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International Mountain Day: अगर हिमालय नहीं होता जीवन बहुत मुश्किल हो जाता, जानें इससे जुड़ी रोचक बातें

हरे-भरे पहाड़ों से लेकर बर्फ से ढके हिमालय तक, हर पहाड़ अपने तरीके से खास होते हैं. एक ही काल में निर्मित विभिन्न पर्वतों के निश्चित क्रम को पर्वत शृंखला कहा जाता है. हिमालय भी विभिन्न पर्वत शृंखलाओं में से एक है. हिमालय न होता तो देश में जीवन बहुत दुष्कर हो जाता. जानो हिमालय से जुड़ी रोचक बातें...

Baal Prabhat: संपूर्ण पृथ्वी की सतह के लगभग 22 प्रतिशत हिस्से पर पर्वत हैं. इस वर्ष अंतरराष्ट्रीय पर्वत दिवस की थीम- ‘रीस्टोरिंग माउंटेन इकोसिस्टम’ रखी गयी है. इसका आशय पर्वतीय इकोसिस्टम को बचाये रखने और पुन: बहाल करने में योगदान देने से हैं. हरे-भरे पहाड़ों से लेकर बर्फ से ढके हिमालय तक, हर पहाड़ अपने तरीके से खास होते हैं. तुम्हें पता होना चाहिए कि एक ही काल में निर्मित विभिन्न पर्वतों के निश्चित क्रम को पर्वत शृंखला कहा जाता है. हिमालय भी विभिन्न पर्वत शृंखलाओं में से एक है. अगर हिमालय न होता तो अपने देश में जीवन बहुत दुष्कर हो जाता. यह साइबेरिया की शीत लहरों से पूरे भारतीय उपमहाद्वीप की रक्षा करता है. हिमालय संस्कृत के दो शब्दों- हिम (बर्फ) और आलय (स्थान) से मिलकर बना है. यानी बर्फ का स्थान ही हिमालय है. यह पर्वत शृंखला छह देशों में पश्चिम से पूर्व की ओर फैला हुआ है. यह भारत, नेपाल, भूटान, तिब्बत (चीन), अफगानिस्तान और पाकिस्तान तक फैली हुई है. नेपाल व भूटान तो हिमालय क्षेत्र में ही बसे हुए हैं. खास बात है कि मॉनसूनी हवाओं के अवरोधक के रूप में कार्य कर हिमालय दक्षिण की ओर वर्षा कराता है.

कैसे हुई हिमालय की उत्पत्ति

पृथ्वी के बड़े प्लेटों भारतीय प्लेट और यूरेशियन प्लेट के टकराने से हिमालय की उत्पत्ति हुई है. ऐसा माना जाता है कि जहां आज हिमालय है, वहां कभी टेथिस नाम का सागर हुआ करता था. यह जूरासिक काल (करीब 20 से 14.5 करोड़ साल पहले) की बात है. यह टेथिस एक विशालकाय, लेकिन उथला सागर था. यह दो विशाल भूखंडों से घिरा हुआ था. एक तरफ यूरोशिया (यूरेशियन प्लेट) था तो दूसरी ओर गोंडवानालैंड (इंडियन प्लेट). ये दोनों भूखंड करोड़ों सालों में एक-दूसरे की ओर गति करते गये. करीब 2.5 करोड़ साल पहले इसी क्रिया के परिणामस्वरूप हिमालय का निर्माण हुआ.

2500 किमी तक विस्तार

हिमालय कुल मिलाकर 5 लाख, 95 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है. इसकी लंबाई को देखें तो यह पश्चिम में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से लेकर पूर्व में तिब्बत तक करीब 2500 किलोमीटर तक विस्तारित है. इसकी चौड़ाई को देखें तो यह दक्षिण से उत्तर के बीच विभिन्न जगहों पर 200 से 400 किलोमीटर है. हिमालय आठवीं सबसे बड़ी पर्वत शृंखला है. वहीं, एंडीज दुनिया की सबसे लंबी पर्वत शृंखला है, जो सात देशों को जोड़ती है. इसमें अर्जेंटीना, चिली, बोलिविया, पेरू, इक्वाडोर, कोलंबिया और वेनेजुएला शामिल हैं. इसकी कुल लंबाई 7,000 किलोमीटर है.

