Kali Puja 2024 Date: हिंदू धर्म में देवी काली को बहुत पूजनीय माना जाता है. काली पूजा में मां काली की पूजा की जाती है. काली पूजा विशेष रूप से बंगाल में मनाई जाती है. इस दिन काली पूजा को श्यामा और महानिशी पूजा के नाम से भी जाना जाता है. यह पूजा कार्तिक महीने में अमावस्या की रात को की जाती है. तंत्र साधना के लिए भी काली पूजा को विशेष माना जाता है. काली पूजा के दिन मां काली की विधिपूर्वक पूजा की जाती है. मां काली की पूजा करने से साधक को शक्ति और भक्ति की प्राप्ति होती है. मां काली की पूजा करने से काल का नाश होता है और अकाल मृत्यु के भय से भी मुक्ति मिलती है. ऐसे में आइए जानते हैं इस साल काली पूजा किस दिन मनाई जाएगी.
काली पूजा 2024 तिथि (2024 में काली पूजा कब है)
काली पूजा हर साल कार्तिक महीने में अमावस्या तिथि को मनाया जाता है. यह पूजा निशिता काल में की जाती है. इस वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर को दोपहर 3:52 बजे से शुरू होगी और यह तिथि 1 नवंबर को दोपहर 12:28 बजे समाप्त होगी. काली पूजा मध्य रात्रि में की जाती है, इसलिए इस वर्ष काली पूजा 31 अक्टूबर 2024 को मनाई जाएगी.
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काली पूजा का महत्व
शास्त्रों में काली पूजा का विशेष महत्व है. मां काली की पूजा करने से भक्त को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. माता काली को बहुत शक्तिशाली और बुराई का नाश करने वाली माना जाता है. इनकी पूजा करने से भक्त को शक्ति मिलती है और उसके शत्रुओं का नाश होता है. असत्य पर सत्य की जीत के लिए भी मां काली की पूजा की जाती है.
लक्ष्मी पूजा को कोजागरा पूजा के रूप में जाना जाता
अक्सर दिवाली पूजा और काली पूजा एक ही दिन पड़ता है, लेकिन कुछ वर्षों में काली पूजा दिवाली पूजा से एक दिन पहले भी पड़ता है. काली पूजा दिवाली के मध्यरात्रि के दौरान अमावस्या को पड़ता है, उस दिन ही लक्ष्मी पूजा मनाया जाता है. पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और असम में, देवी लक्ष्मी की पूजा करने का सबसे महत्वपूर्ण दिन चंद्र मास अश्विन में पूर्णिमा के दिन पड़ता है. अश्विन के महीने में पूर्णिमा तिथि पर लक्ष्मी पूजा को कोजागरा पूजा के रूप में जाना जाता है और आमतौर पर बंगाल लक्ष्मी पूजा के रूप में जाना जाता है.
दिवाली पर क्यों की जाती है काली पूजा
दिवाली पर जहां प्रदोष काल में लक्ष्मी गणेश की पूजा की जाती है, वहीं मध्य रात्रि में मां काली की पूजा करने की भी परंपरा है. कहा जाता है कि मां काली के कठोर जप और तप से भक्त के सभी कष्ट दूर होते हैं और जीवन में खुशियां आती हैं. काली पूजा मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और असम राज्यों में मनाई जाती है. तंत्र साधना में लगे लोग मुख्य रूप से काली की पूजा करते हैं. मां काली की पूजा करने से भक्त के सभी बिगड़े हुए काम बन जाते हैं.
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