते हुए यह थीम चुनी गयी है.
योगाभ्यास से होने वाले फायदे
योग केवल एक शारीरिक रूप से किया जाने वाला वर्कआउट नहीं है. यह आपके लुक/शरीर को आकर्षक ही नहीं बनाता, परंतु हर स्तर पर काम करता है. योग मस्तिष्क, शरीर और आत्मा के मध्य तारतम्य को बेहतर बनाता है, जो स्वास्थ्य, सफलता और सशक्तीकरण का आधार है.
आत्मबोध कराता है योग
योग केवल आपके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को ही बेहतर नहीं बनाता, बल्कि आपको स्वयं से कनेक्ट करता है. नियमित रूप से योगाभ्यास करना महिलाओं को खुद को और अपनी आंतरिक क्षमताओं को पहचानने में सहायता करता है. जब एक बार यह जुड़ाव विकसित हो जाता है, तो उन्हें यह समझने में मुश्किल नहीं होती की वह अपने जीवन से क्या चाहती हैं और अंततः वे जैसी हैं उस रूप में खुद को स्वीकार करना सीख जाती हैं. यही सशक्तीकरण की ओर बढ़ा हुआ पहला कदम है.
आत्मविश्वास बढ़ाता है योग
योग आत्मविश्वास को निर्मित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो सशक्तीकरण का एक महत्वपूर्ण पहलू है. आत्मविश्वासी महिलाएं अपनी क्षमता, योग्यता और शक्तियों के प्रति अधिक जागरूक होती हैं. यही जागरूकता उनकी अपने जीवन पर पकड़ को मजबूत बनाती है और खुद के लिए निर्णय लेने का हौसला देती है.
मिलती भावनात्मक मजबूती
जो महिलाएं नियमित रूप से योग करती हैं, वे शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से अधिक मजबूत होती हैं. यही मजबूती नारी सशक्तीकरण का आधार बनती है.
इससे आती है आत्मनिर्भरता
योग तनाव को कम कर मस्तिष्क को शांत और शरीर को रिलैक्स करता है. जब एकबार आप आंतरिक शांति पा लेते हैं, तो जीवन की चुनौतियों का मुकाबला करना और खुश रहना आसान हो जाता है. जो महिलाएं जीवन के उतार-चढ़ाव का प्रबंधन ठीक तरह से करना सीख जाती हैं उनकी दूसरों पर निर्भरता कम हो जाती है.
बढ़ती है शारीरिक शक्ति
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हुए कई अध्ययनों में यह तथ्य उभर कर आया है कि योग शारीरिक शक्ति बढ़ाता है और संतुलन व लचीलेपन में सुधार करता है. इससे आपको अपने शरीर की क्षमताओं और सीमाओं को पहचानने में भी सहायता मिलती है. शुरुआत में आपको जिन आसनों को करने में परेशानी होती है, नियमित अभ्यास से उन्हें करना भी संभव हो पाता है.
मन-तन का जुड़ता कनेक्शन
जब आपका तन-मन सामंजस्य में काम करता है, तो जीवन की गुणवत्ता बेहतर होती है. योग का सबसे बड़ा फायदा तन-मन के कनेक्शन को बेहतर बनाना है. नियमित रूप से योगाभ्यास करना आपको यह समझने में सहायता करता है कि आपके विचारों और भावनाओं का आपके शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है. जब एक बार आप नकारात्मक भावनाओं के शरीर पर पड़ने वाले प्रभावों को समझ जाते हैं, तो आप अपनी विचार प्रक्रिया/थॉट प्रोसेस को नियंत्रित करने का प्रयास शुरू कर देते हैं. इसका प्रभाव आपकी सोच, निर्णयों और जीवन पर स्पष्ट रूप से दिखने लगता है.
योग द्वारा स्वास्थ्य समस्याओं का प्रबंधन
नियमित रूप से योग का अभ्यास करने से शरीर के विभिन्न अंग व तंत्र बेहतर तरीके से काम करते हैं. इससे स्वस्थ रहने और बीमारियों से बचने में सहायता मिलती है. योग थेरेपी तंत्रकीय और अंतःस्त्रावी तंत्र के मध्य संतुलन स्थापित कर के विभिन्न चिकित्सीय स्थितियों को ठीक करने में भी सहायता करती है.
हार्मोन संतुलन : हार्मोन असंतुलन महिलाओं से संबंधित एक प्रमुख स्वास्थ्य समस्या है. योग एंडोक्राइन सिस्टम को स्टीम्युलेट कर हार्मोन असंतुलन को नियमित करने में सहायता करता है. योगाभ्यास से वे ग्रंथियां बेहतर ढंग से काम करती हैं, जो हार्मोनों का उत्पादन करती हैं. योग करने की आदत पीसीओडी/पीसीओएस और अनियमित मासिक चक्र में भी विशेष रूप से लाभदायक है.
मीनोपॉज : योग मीनोपॉज के दौरान हॉट फ्लैशेस, मूड स्विंग्स और नींद से संबंधित गड़बड़ियों में भी आराम देता है. योग के दौरान किये जाने वाले विभिन्न आसन तन-मन को रिलैक्स करते हैं, तनाव कम करते हैं और हार्मोन संतुलन को बेहतर बनाते हैं. इससे महिलाओं को अपने जीवन के इस चरण/फेज से निपटने में आसानी होती है.
मानसिक स्वास्थ्य : योग के दौरान किये जाने वाले विभिन्न आसनों और ब्रीदिंग एक्सरसाइजों से तंत्रिका तंत्र शांत रहता है और तनाव पैदा करने वाले हार्मोनों का स्तर कम होता है. इससे आंतरिक शांति महसूस होती है. नियमित रूप से इनका अभ्यास करने से मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य दुरुस्त रहता है और अगर कोई महिला तनाव, उत्तेजना या अवसाद की शिकार है, तो लक्षणों में आराम मिलता है.
गर्भावस्था और प्रसूति : प्री और पोस्ट नैटल योग महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान और प्रसूति के बाद शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से सहायता करता है. बच्चे के जन्म के बाद कई महिलाएं पोस्ट-पार्टम डिप्रेशन की शिकार हो जाती हैं. प्री और पोस्ट नैटल योग उन्हें इस डिप्रेशन से बचाने या उबरने में सहायता करता है.
गंभीर बीमारियां : खराब जीवनशैली, खान-पान की गलत आदतें, शारीरिक सक्रियता की कमी और तनाव का बढ़ता स्तर हमारे हृदय को बीमार बनाने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं. योग हमारे रोग प्रतिरोधक तंत्र को बेहतर बनाकर बीमारियों की चपेट में आने के खतरे को कम करता है. सूजन कम कर हृदय रोगों, डायबिटीज, अर्थराइटिस की आशंका कम करता है. ऑटो-इम्यून डिजीजेज और श्वसन तंत्र से संबंधित समस्याओं के खतरे को भी कम करता है. योगाभ्यास दोनों स्तरों पर लाभ पहुंचाता है, जो स्वस्थ हैं उन्हें बीमारियों से बचाने में एक रक्षा कवच का काम करता है और जो किसी बीमारी से जूझ रहे हैं उसके प्रबंधन में सहायता कर उनके लिए सामान्य जीवन जीना आसान बनाता है.
(योग विशेषज्ञ वत्सला त्यागी से बातचीत पर आधारित)
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