झीलों से बढ़ती है खूबसूरती

हिमालय क्षेत्र में कई खूबसूरत झीलें हैं. इनमें सबसे प्रमुख मानसरोवर झील है, जो कैलाश पर्वत के पास करीब 420 वर्ग किमी में फैली है. यह समुद्र तल से 4590 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. एक अहम झील पैंगोंग भी है, जो भारत-चीन दोनों देशों में स्थित है. हिमालय क्षेत्र की सबसे बड़ी झील यमद्रोक झील है, जो करीब 700 वर्ग किमी में विस्तारित है. यहां की कई झीलों को संयुक्त राष्ट्र की ‘रामसर साइट्स’ की मान्यता मिली है.

निकली हैं कई नदियां

अंटार्कटिका व आर्कटिक के बाद सबसे ज्यादा बर्फ हिमालय में ही जमा है. यहां कम-से-कम 15 हजार विशालकाय ग्लैशियर हैं. गंगा का उद्गम हिमालय के ही गंगोत्री ग्लैशियर से होता है. भारतीय उपमहाद्वीप के अधिकांश हिस्से को पानी की आपूर्ति हिमालय से होती है.

खास है भारतीय हिमालयी क्षेत्र

देश के विभिन्न राज्यों में फैले हिमालय पर्वत शृंखला को हिमालयी क्षेत्र कहते हैं. यह अपने देश के जम्मू और कश्मीर से लेकर भूटान, नेपाल तथा तिब्बत (चीन) जैसे देशों की सीमा के साथ पूर्वोत्तर राज्यों तक विस्तृत है. इसमें 11 राज्य (हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, मेघालय, असम और पश्चिम बंगाल) तथा 2 केंद्रशासित प्रदेश (जम्मू-कश्मीर व लद्दाख) शामिल हैं.

गर्मियों में भी ठंडे क्यों होते हैं पहाड़

पहाड़ों की जमीन समतल नहीं होती है. वहां की जमीन के टेढ़ी-मेढ़ी और उबड़-खाबड़ होने के कारण अधिकतर जगह सूर्य की किरणें सीधी न पड़कर आड़ी-तिरछी पड़ती हैं. इस वजह से मैदानी इलाकों की जगह पहाड़ी जमीन को बहुत कम ऊष्मा मिलती है. पहाड़ों का पूरा क्षेत्रफल मैदानों की अपेक्षा अधिक होता है, इसलिए पहाड़ जल्द ही ठंडे हो जाते हैं. साथ ही ऊंचाई पर हवा का घनत्व कम होता जाता और वहांं अधिक ठंड होती है.

इसकी सबसे ऊंची चोटी है माउंट एवरेस्ट

फैलाव के मामले में हिमालय पर्वत शृंखला भले आठवें स्थान पर हो, लेकिन ऊंचाई के मामले में हिमालय दुनियाभर की विविध पर्वत शृंखलाओं में सबसे आगे है. दुनिया की टॉप 10 चोटियों में सर्वाधिक हिमालय पर्वत शृंखला में हैं. इनमें दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट भी शामिल है.

  • माउंट एवरेस्ट

ऊंचाई : 8,848 मीटर, स्थान : नेपाल

नेपाली में सगरमाथा कही जाने वाली यह चोटी दुनियाभर की सबसे ऊंची चोटी है. वर्ष 1955 में भारत के द्वारा इसका सर्वे किया गया और ऊंचाई 8,848 मीटर बतायी. ब्रिटिश सर्वेयर सर जॉर्ज एवरेस्ट के सम्मान में ही इस चोटी को माउंट एवरेस्ट नाम दिया गया.

  • केटू

ऊंचाई : 8,611 मीटर, स्थान : गिलगित-बाल्टिस्तान

पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर (पीओके) में स्थित के2 दुनिया की दूसरी सबसे ऊंची पर्वत चोटी है. यह 8,611 मीटर ऊंची है. पर्वत की चोटी पर चढ़ाई के मामले में के2 को सबसे खतरनाक माना जाता है. यह काराकोरम रेंज की चोटी है, जो हिमालय का ही एक हिस्सा है.

  • कंचनजंघा

ऊंचाई : 8,586 मीटर, स्थान : सिक्किम

भारतीय राज्य सिक्किम और नेपाल के बीच स्थित कंचनजंघा ऊंचाई के मामले में तीसरे स्थान पर है. इसकी ऊंचाई 8,586 मीटर है. यह दुनिया की तीसरी और अपने देश की सबसे ऊंची चोटी है.

  • ल्होत्से

ऊंचाई : 8,516 मीटर, स्थान : तिब्बत-नेपाल सीमा पर

कंचनजंघा की तरह ही यह माउंट एवरेस्ट की पड़ोसी चोटी है. यह तिब्बत (चीन) और नेपाल की सीमा पर स्थित है. यह दुनिया की चौथी सबसे ऊंची चोटी है और इसकी ऊंचाई 8,516 मीटर है.

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